अनूठी है अंतरिक्ष की दुनिया

life-unique-in-spaceदोस्तों, अभी-अभी हमारे देश के महान वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया चंद्रयान-प्रथम सफलतापूर्वक चांद पर भेजा गया। यह मानवरहित अंतरिक्ष यान है, जो चांद पर विभिन्न प्रकार के शोध करके वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्रों को भेजेगा। निःसंदेह यह हमारे देश की बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिस पर सभी देशवासियों को असीम गर्व है। हालांकि यह मानवरहित अंतरिक्ष यान है, लेकिन अंतरिक्ष में या चांद पर मानव के कदम बहुत पहले ही पड़ चुके हैं। अंतरिक्ष में जाने वालों में हमारे भारतीय भी शामिल हैं। राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स को कौन नहीं जानता। दोस्तों, अंतरिक्ष में जाने वालों के चन्द दृश्य आपने टीवी पर तो देखे ही होंगे। यान से जाना, उड़ते हुए चलना… सब कुछ कितना अलग और अनोखा होता है। लेकिन वैज्ञानिकों का पृथ्वी से सैकड़ों मील दूर जाना, अंतरिक्ष के वातावरण में खुद को ले जाना इतना आसान नहीं होता।

इस दुनिया में जाने के लिए कई वर्षों तक प्रशिक्षण लेना होता है और महीनों चलती हैं तैयारियां।

अंतरिक्ष हमेशा से मनुष्य के रहस्यों की खान रहा है। वैज्ञानिक जितनी उसकी परत खोलते हैं, उनका आश्र्चर्य और अंतरिक्ष का रहस्य और अधिक गहराता जाता है। अभी हाल ही में वैज्ञानिकों ने दूर अंतरिक्ष में एक अनोखा ग्रह खोज निकाला है, जो फूल-सा हल्का है। इसका आयतन तो हमारे सौरमण्डल के विशालतम ग्रह वनस्पति से भी अधिक है। परन्तु इसका भार उससे आधा है। उस नए ग्रह को वैज्ञानिकों ने नाम दिया है- एचएटी-1-पी। यह हमारे सौरमण्डल से 450 प्रकाशवर्ष दूर, लेस्त्रेय तारा मण्डल का एक सदस्य है और एक तारे के इर्द-गिर्द घूम रहा है। फिलहाल वैज्ञानिकों के सामने और भी रहस्य खड़े हो गए हैं कि आखिर अंतरिक्ष में इतने हल्के, कम घनत्व वाले ग्रह किस प्रकार बनते हैं? आइए, अब आपको अंतरिक्ष की कुछ म़जेदार जानकारियों से रू-ब-रू कराते हैं-

चूंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, इसलिए वहां पर लिखना संभव नहीं होता। इन दिनों वैज्ञानिक एक ऐसा पेन बनाने में जुटे हैं, जिससे अंतरिक्ष में भी बिना किसी परेशानी के लिखा जा सके। इस पेन में रबर जैसी स्याही भरी होगी। जिससे यह पानी के अंदर भी काम कर सकता है।

अंतरिक्ष यात्रियों में कुछ ऐसे भी रहे हैं, जो शाकाहारी थे- इनमें से एक थीं-कल्पना चावला।

टैंग पानी में मिलाकर पिये जाने वाले ऑरेन्ज फ्लेवर वाले डिंक को 1969 के अपोलो मिशन में चांद पर ले जाया गया था।

अंतरिक्ष में रॉकेट से जाने की पहली कोशिश चीन में मिंग राजवंश के वान हू की ने की थी। उन्होंने कुर्सीनुमा यान बनाया था। जिसके ऊपर पतंगें लगाई और बारूद के विस्फोट से उड़ने की कोशिश की, यह प्रयास असफल रहा और बारूद के विस्फोट से उनकी जान चली गई।

रूस की वैलेंतीना तेरेश्कोवा पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं।

जॉन ग्लेन दुनिया के सबसे यादा उम्र के व्यक्ति थे, जो अंतरिक्ष में गए। उस वक्त वे 77 वर्ष के थे। भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अंतरिक्ष में 188 दिन रुकीं।

– निश्मा भोंडवे

You must be logged in to post a comment Login