अब दहलाने की फिराक में है जाली नोटों का आतंक

हजारों करोड़ रुपये की त्योहारी बिाी, भीड़-भरा माहौल, कम समय में ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को निपटाने का दवाब और दिन-रात का काम। आजकल बाजार में कुछ ऐसा ही माहौल है। गिफ्ट से लेकर साल भर से बनाई गयी खरीददारी की योजनाओं को दिन-रात निपटाया जा रहा है। ऐसे में खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि बड़े पैमाने पर नकली नोटों को बाजार में खपाया जा सकता है।

आईबी ने खासतौर पर विभिन्न राज्यों की पुलिस को सूचित किया है कि इस बार दीवाली की खरीददारी के दौरान सिर्फ बम विस्फोट के प्रति ही सजग नहीं रहना होगा अपितु पुलिस को नकली नोटों को लेकर भी सतर्क रहना होगा। क्योंकि आईबी को अपने मुखबिर तंत्र से जानकारी मिली है कि उत्तर भारत में अगले कुछ हफ्तों के अंदर आतंकवादियों और अंडरवर्ल्ड नेटवर्क कई हजार करोड़ रुपये के नकली नोट खपाना चाहता है। गौरतलब है कि दीपावली के दौरान उत्तर, मध्य और पूर्वोत्तर भारत में बड़े पैमाने पर खरीददारी होती है। पूरे त्योहारी सीजन में ये खरीददारी 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की होती है। दीपावली के आसपास त्योहारों की जो पूरी श्रृंखला मौजूद रहती है और इस कारण जो जबरदस्त खरीददारी होती है उस सबके चलते बाजार में बेहद अफरा-तफरी का माहौल रहता है। इस दौरान दुकानदार दिन-रात काम करते हैं। इसलिए न तो ऐसे मौके पर उनके पास सतर्क रहने का समय होता है और न ही होश रहता है। वह सिर्फ और सिर्फ बिाी में ही व्यस्त रहते हैं। आईबी के पास जो सूचनाएं इकट्ठा करने का नेटवर्क है, उसको मिली जानकारी के मुताबिक अंडरवर्ल्ड और आतंकवादी संगठन इस खरीददारी के भीड़ भरे माहौल को बाजार में नकली नोटों के खपाने के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं।

पिछले कुछ महीनों में जिस तरह नकली नोटों के बड़े-बड़े रैकेटों का पर्दाफाश हुआ है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि नकली नोटों को खपाने का काम अब छुटभैय्ये किस्म के अपराधी ही नहीं कर रहे हैं बल्कि एक संगठित तंत्र इस काम में लगा हुआ है। पिछले दिनों राष्टीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गाजियाबाद की ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स की शाखा में जिस तरह बड़े पैमाने पर जाली नोट पाये गये और जिसके लिए बैंक के दो दर्जन से ज्यादा वरिष्ठ कर्मचारियों को गिरफ्त में लिया गया, उससे स्पष्ट हो गया है कि अब नकली नोट महज बाजार में ही खपाये नहीं जा रहे बल्कि बाकायदा बैंको में भी इन अपराधियों का एक बड़ा नेटवर्क सिाय हो चुका है। इसकी आशंका इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि कानपुर स्थित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की शाखा के जिस अधिकारी के नेतृत्व में जाली नोटों के इस रैकेट की जांच-पड़ताल हो रही थी, रहस्यमय तरीके से उस अधिकारी की कानपुर में हत्या कर दी गई। बेहद सुरक्षित समझी जानेवाली रिजर्व बैंक कॉलोनी में उस अधिकारी की पिछले दिनों हत्या कर दी गई और सिक्यूरिटी के भारी बंदोबस्त को इसका पता भी नहीं चला।

हाल के महीनों में एक-एक करके छह बैंकों से नकली नोट बरामद हुए हैं। सिर्फ बैंक से ही नहीं ग्राहकों को नकली नोट दिए गए अपितु इस दौरान एक दर्जन से ज्यादा एटीएम से भी नकली नोट निकलने की घटनाएं हो चुकी हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नकली नोटों का जाल किस तरह देश को अपने शिकंजे में कस चुका है। खुफिया एजेंसियों को हाल के दिनों में नकली नोटों के इस तरह रह-रहकर होते पर्दाफाश से जो बात पता चली है, वह काफी सनसनीखेज और चौंकाने वाली है।

खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को जाली नोटों के बारे में जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम, आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और कई दूसरे स्थानीय स्तर पर सिाय अपराधी संगठन मिलकर जाली नोटों के इस ऑपरेशन को अंजाम देने में लगे हैं। खुफिया एजेंसियों द्वारा गृह मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट के मुताबिक कोई 500 से ज्यादा विभिन्न आतंकी, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के जासूस और अंडरवर्ल्ड के लोग उत्तर भारत में 2000 करोड़ से ज्यादा के जाली नोट खपाने की फिराक में घूम रहे हैं। पहले यह नोट पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की देखरेख में छप रहे थे, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों की मौजूदा सूचनाओं के मुताबिक आजकल पाक अधिकृत कश्मीर और बंगलादेश के साथ-साथ थाईलैंड और म्यांमार में भी नकली नोट बड़े पैमाने पर अंडरवर्ल्ड द्वारा छापकर भारत भी लाये जा रहे हैं। खुफिया एजेंसी के मुताबिक ये नोट नेपाल और बंगलादेश से लगी भारत की सीमाओं के जरिए यहां आ रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि आजकल अपराधी गिरोहों द्वारा छापे जा रहे नकली नोट गुणवत्ता की दृष्टि से बेहतरीन हैं। ये असली नोटों से इतने मिलते-जुलते हैं कि उनमें और असली नोटों में बहुत फर्क नहीं रह गया। यही कारण है कि न सिर्फ आम आदमी बल्कि बैंक कर्मी और अक्सर नोटों के बारे में जानकारी रखने वाले लोग भी कई बार इन्हें पहचान पाने में असफल रहते हैं। पहले जाली नोट पकड़े जाने की घटनाएं कभी-कभार हुआ करती थीं, लेकिन पिछले एक साल के अंदर राजधानी दिल्ली में ही नकली नोट पकड़े जाने की 27 बड़ी घटनायें घट चुकी हैं। इनमें कोई 50 लाख रुपये की जाली करेंसी बरामद हो चुकी है। आज अंडरवर्ल्ड गुणवत्ता की दृष्टि से इतने बेहतरीन नोट छाप रहा है कि बैंककर्मी भी एकबारगी उनको पहचान पाने में असमर्थ रहते हैं। खुफिया एजेंसियों की मानें तो इसकी वजह यह है कि टकसाल में काम करने वाले रिटायर कर्मचारियों का भी उनको साथ मिला हुआ है।

पिछले दिनों महाराष्ट पुलिस ने सात ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जो कभी नोट छापने वाले कारखानों में काम करते रहे हैं। हालांकि पुलिस ने अभी तक इन लोगों के नाम उजागर नहीं किया, क्योंकि अभी अंतिम रूप से पुलिस यह तय नहीं कर पाई कि इनका इस पूरे गोरखधंधे में किस तरह की और कितनी बड़ी भूमिका है। बहरहाल इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि देश में लगातार जाली नोटों का कारोबार फैलता जा रहा है तो इसके पीछे नोटों के बारे में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का भी अपराधियों को मिल रहा साथ है। खुफिया एजेंसियों की पड़ताल के मुताबिक कई चरणों में, जाली नोटों का यह आपराधिक नेटवर्क बंटा हुआ है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड में छापे गये नकली नोट आईएसआई की बदौलत भारत में नेपाल और बांग्लादेश से सटी सीमा से अंदर भेजे जाते हैं। गौरतलब है कि नेपाल से लगने वाले एक दर्जन से अधिक बॉर्डर क्षेत्र को पुलिस और खुफिया एजेंसियों द्वारा नकली नोटों के सबसे बड़े गढ़ के रूप में चिन्हित किया गया है। सोनौली, रक्सौल, महेंद्र नगर और अहमदनगर से सबसे ज्यादा नकली नोट भारत पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों गोरखपुर में भी जाली नोटों के कई बड़े पर्दाफाश हो चुके हैं। एक जमाने में नकली नोटों का यह कारोबार छुटभैय्ये अपराधियों के हाथ में था, लेकिन आज की तारीख में यह छुटभैय्ये के हाथ से निकल गया है और इसमें बड़े संगठित अपराधी तंत्र आ जुड़े हैं।

