डिजिटल क्रांतिकारी का मूल आधार है माइक्रोचिप

कंप्यूटर को क्षमताओं के मामले में जादुई किसने बनाया? इस सवाल का एक ही जवाब है, “स्मॉल वंडर’ यानी माइक्रोचिप ने। अगर माइक्रोचिप का आविष्कार न हुआ होता तो न तो कंप्यूटर, टकों और घर के कमरे जैसे आकार से छोटा हो पाता और न ही इतना क्षमतावान कि उसे जादू का पिटारा समझा जाता।

माइक्रोचिप का आविष्कार 50 साल पहले हुआ था। 1958 की गर्मियों में जैक किल्बी ने दुनिया के पहले इंटीग्रेटेड सर्किट या माइक्रोचिप को डिजाइन करना शुरू किया। लगभग इन्हीं के साथ-साथ एक और व्यक्ति रॉबर्ट नायस भी माइक्रोचिप बनाने में लगे थे और दोनों ही व्यक्तियों ने अपने-अपने उत्पाद को पेटेंट कराने के लिए एक ही समय आवेदन किया। माइक्रोचिप पहली बार सन् 1961 में आम लोगों के लिए उपलब्ध हो सका। शुरूआती माइक्रोचिप में एक टांजिस्टर, एक केपेस्टर और 3 रजिस्टर थे, जबकि आज की माइक्रोचिप में 125 मिलियन तक टंाजिस्टर समाहित होते हैं।

आज माइक्रोचिप संचार उपकरणों की बुनियाद है। अगर माइक्रोचिप न होता तो आज सेलुलर फोन न होते, सुपर कंप्यूटर न होते और आज की समूची डिजिटल दुनिया का आस्तत्व न होता। क्योंकि समूची डिजिटल दुनिया की जान यही माइक्रोचिप है। आज माइक्रोचिप तमाम तरह के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण का आधार बन गया है। इसकी बुनियाद के बिना डिजिटल दुनिया का कोई भी उपकरण चल ही नहीं सकता। इंटरनेट ने जो आज तिलिस्मी दुनिया रची है, इस दुनिया का स्वप्न में भी आस्तत्व न होता, अगर माइक्रोचिप का आविष्कार न हुआ होता। वास्तव में समूची डिजिटल ाांति का मूल आधार है माइक्रोचिप।

हम जिस मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और इस मोबाइल फोन में जो तमाम फंक्शन आसानी से संभव हो जाते हैं, उस सबकी वजह माइक्रोचिप ही है। माइक्रोचिप की वजह से चीजें माइाो, मैाो और फिर नैनो हो गई हैं। माइक्रोचिप सिलिकॉन से बनती है। यह इंटीग्रेटेड सर्किट की एक साधारण चिप होती है। माइक्रोचिप प्रोग्राम लॉजिक और कंप्यूटर मेमोरी के लिए बनायी जाती है। माइक्रोचिप न सिर्फ कंप्यूटर के लिए अपितु माइाोवेव ओवन सहित ज्यादातर इलेक्टॉनिक सिस्टमों वाले उपकरणों के लिए ़जरूरी होता है। सिर्फ इलेक्टॉनिक गैजेट ही नहीं, आज माइक्रोचिप बायोलॉजिकल सिस्टम के लिए भी ़जरूरी हो गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मेडिकल की दुनिया में जो ाांति हुई है, उसमें भी माइक्रोचिप का ़जबरदस्त योगदान है। हृदय-रोगियों के लिए पेसमेकर आज किसी जीवनदान से कम नहीं। यह पेसमेकर बिना माइक्रोचिप के नहीं तैयार हो सकता। पेसमेकर हृदयगति को नियंत्रित रखता है। माइक्रोचिप का इस्तेमाल हाथ की घड़ियों, मोबाइल फोन से लेकर स्पेस शटल तक में होता है।

