कैसी बनी बैण्ड एड?

न्यूजर्सी में रहने वाले अर्ल डिक्सन ब्रन्स्वीक, जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में रुई (कॉटन) खरीदने का काम करते थे। अर्ल की पत्नी जोसेफीन रसोई में जब भी काम करतीं तो अक्सर उनके हाथ की अंगुली चाकू से कट जाती या फिर किसी गरम ची़ज से वह जल जातीं। अर्ल हमेशा समझाते कि सावधानी से काम करो, लेकिन जोसेफीन अपनी आदत से मजबूर होकर कुछ न कुछ कर बैठतीं। अर्ल अपने घर में रुई के साथ अपनी कंपनी की बनी कुछ दवाएँ भी रखते थे। जिसे वे पट्टी की सहायता से जोसेफीन के घाव पर बॉंध देते। लेकिन पुराने ढर्रे की पट्टी बॉंधने के लिए दोनों हाथों की जरूरत होती थी। और अर्ल जोसेफीन की मदद करने के लिए हमेशा तो घर पर मौजूद नहीं रह सकते थे। अर्ल ने सोचा कि क्यों न वे एक ऐसी पट्टी बनाएँ जो एक स्थान पर टिकी रहे। जिसे बॉंधना आसान हो या कोई भी व्यक्ति एक ही हाथ के प्रयोग से बॉंध सके। अर्ल ने यह भी ध्यान रखा कि इस तरह की पट्टी इन्फेक्शन या संक्रमण से ज्यादा से ज्यादा बचाव कर सके और इसकी जीवाणुहीनता देर तक बरकरार रहे। सन् 1920 की बात है, एक दिन डिक्सन ने रसोई की मेज पर तीन इंच चौड़े डॉक्टरी टेप को फैला दिया और उसका चिपकने वाला हिस्सा ऊपर की ओर रखा। फिर उसके बीचोंबीच जालीदार कपड़े को रख दिया ताकि चिपकने वाले हिस्से दिखते रहें। टेप को साफ रखने और गोंद को सूखने से बचाने के लिए उसे कपड़े के टुकड़े से ढॅंक दिया।

अब श्रीमती डिक्सन को कभी भी चोट लगती तो वह अपने पति द्वारा बनाए टेप का टुकड़ा काटकर कपड़े को हटाकर एक ही हाथ के प्रयोग से पट्टी को घाव पर लगा सकती थीं। जब डिक्सन ने अपने इस प्रयोग के बारे में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के अध्यक्ष जेक्स जॉनसन से चर्चा की तो उन्होंने इस कारनामे में छिपे आविष्कार की खूबियों को तुरंत भॉंप लिया। जॉनसन ने डिक्सन के इस आविष्कार को पेटेंट कराया, क्योंकि उसकी कंपनी ने इसे थोड़ा सुधार कर बनाने और बेचने का निर्णय किया था। जल्द ही डिक्सन का आविष्कार बैंड एड अपने विश्र्व प्रसिद्घ नाम के साथ बाजार में बिकने लगा और डिक्सन अर्ल को पदोन्नति देकर कंपनी का वाइस प्रेसीडेंट बना दिया गया।

शुरूआत में बैंड एड पट्टियां हाथ से तैयार की जाती थीं और तीन इंच चौड़ी तथा अठारह इंच लंबी होती थीं। जब ़जरूरत होती तो लोग एक टुकड़ा काटकर घाव पर लगा लेते थे। लेकिन 1924 में जॉनसन एंड जॉनसन ने एक मशीन लगाई, जो पट्टी को तीन इंच लंबे और तीन चौथाई इंच चौड़े आकार में काटती थी। इस सुविधा के जुड़ जाने से एक साल में इसकी बिाी 50 प्रतिशत बढ़ गई। आजकल बाजार में वाटरप्रूफ बैंड एड भी मिलती है, जिसके लगाने से भीगने के बावजूद घाव को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

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