हाल के सालों में जाली नोट सबसे ज्यादा राजधानी दिल्ली, उतर प्रदेश खासककर पश्र्चिमी उतर प्रदेश, प.बंगाल, बिहार, जम्मू कश्मीर, पंजाब, महाराष्ट, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में पाये गये हैं। पहले सिर्फ हजार या पांच सौ रुपये के नकली नोट बरामद होते थे। जिन्हें देश के छोटे शहरों और कस्बों में सहजता से खपा पाना मुश्किल होता था; लेकिन अपराधी गिरोहों की बढ़ती सिायता के चलते अब सिर्फ बड़े नोट ही नहीं बल्कि 100 और 50 रुपये के भी नकली नोट बरामद हो रहे हैं। पिछले साल महाराष्ट में 2,99,45,300 रुपये के जाली नोट पुलिस ने बरामद किये थे और इससे कुछ ही कम बैंकों ने भी जब्त किए थे। नकली नोटों के एक बड़े गढ़ के रूप में पिछले दो सालों में मध्यप्रदेश भी तेजी से उभर रहा है। नकली नोट बरामद होने की यहां डेढ़ सालों के दौरान एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं घट चुकी हैं।

पहले नकली नोटों को जिन लोगों के जरिए बाजार में फैलाया जाता था वो गरीब और छोटे-मोटी अपराधिक गतिविधियों से जुड़े होते थे, उनकी कोई सामाजिक रेपुटेशन नहीं होती थी इसलिए आमतौर पर ऐसे लोग खासकर जिनमें महिलाएं और किशोर ज्यादा होते थे, को आसानी से पकड़ लिया जाता था। क्योंकि उनपर आसानी से शक कर लिया जाता था। लेकिन अब संगठित गिरोहों ने जाली नोटों को फैलाने का पारंपरिक तरीका बदल लिया है। अब पढ़े-लिखे, संभ्रांत और उच्च मध्य वर्ग की आर्थिक हैसियत के दिखने वाले लोगों के जरिए जाली नोटों को बाजार में फैलाये जाने का काम हो रहा है। जिनपर दुकानदारों को आशंका नहीं होती या कम होती है। शॉपिंग मॉल, पब्स आदि में नकली नोटों का जबरदस्त ढंग से इस्तेमाल हो रहा है। प्रोपर्टी डीलिंग जैसे कारोबार में भी आजकल जाली नोटों की खपत बढ़ गई है। पिछले दिनों नोएडा में रहने वाले एक रिटायर सैन्य अधिकारी अपने बैंक में चालीस हजार रुपये जमा कराने गया जिसमें तीस हजार से ज्यादा के नकली नोट थे । बाद में पता चला कि उसे ये किसी प्रोपर्टी डीलर से मिले थे। ज्वैलरी की दुकानों में भी ऐसे जाली नोटों को खपाने की कोशिश रहती है। क्योंकि वहां नोट खप गये तो अपराधियों की अच्छी खासी कमाई हो जाती है। आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जाली नोट कागज का वह आतंकी हथियार है जिसकी मार आग उगलने वाले हथियारों से कम नहीं है। वास्तव में भारत के दुश्मनों ने यह रणनीति बनाई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को, जो तेजी से बढ़ रही है और दुनिया की चीन के बाद दूसरी ऐसी अर्थव्यवस्था बन गई है जहां विकास का जबरदस्त माहौल है, इससे भारत के दुश्मन आतंकवादी बहुत परेशान हो गए हैं। वह अब भारत की इस मजबूत अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी को तोड़ देना चाहते हैं। हाल के सालों में जम्मू कश्मीर जहां से बड़े पैमाने पर आतंकवादी भारत में घुसपैठ करते थे, वहां कड़ाई हो गयी है। इसलिए उस तादाद में आतंकवादी घुसपैठ नहीं कर पाते जिस तादाद में पहले करते थे। नतीजतन आतंकवादियों ने भी अपनी रणनीति बदल ली है और खुद घुसने के बजाय वह बड़े पैमाने पर भारत में जाली नोटों को प्रवेश करा रहे हैं। समझौता एक्सप्रेस और सदा-ए-सरहद बस सेवा में 2006-07 में नकली नोटों की कई खेप बरामद होने के बाद उनमें काफी सख्त पहरा कर दिया गया है। इसलिए अब इन सेवाओं के जरिए जाली नोट भारत नहीं आ पाते हैं। इसलिए आतंकवादियों ने नये वैकल्पिक रास्ते तलाशे हैं। खुफिया रिपोर्टो के मुताबिक इस साल ईद से शुरू होकर दीपावली के एक हफ्ते बाद तक होने वाली खरीददारी में जाली नोटों को बड़े पैमाने पर खपाने की पूरी तैयारी की गई है। इसलिए इस बार जब त्योहारी खरीददारी के लिए बाजार जाएं तो दुकानदार द्वारा लौटाये जानेवाले नोटों को ध्यान से देखना न भूलें। यही हिदायत दुकानदारों के लिए भी कारगर है। कहीं ऐसा न हो कि आपके हाथ में दुश्मनों का हथियार यानी जाली नोट हो।