इलेक्टॉनिक्स की दुनिया की आत्मा माइक्रोचिप सभी तरह के कार्यशील तत्वों को एक बड़े सर्किट में आपस में जोड़ता है। माइक्रोचिप की वजह से ही कोई संचार या इलेक्टॉनिक्स उपकरण सस्ता या महंगा होता है। यह माइक्रोचिप ही है, जिसकी बदौलत आज नैनोमीटर स्केल तक संभव हो सकी है। जबकि लार्ज सर्किट में आज जुड़ने वाले तत्वों की संख्या लाखों में पहुंच गयी है।

कंप्यूटर में इन दिनों छपा हुआ इलेक्टॉनिक सर्किट आता है। इसे ही सिस्टम बोर्ड, मदरबोर्ड या माइक्रोचिप सर्किट कहा जाता है। दरअसल इस सिस्टम बोर्ड में कंप्यूटर के सभी इलेक्टॉनिक्स पुर्जों के लिए जगह बनी होती है और इन सबको बहुत बारीक धातु की रेखाओं द्वारा आपस में जोड़ा जाता है ताकि पूरा सर्किट बनकर तैयार हो। सिस्टम बोर्ड में माइाोप्रोसेसर या सीपीयू रैम चिप, रोम चिप, को-प्रोसेसर, एक्स्टा रैम चिप, पावर सप्लाई बॉक्स, डिस्क डाइव कंटोल कार्ड, आउट-पुट एडाप्टर कार्ड, स्पीकर और टाइमर के लिए जगह होती है और इन सभी जगहों को आपस में जोड़ने वाले बारीक तार लगे होते हैं। माइाोप्रोसेसर या सीपीयू किसी कंप्यूटर का महत्वपूर्ण और विशिष्ट हिस्सा होता है, जो वास्तव में कंप्यूटर पर काम करने वाले के आदेशों का पालन करता है। इसी के जरिए कंप्यूटर में तमाम किस्म के काम संभव होते हैं।

रैम चिप कंप्यूटर के काम करते समय जरूरी डाटा तथा प्रोग्राम को कुछ समय तक रखने के लिए होती है। कंप्यूटर की बिजली खत्म करते ही रैम पर रखा गया सारा डाटा स्वतः खत्म हो जाता है। रैम का कंटोल पैनल ही सिस्टम बोर्ड होता है। रैम चिप की तरह ही रोम चिप भी होती है। रोम चिप में ऐसे प्रोग्राम और डाटा रखे जाते हैं, जो पर्सनल कंप्यूटर की बिजली चालू करते समय ही चलाए जाते हैं। लेकिन कंप्यूटर की बिजली चली जाने के बावजूद इस पर भरा डाटा या प्रोग्राम खत्म नहीं होते। सिस्टम बोर्ड से यह भी जुड़ा होता है। को-प्रोसेसर वास्तव में एक अतिरिक्त प्रोसेसर है जो कई पर्सनल कंप्यूटरों में अतिरिक्त प्रोसेसिंग के उद्देश्य से लगाया जाता है। यह तभी कारगर होता है, जब प्रोग्राम में इसकी सहायता लेने का आदेश मौजूद हो। जहां तक एक्स्टा रैम की बात है, तो यह पर्सनल कंप्यूटर में मौजूदा मेमोरी को और ज्यादा बढ़ाने के लिए होती है। इसे लगाकर पर्सनल कंप्यूटर की मेमोरी को बढ़ाया जाता है।

डिस्क डाइव कंटोल कार्ड एक ऐसा सर्किट है, जो कॉपी तथा हार्ड डिस्क डाइव की मोटरों और उनसे डाटा आने-जाने पर कंटोल रखता है। वहीं आउटपुट एडाप्टर कार्ड, पर्सनल कंप्यूटर की मेमोरी और आउटपुट साधनों मसलन, प्रिंटर आदि के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता है। यह कार्ड उस सूचना को मेमोरी में लेकर उसको वाइनरी से असली चिन्हों में बदलकर सीन प्रिंटर को भेज देता है। जबकि स्पीकर पर्सनल कंप्यूटर में अलग-अलग किस्म की आवाजें निकालने का जरिया होता है और कंप्यूटर में लगा टाइमर काम करने के दौरान समय देखने की जरूरत को पूरी करता है।

– देवेश प्रकाश

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