बर्फ पानी पर तैरता क्यों है?

why-do-ice-float-on-waterदोस्तों, बर्फ ठोस होता है, इसलिए भारी भी होता है। लेकिन जब उसे पानी में डालते हैं तो वह डूबता नहीं बल्कि तैरने लगता है। जब तापमान ठंडा या बहुत कम होता है, तो पानी जमकर बर्फ बन जाता है। जमने पर पानी बहुत फैलता है। अतः दस लीटर पानी लगभग 11 लीटर ठोस बर्फ बनाता है। लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आता कि बर्फ ठोस होता है, तो वह पानी में डूबता क्यों नहीं, उसमें तैरता क्यों रहता है? वास्तव में कोई चीज पानी में तैरती या डूबती एक सिद्घांत के तहत है, जिसकी खोज यूनानी गणितज्ञ आर्किमिडिज ने ईसा से तीन शताब्दी पहले की थी। इस नियम को “आर्किमिडिज सिद्घांत’ कहते हैं। इसके तहत कोई भी चीज अगर तरल (लिक्विड) में डाली जायेगी, तो वह जितने भार के तरल को हटाती है, उसके बराबर बल से ऊपर की ओर उठी रहती है।

आया कुछ समझ में? नहीं? आओ इसे यूं समझते हैं।

लकड़ी पानी से आधी हल्की होती है, इसलिए जितना उसका वाल्यूम है, उससे आधा पानी उसे उठाए रखेगा। लकड़ी पानी के 1/5 जितना भारी होता है और बर्फ 9/10 भारी होता है। यही वजह है कि आइसबर्ग का लगभग 9/10 हिस्सा पानी के अंदर होता है और आइसबर्ग जितना हमें दिखायी देता है, उससे कहीं बड़ा भाग पानी में डूबा रहता है।

वैसे बर्फ पर अगर दवाब या प्रेशर बढ़ा दिया जाये, तो वह पिघलने लगता है। लेकिन जैसे ही दबाव हटता है, तो वह फिर तेजी से जमने लगता है। जब तुम स्नोबॉल को दबाते हो, तो कुछ आइस िास्टल्स पिघल जाते हैं, लेकिन जब आप दबाना बन्द कर देते हो, तो वह फिर से जम जाते हैं और गेंद सख्त हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि पानी जमने पर बहुत तेजी से फैलता है। बर्फ बनते समय जबरदस्त बल लगता है।

अगर किसी चट्टान की दरार में पानी फंसकर जमने लगे तो चट्टान फट जायेगी। पहाड़ों के आहिस्ता-आहिस्ता टूटने में यह महत्वपूर्ण होता है। फिनलैंड की खदानों में मजदूर बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़ने के लिए उनकी दरारों में पानी भर देते हैं और उसे जमने देते हैं। इस तरह चट्टानें तोड़ने में उन्हें अतिरिक्त मेहनत की ़जरूरत नहीं पड़ती।

 

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