धन तेरस

धन तेरस कार्तिक वदी 13 को आती है । इस दिन सुबह जल्दी उठकर माता धोकर न्हाते हैं, कोरे कपडे पहनते है, मन्दिर जाकर आते हैं, अच्छी रसोई बनाते हैं ।

धन तेरस कैसे मनाते है

dhanteras-laxmi-poojaधन तेरस की शाम एक दीपक में मूंग के कुछ दाने , कुछ फूले , एक छोटी कील और एक छेद की हुई कौड़ी रखते है ( कौड़ी को घिसने से उसमे छेद बन जाता है ) । इस दीपक में चार बत्तियां लगाकर तेल डालकर इसे जलाते है। इस चार मुँह से जलते दीपक को घर के मुख्य द्वार के सामने रख देते है। सुबह इसमें से कौड़ी निकालकर घर में रूपये पैसे रखने वाली जगह रखते है।

धन तेरस का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी। अतः इस दिन लक्ष्मी पूजा और कुबेर पूजा शुभ मानी जाती है। धन तेरस के दिन भजन आदि गाए जाते है। माँ लक्ष्मी को नैवेद्य के रूप में मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन गुड़ और कुटे हुए धनिये को मिलाकर प्रसाद बनाकर भोग लगाया जाता है। गांवों में पशुओं की पूजा की जाती है जो कि लक्ष्मी का स्रोत होते है।

दक्षिण भारत में गायों को विशेष सम्मान देकर पूजा जाता है। इसे अश्वयुज बहुला त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। अश्वयुज मतलब चाँद और बहुला मतलब कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी यानि तेरस।

आयुर्वेद चिकित्सा के जनक धन्वन्तरि की जयंती अर्थात जन्म दिन के रूप में भी इसे मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा धनवंतरी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया गया है। अतः इस दिन का बहुत महत्व है।

इसके अलावा इस दिन यमराज को दीपदान और पूजा करके स्वस्थ और लंबे जीवन का आशीर्वाद लिया जाता है । इस दिन बर्तन या गहने आदि खरीदना शुभ माना जाता है। व्यापारी अपने लिए नए बही खाते खरीदते है।

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