लोग कहते हैं वैश्वीलकरण, उदारीकरण व निजीकरण

आज देश में महंगाई, बेरोजगारी व गरीबी बढ़ी है। महंगाई के कारण 70 प्रतिशत लोगों की दैनिक आय घटी है तथा बेरोजगारी बढ़ी है। वैश्‍वीकरण, उदारीकरण तथा निजीकरण के चलते एक ओर बाजार में चाइना आइटम भरे पड़े हैं तो दूसरी ओर देश में अधिकतर वस्तुएँ निर्यात के लिये बनायी जाती हैं। अतः भारतीय उद्योग की हालत खस्ता हो रही है। इस प्रकार बिगड़ती अर्थ व्यवस्था से तथा बिगड़ते राजनीतिक समीकरणों से सेन्सेक्स लुढ़क रहा है। आज महंगाई तथा औद्योगिक विकास दर में कोई तालमेल नहीं है। लगता है सरकार करना कुछ चाहती है और हो कुछ जाता है। शायद देश की संपूर्ण व्यवस्था पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। वोट बैंक की राजनीति के तहत देश में सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा जातिगत समस्याएँ पैदा कर देने से राजनीतिक दलों की इच्छाशक्ति जवाब दे रही है। क्योंकि हमारी संपूर्ण नीतियां कुल व्यवस्था को ध्यान में रखकर नहीं बनायी जाती हैं। देश में एकजुटता बढ़ाने की नीतियां काम नहीं कर रही हैं। कुल मिलाकर वैश्‍वीकरण, उदारीकरण व निजीकरण देश के लिए घातक ही सिद्ध हो रहा हैं।

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