मनोचिकित्सक गौरी प्रधान

“क्योंकि सास भी कभी बहू थी…’ की सबसे सुंदर बहू नंदिनी विरानी यानी गौरी प्रधान कहती हैं, “बचपन से ही दूसरों की मन की बातें मैं बहुत अच्छी तरह से समझ जाती थी। यदि मैं अभिनय में न आती, तो मनोचिकित्सक होती। काउंसलिंग करती।’ आज भी अभिनय के साथ-साथ गौरी ने अपनी मनोविज्ञान की पढ़ाई को जारी रखा है। गौरी हंसकर कहती है, “कभी एक्ंिटग से अवकाश लिया, तो लोगों की मानसिक परेशानियों का समाधान करने में मजा आएगा। वैसे अभी पार्ट टाइम के रूप में अपने कुछ दोस्तों को ऐसी ाी सर्विस देती रहती हूँ।’

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