टीकाकरण ही दिमागी बुखार का एकमात्र उपाय

vaccination-in-indiaजापानी इंसेफलाइटिस (दिमागी बुखार) एक गम्भीर वाइरस जनित बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है। जलीय पक्षियों व चिड़ियों को काटा मच्छर यदि किसी व्यक्ति को काट ले तो वह इस बीमारी की चपेट में आ जाता है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों में 30 प्रतिशत की मौत हो जाती है और 40 प्रतिशत लोग विकलांग हो जाते हैं।

इस बीमारी से बचने का उपाय टीकाकरण ही है, जो एक से पन्द्रह वर्ष के बीच के बच्चों को लगाया जाता है।

इस बीमारी से बचने के कुछ और उपाय

  • बिस्तर पर मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • घर के आस-पास जहां भी पानी इकट्ठा हो, उसमें मिट्टी भर के मच्छरों की आबादी को बढ़ने से रोकें।
  • पानी के बर्तन व टंकी को ढंककर रखें।
  • घर के आस-पास झाड़ियों को न बढ़ने दें और आस-पास के वातावरण को साफ रखें।
  • घर के बहुत करीब मवेशी न हों, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
  • घर या आस-पड़ोस में किसी बच्चे को तेज बुखार हो तो उसे फौरन उपचार के लिए चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
  • बीमारी का शुरू में पता चल जाने और उपचार जल्दी शुरू हो जाने से बच्चे की जान को बचाया जा सकता है।

बच्चों के साथ कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें टीका नहीं लगवाना चाहिए, उन्हें ध्यान रखना जरूरी है-

  • जिन बच्चों को 24 घंटे में बुखार आया हो।
  • अगर बच्चा काफी समय से बीमारी झेल रहा हो, जिनमें गुर्दा, लीवर की बीमारी मुख्य है।
  • यदि बच्चे का कान बहता हो या उसे पीलिया हो।
  • किसी चीज से एलर्जी हो या दवा रियक्शन करती हो।
  • बच्चे को किसी कारण से सूखा रोग हुआ हो।

– डॉ. दुर्गाप्रसाद शुक्ल आजाद

 

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