–     धीरज बसाक

 

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जाली नोटों की सप्लाई के तरीके

नकली नोट कई तरह से बाजार में फैलाये जाते हैं। खरीददारी के जरिए नकली नोट रखने वाले लोग 100-200 रुपये की खरीददारी करते हैं और पांच सौ रुपये का नोट पकड़ा देते हैं। यह पुराना तरीका था। अब इस तरह के तरीकों को आजमाने की बजाय सूटेड बूटेड खरीददार आते हैं और कई हजार रुपये की खरीददारी करते हैं। बदले में दुकानदार को नकली नोट देकर चंपत हो जाते हैं। बाद में खरीदे गये सामान को औने-पौने दामों में बेच दिया जाता है या सामानों का एक स्टोर खोला जाता है जहां नकली नोटों से खरीदा गया असली माल फिर से बेचा जाता है। मनी एक्सचेंज काउंटरों से भी नकली नोटों की सप्लाई आसानी से होती है। मलेशिया, थाईलैंड में मनी एक्सचेंज काउंटरों में धड़ल्ले से नकली नोटों का कारोबार होता है। जुआ घरों में भी बड़े पैमाने पर नकली नोटों की खपत होती है। सीबीआई जाली नोटों के इस आतंक को रोकने के लिए एक नेशनल डेटा बैंक बनाने की योजना बनाई है। डेटा बैंक की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि यह नोट कहां से आए और किस इलाके में सर्कुलेट किये जा रहे हैं। लेकिन अभी डेटा बैंक की यह योजना महज कागजों में ही है। योजना आयोग इस पर अभी विचार कर रही है।

गौरतलब है कि नकली नोटों का मामला आइपीसी की धारा 489ए तथा बी में दर्ज होता है। इन धाराओं की कमजोरी यह है कि इनके तहत बंद होने वाले अपराधियों को 15 से 30 दिन के भीतर जमानत मिल जाती है इसलिए पुलिस और प्रशासन नकली नोटों से संबंधित कानूनों को भी कड़ा बनाये जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि इसके लिए 7 साल तक की सजा का प्रावधान है, लेकिन जब एक बार अपराधी जमानत में छूट जाता है तो दोबारा मुश्किल से ही पकड़ में आता है और आता भी है तो फिर छूट जाता है।

 

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कैसे पहचानें जाली नोट

  • असली नोट में कीमत के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक लिखा होता है। छूने पर यह इबारत उभरी हुई महसूस होती है।
  • असली नोट में एक वाटर मार्क होता है; इसमें महात्मा गांधी की तस्वीर मौजूद होती है। नकली नोट में ऐसी कोई तस्वीर नहीं होती है।
  • नकली नोट में सिर्फ प्लेन प्रिंटिंग होती है जबकि असली में इन्टेगेलियो प्रिंटिंग के कारण छपाई उभरी हुई होती है।
  • नकली नोट का पेपर हल्का होता है और असली नोट का पेपर मोटा होता है क्योंकि असली नोट का कागज रूई की लुग्दी से बनाया जाता है। ऐसा कागज मार्केट में नहीं मिलता है। मोटाई में फर्क होने के कारण नकली नोट में मेटल थ्रेड भी नहीं डाला जा सकता।
  • असली नोट में महात्मा गांधी की तस्वीर के दाहिनी तरफ माइाोलैपिंग तकनीक से बहुत छोटे अक्षरों में आरबीआई व नोट का मूल्य लिखा होता है। 50 से लेकर 1000 तक के नोट में ऐसा होता है। नकली नोट में ऐसा नहीं होता। इनमें सीरियल नंबर भी गलत होता है। छपाई घटिया होती है, जिसके जरिए भी इन्हें पहचाना जा सकता है।
  • नोट शर्टिंग मशीनें नोटों के साथ-साथ कटे-फटे तथा गलत सीरियल नंबर वाले नोटों को अलग करती हैं। इन मशीन में एक सॉफ्टवेयर होता है जो नोटों की पहचान विभिन्न चिन्हों के साथ-साथ उसके सीरियल ामांक से भी करता है। ऐसी मशीनें सिर्फ करेंसी चेस्ट में होती हैं। ये देश के विभिन्न भागों में रिजर्व बैंकों के कैश डिपो की तरह काम करती हैं। इनसे भी नकली नोटों का आसानी से पता लगता है।

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