गणपति के भजन

विघ्न हरण गवरा के नन्दन, रखो लाज मोरी गणपति
दास तुम्हारा अर्ज करते है, सुन मालिक कैलाश पती ॥ टेर ॥
रामचंद्र सीता को परणे, लक्ष्मण रहगये बालजती
तीन लोक से वो है न्यारे, रावण मारयो लँकपती॥
महादेव पारबता परणे, तीन लोक में वो शक्ति
महादेव के सँग में रहकर, करे प्रेम से वो भक्ति॥
हनुमान रामजी के पायक, जन्म लियो अन्जनी शक्ति
पाप कपट से वो है न्यारा, करे राम की वो भक्ति॥
चाँद सूरज दो सखा बन्या है, हुआ उजियाला सब पृथ्वी
जस्सूलाल ने छन्द ललकार, बैठ सभा आदर होती॥

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