अनन्त चौदस

भादवा सुदी चवदस या चोथ से चवदस के बीच के दिन गाज का उद्यापन करते है। यह उद्यापन लडका होने के बाद करते है भादवा सुदी में अच्छा बार देखकर इस उद्यापन को करते है इसउद्यापन में 6 औरते+ 1 ब्राह्मणी को खाना खिलाते है एक जल के लोटे पर साखिया करते है सात दाने गेहुं के हाथ मेलेकरकहानी सुनते है। औरतो को खाना खिलाकर ब्लाउझ पीस या रु या बर्तन कुछ भी यथाशक्ति देते है। सासुजी को पगे लागनी देते है। साखिये से साख भरवाते है।

गाज की कहानी

एक राजा थो, एक रानी थी, दोनु जणा महल में सुत्या था,गाज माता बोत जोर सुं गाजी तो रानी बोली है गाज माता अगर म्हे न्हाई रह जाउं तो, थारे सीरा की कडाई करुं पीछे रानी न्हाई रहगी, थोडा दिन बाद रानी बोली कि हे गांज माता मेरेबेटो हो जावेतो मे दो सीरा की कडाई करुंगी,रानी केलडको भी हो गयो, पण बा कडाई करी कोनी, गाज माता सोची कि या तो आपा न भूलगी, सो एक दिन गाजती-घोरती आई और पालना सुदां लडका न उठा कर लेगी, एक भील-भीलनी था बिना क घरा पालनो लेजा कर रख दियो, बे भोत गरीब था, उनाक बच्चा भी कोनी था,दोनू जणा जंगल म गयेडा था आकर लडका न देख्या तोबोत राजी होया और ऊ न खिलाबा लाग गया। एक धोबी थो जिको राजा का और भील का कपडा धोतो बठी न राजा केघर मे रोलो हो रयो थो कि गाज मातालडका न उटा करलेगी, तब धोबी बोल्यो एकलडको पालना म भील क घर सुत्यो है राजा भील न बुला करपुछयो, लडको तेर अठ कैया आयो भील बोल्यो कि म्हे गाज माताको व्रत करता, म्हाने तो वे हीदियो हे। जद रानीन याद आयो कि म दो सीरा कीकडाई बोली थी करी कोनी जिके से म्हारे बेटो चल्यो गयो है। रानी बोली हे गाज माता म्हारो बेटो पाछा ल्यादे म्हे जितनी कठाई बोली हां, उसे दुगनी करांगा। गाज माता को खूब धूम धाम से उजमन किरीयो गाज माता लडका न पाछो ल्या दियो, बठिने भील का भी घरा घन हो गयो, लडको हो गयो, राजा सारी नगरी मे हेलो फिरा दियो कि सब कोई जाये-ब्याहे रोगाज माता रो उजमन करियो, हे गाज माता जिसो रानी न भिलनी न धन लडको दियो बिसो सबने दिया।

गणेशजी की कहानी

एक सेठ था बिके सातबेटा था डयोडी पर दादीजी रे हाथ सुं गणेश जी बिठायोडा था, सारीबहुआं गणेशजी सुं घुघंट निकाले सातवे बेटे रो विवाह हुयो, बहु अग्रेजी पढयोडी आई घर का सारा आदमी दुकान चल्या गया बहु आपरी जेठानियां ने पुछी भाभीजी आदमी तो सारा चल्यागया, अब थे किसुं घुघंटो काहयो हो, जेठानियां बोली बहु डयोडी पर दादी सुसराजी रे हाथ रागणेश जी बिठापोडा है,सोबाहुं घुघंट काडा अब तो जठिने जावे बठिने ही घुंघटो क्युकि गणेश जी डयोडी परबैठा, चारुं पासी दिखे, छोटोडी बहु सोची किआ गणेशजी न ही अठे सुं हटा देउतो सारी झंझट ही खतम दु जावे, ओ सोच सोच जियान ही हटावण ने हाथ करयो, दोनु हाथ गणेशजी र चोंट गया अब तो बा घणी कोशिश करी पर हाथ नहीं छुटे, सासु हेला करिया आओ बिनणियां जीम ल्यो, छ तो आ गई सांतवी कोनी आई सासु कियो छोटकी कठे हे तो केवे गणेशजी रवने उबी है सासु बुलावण तांइ गई- बहु अठे कांइ करे तो केवे म्हारा तो हाथ चौंट गया, तो बोली के बात हुई बहु सासु न सारी बात बता दी सासु बोली बेटा देवतां रा हल हुवे कि छल सासु गणेश जी सुं माफी मांगी है सवा मण रो चुरमाकरसुं बिनणी रा हाथ छोडो झट बिनायकजी बिनणी रा हाथ छोडिया है सासु सवा मण रो चुरमो करियो हे हे बिनायक जी महाराज जिसो बहु न चुटकलो दिखायो बिसो कोई न ही मत दिखाइय्यो।