हाईब्लड प्रेशर

भारत में हर नौवॉं व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। उच्च रक्तचाप के बड़े पैमाने पर मौजूद होने के बावजूद ज्यादातर लोग इसकी उपस्थिति से अनजान हैं, क्योंकि आरंभिक चरण में इसके कोई लक्षण स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं।

उच्च रक्तचाप का जोखिम

अनुसंधान से पता चलता है कि जिन लोगों को उच्च रक्तचाप है, वे सामान्य रक्तचाप वाले लोगों की तुलना में दो गुना दिल की बीमारियों का शिकार होते हैं। उच्च रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति को हृदयाघात की संभावना चार गुना और स्टोक आने की संभावना सात गुना होती है।

140/90 एमएमजी को हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप कहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर रक्त वाहिकाओं, दिल, दिमाग, गुर्दा तथा अन्य अंगों को भी क्षति पहुँचा सकता है। इसके अतिरिक्त जटिल बीमारियों जैसे हार्ट अटैक और गुर्दे की बीमारियों की तरफ ले जा सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है। उच्च रक्तचाप को “मूक हत्यारे’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह बिना किसी प्रमुख लक्षण के नुकसान पहुंचा सकता है। इसके पता ना चलने और इलाज में देरी होने के यही कारण हैं।

उच्च रक्तचाप की बढ़ती उपस्थिति

उच्च रक्तचाप की बढ़ती घटनाएँ जल्दी ही भारत को दुनिया में उच्च रक्तचाप की राजधानी बना देंगी। वर्ष 2000 में दुनियाभर में लगभग एक अरब लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित पाये गये। भारत में 1.20 करोड़ लोग सन् 2000 में उच्च रक्तचाप से प्रभावित हुए थे और 2025 तक यह संख्या बढ़कर 2.13 करोड़ हो जाने का अनुमान है। कम उम्र में लोगों में उच्च रक्तचाप की घटनाएँ बढ़ी हैं। इसके विभिन्न कारक हैं जैसे शहरीकरण, औद्योगीकरण, गलत आहार अभ्यास और अलग ढंग की जीवनशैली।

लक्षण

आमतौर पर चिकित्सक की नियमित जॉंच के दौरान इसकी खोज होती है। अगर रक्तचाप बहुत अधिक और जल्दी बढ़ता है तो यह उच्च रक्तचाप संकट की ओर ले जा सकता है। बहुत ही उच्च रक्तचापों के कारणों में शामिल है –

  • सिरदर्द, विशेष रूप से सुबह (कनपटी में)
  • दृश्य गड़बड़ी
  • मतली और उल्टी

उच्च रक्तचाप कई अंगों को क्षति भी पहुँचा सकता है जिसके परिणामस्वरूप

  • सीने में दर्द, स्टोक, किडनी फेल, नेत्र क्षति हो सकती है। उच्च रक्तचाप सीधे तौर पर 57 प्रतिशत स्टोक और 24 प्रतिशत कोरोनरी धमनी रोगों से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है।

सावधानियॉं

उच्च रक्तचाप बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता रहता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि समय पर इसकी पहचान कर इसकी जटिलताओं को रोकें। निवारण इलाज से बेहतर है। 30 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाएँ और 25 वर्ष से अधिक आयु वाले पुरुष नियमित रूप से इसकी जॉंच कराएं।

ऐसे लोग जिनका इस रोग का पारिवारिक इतिहास है या जिनकी जीवनशैली की वजह से यह रोग हो सकता है, उन्हें तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

– डॉ. जे.पी.एस. साहनी

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