ऐरा मिनधारी हावै जारी ममता न डोले भजन

ऐरा मिनधारी हावै जारी ममता न डोले
समजी व्यामे सासा है ना ही
सेन भगत घर संत पधारीया
हस मिल्या दोनों नर नारी
पाव धोय चरनामृत लीनों
हिरदा में हेत हूया भारी
केवे सेनजी सुनो स्त्री
करो रसोई म्हारला हरताई
थे तो यानी सेवा में रही जो
में जावु राजा वाई
केवे स्त्री सुनो मारा सायवा
करा भजन दोनों नर नारी
राजा रिसावे जारी नगेरी राश्‍वसी
सायबो रिसाया टोड कीरी
आधी रात का हर छुआ नाई
जामिल्या राजा ताई
दोनों हाथ धरिया सिर माथे
देह कंचन कर दी सारी
उठ प्रभात राजोजी बोले
हल कारा हाजर होई
बेगा बुलाओ म्हारा सेन सायब ने
टूटो राव केवे काई
जाय हलकारों हेलो पाड़ियो
सेन सायब कई घर माही
बेगा चालो ढिल नहीं करना
टूटो राव केवे काई
केवे सेनजी सुनों मारा संता
देवों आज्ञा गुरा मा ताही
जीवता रध्यां तो फेर मिलारा
नहीं तो मिला स्वर्ग माही
जावों सेन सासो मत राखो
है ताली गिरधर ताही
के तो राजा जी भली बिचारे
म्हारी देह चारा ताही
जाय सेन कचेरी में उबा
कहो राजन कारण काही
जल्दी भोलाओ ढिल नहीं करना
संत कलपे म्हारा घर माही
ले नारी थल राजाजी
उठीया जाय पडीया चरणा मही
राज पाट सब हवाले तुम्हारे
दाल पापडा मा ताही
में मागु अब चल अविनाशी
तु राजन हेसी कोई
संत रे शरण सेन संत बोले
जुगा जुगा रो हो साई

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