कुछ अलग हट कर करना चाहती हूँ

कुछ लोग एक-एक सीढ़ी चढ़ कर आगे बढ़ना चाहते हैं और कुछ लोग एक ही झटके में मंजिल पर पहुँचने का सपना देखते हैं। यदि हम कुछ अपवादों को छोड़ दें तो देखेंगे कि एक दम शिखर पर चढ़ने वालों को वापस ़जमीन पर पहुँचने में भी देर नहीं लगती और कदम के साथ ताल मिलाने वाले लंबा सफर तय करते हैं।

एक ऐसी ही नई एक्टेस हैं रिशा शर्मा, जो एक-एक सीढ़ी चढ़ कर ही अपनी मंजिल पर पहुँचना चाहती हैं। रिशा एक नई फिल्म “दुविधा’ में फ्रीडम फाइटर रुकमणी देवी के रोल के लिए चर्चा में हैं। रिशा ने अपने स्कूल कॉलेज के जमाने से ही थियेटर करना शुरू कर दिया था। उसके बाद उसने मॉडलिंग की और फिर धारावाहिक व वीडियो एलबम में काम किया और अब वह फीचर फिल्म कर रही हैं।

क्या आप एक्टिंग लाइन में जाने के लिए बचपन से ही सोचती थीं? जो स्कूल टाइम से ही थिएटर करना शुरू कर दिया था?

थिएटर और फिल्में मुझे आकर्षित तो हमेशा करते थे पर एकदम पक्का तय नहीं था कि इसी लाइन में ही जाऊंगी पर दिल में चाह जरूर थी कि इस लाइन में जाऊं तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

अब तक कौन-कौन से धारावाहिक किए हैं?

दूरदर्शन के लिए कई धारावाहिक किए हैं जिनमें “अहसास’ मल्कियत ठाकुर के साथ किया तो “मारे गए गुलफाम’ और “खतरा ए जान’ निर्देशक लक्ष्मण कुमार के साथ। दूरदर्शन के लिए ही एक कार्याम “जागो ग्राहक जागो’ भी किया। इसके अलावा इंडिया टीवी के एक बॉलीवुड की खबरों के डेली प्रोग्राम “स्टार और स्टाइल’ की 4 महीने एंकरिंग भी की।

म्यूजिक वीडियो भी तो किया था?

हॉं, पंजाबी सिंगर बैरी गारचा का म्यूजिक वीडियो एलबम था। अनिल शर्मा के निर्देशन में “परदेसी हो गए।’

“दुविधा’ में आपका रुक्मणी देवी का कैसा किरदार है? उसके बारे में कुछ बताएं!

मैं इस फिल्म में एक ऐसी महिला बनी हूँ, जो सन् 1930-1940 के दौर की एक मशहूर नेता है। आजादी के आंदोलन में उसने अहम भूमिका निभाई है और समाज में फैली बुराइयों को भी दूर करना उसका मकसद है। यह एक बहुत ही प्रभावशाली भूमिका है, जिसे करते हुए मेरे मन में देश प्रेम के प्रति इतनी भावनाएं जाग्रत हो गई हैं कि मैं खुद देश और समाज के लिए कुछ न कुछ करना चाहती हूँ।

उस दौर की महिला का रोल करने के लिए क्या कोई खास किस्म की तैयारी की?

मुझे शुरू में लगा कि यह वाकई मुश्किल काम होगा लेकिन लेखक-निर्देशक शरत कुमार ने मुझे इस रोल के बारे में इस तरह समझाया कि मैं उस रोल के काफी करीब पहुँच गई। शरद जी के अलावा इस काम में मैंने अपनी दादी और नानी से भी काफी मदद ली। उन्होंने मुझे बताया कि उस दौर में महिलाएं कैसी होती थीं, कैसे रहती थीं और कैसे बोलती थीं? यह सब देख सुन कर, मैंने इस रोल को चुनौती के रूप में लिया तो मेरा काम आसान हो गया।

इन दिनों और क्या कर रही हैं?

थिएटर तो थोड़ा- बहुत चलता ही रहता है। एक दो धारावाहिक के लिए भी बात चल रही है, फिर शरत कुमार जी रुक्मणी देवी को लेकर ही एक धारावाहिक प्लान कर रहे हैं, जिसमें मैं रुक्मणी का ही रोल फिर से करूंगी।

वैसे आपकी दिलचस्पी किस तरह के रोल में ज्यादा है?

मेरी दिलचस्पी ग्लैमरस रोल में ज्यादा नहीं है और न ही मैं फिलहाल कोई नेगेटिव रोल करना चाहती हूँ। शुरुआत इतने पॉवरफुल रोल से हुई है तो मैं आगे भी पॉवरफुल रोल ही करना चाहती हूँ। रोल चाहे दो मिनट का हो या दो घंटे का मगर छाप छोड़ने वाला होना चाहिए। मैं चाहे कम काम करूं लेकिन कुछ अलग हट कर करना चाहती हूँ। जैसे यश चोपड़ा की फिल्में और उनके किरदार होते हैं। मेरी इच्छा है स्मिता पाटिल और तब्बू जैसे रोल करूं।

 

– रिशा शर्मा

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