लोे फिर आ गया झमझामा बारिश का मौसम

दोस्तों, रिमझिम-रिमझिम बारिश कितनी प्यारी लगती है ना। वैसे तो बारिश का मौसम कभी का आ चुका है, लेकिन लगता है इस बार देश के दक्षिण-पश्र्चिम प्रान्तों सेे इन्द्र देवता थोड़े नारा़ज हैं। तभी तो बरसात के बादलों को यहां नहीं भेज रहे थे। बहरहाल, अब बारिश हो रही है। कभी हल्की तो कभी झमाझम बरसात हो रही है। ऐसे मौसम में तुम क्या करते हो? अरे, अब ज्यादा मत छुपाओ, तुम्हें कल ही जब बारिश हो रही थी, मैंने भीगते हुए देखा था। किस तरह तुम दूसरे दोस्तों के साथ पार्क में खेल रहे थे। एक-दूसरे पर पानी उछालकर तुम कितना खुश हो रहे थे। कीचड़ में भरे हुए तुम्हारे कपड़े और तुम्हारे हाथ-पैर… बहुत म़जा आ रहा था न…।

पर मैंने देखा कि तुम उस बच्चे को भी जबर्दस्ती अपने साथ घसीट रहे थे, जिसका मन पानी में जाने का नहीं था। अरे! जिसको नहीं भीगना है उसे मत घसीटो, किसी के साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करनी चाहिए। फिर तुम खुद ही कीचड़ में लोट-पोट हो रहे थे। ये तो ठीक था, लेकिन तुम अपने दोस्तों पर जो कीचड़ फेंक रहे थे, वह मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। दूसरों पर कीचड़ फेंकना तो अच्छी बात नहीं है। क्या तुमने “कीचड़ उछालना’ जैसे मुहावरे को सुना है? शायद वह इसीलिए बनाया गया होगा।

कीचड़ में खेलकर आने के बाद क्या हुआ? मम्मी ने डॉंटा कि पानी में क्यों गए थे? कभी सर्दी लग गई तो? तब तुम्हारा गोलमटोल मुँह कैसा गोलगप्पे जैसा फूल गया होगा। मम्मी की बात भी तुमको समझनी चाहिए। वो तुम्हारी फिा करके ही तो तुम्हें डॉंट रही थीं।

सचमुच में एक, दो बार तो चलता है लेकिन बार-बार इस तरह भीगने से तुम्हें ़जरूर सर्दी लग सकती है। कीचड़ में तो तुम खेलते हो, पर क्या खेलते समय एक बार भी तुमने सोचा कि तुम्हारे कीचड़ भरे कपड़े धोने में मम्मी को कितनी तकलीफ होगी। देखो, हमें आनंद उठाने का पूरा अधिकार है, लेकिन किसी को तकलीफ पहुँचाकर उठाया गया आनंद कोई आनंद नहीं है क्योंकि उससे किसी को परेशानी होती है। अब जब भी कीचड़ में खेलो, मेरी बात ध्यान में रखना।

स्कूल ठीक चल रहा है न। पढ़ाई, होमवर्क सब समय पर कर रहे हो कि नहीं। तो फिर ठीक है, बारिश का मजा लो और साथ में पढ़ाई भी करो।

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