नियति का बदला

शालू अपने सामने बैठे राजेश को ध्यान से देख रही थी। उसे राजेश की आँखों में कुछ अलग-सा सम्मोहन महसूस हो रहा था। वह सोच रही थी कि यही वो आँखें हैं, जो उसे हमेशा सपने में दिखाई देती हैं। अब उसे सब कुछ याद आने लगा। बाईस वर्ष पहले के राजेश और आज के राजेश में कुछ ज्यादा अंतर नहीं आया था। उम्र तो जैसे ठहर गई थी। बाईस वर्ष पहले भी राजेश ऐसे ही दिखते थे, वही सम्मोहक आँखें, वही प्यारी-सी मुस्कान। हॉं, उम्र की कुछ लकीरें जो पहले नजर नहीं आती थीं, अब थोड़ी-बहुत दिखने लगी हैं। बालों की हल्की-सी सफेदी हेयर कलर से बड़े करीने से छुपाई गई है।

शालू की तंद्रा भंग करते हुए राजेश ने पूछा, “”शालू जी बताइये, आप हमें कौन-सी डेट्स दे पाएँगी। हमने आपके लिए विशेष कहानी लिखी है। हम चाहते हैं कि मॉरीशस जाकर इस फिल्म को जल्दी से जल्दी पूरा कर लें।” शालू बोली, “”मैं अपने पापा से पूछकर आपको डेट्स बताऊँगी। आपके साथ काम करना मेरी दिली हसरत है।” “”थैंक्यू शालू जी” कहते हुए, राजेश चलने के लिए उठ खड़ा हुआ। शालू बोली, “”अरे, आप इतनी जल्दी जा रहे हैं? रुकिए, जरा ठंडा-गरम कुछ तो लीजिए।” राजेश बोला, “”नहीं-नहीं, मुझे जरा जल्दी है। आप समय निकाल कर मुझसे मिलिए, हम बाद में बात करेंगे।” और वह जल्दी से बाहर निकल गया।

राजेश को देखकर शालू को अपने सपने की बातें स्पष्ट होने लगीं और पिछले जन्म की स्मृतियों पर से धुन्ध छंटने लगी। जब शालू छोटी थी, तब अक्सर सोते-सोते चौंक जाया करती थी। थोड़ी बड़ी हुई, तो उसे अपने सपने की याद रहने लगी थी। एक दिन सोते में जब वह अचानक जोर से चिल्लाई तो मॉं ने झिंझोड़ते हुए पूछा था, “”शालू क्या हुआ? क्यों चिल्लाई?” शालू ने कहा, “”मॉं, मैंने एक सपना देखा है। मुझे एक आदमी बहुत ऊँचाई से धक्का दे रहा है और मैं नीचे गिरती जा रही हूँ।” मॉं ने कहा, “”शायद गलत मुद्रा में सो गई होगी या सीने पर हाथ आ गया होगा, इसी कारण तुझे डरावना सपना आ गया।” शालू ने भी समझा, ऐसा ही होगा। लेकिन उसे इस प्रकार के सपने लगातार आने लगे, तो मनोचिकित्सक को दिखाने का निर्णय लिया गया। एक दिन वे लोग डॉ. मल्होत्रा के क्लीनिक पर गए और शालू के सपने की बात उन्हें बताई। मनोचिकित्सक ने शालू से तमाम तरह के सवाल किये और उस आधार पर उसके लिए दवाइयॉं लिख दीं, जिन्हें लेने से शालू का दिमाग शांत रहने लगा था। डॉक्टर मल्होत्रा ने बताया था कि कभी-कभी बच्चों को अपने पूर्वजन्म की कुछ घटनाएँ स्मृति में रह जाती हैं, जो उन्हें सपने में दिखाई देती हैं। शायद शालू के पूर्वजन्म में कोई दुर्घटना हुई हो, जिसके कारण उसे ऐसे सपने आते हों। उन्होंने बताया था कि जब हमारी मृत्यु होती है, तो सिर्फ हमारा शरीर ही नष्ट होता है, आत्मा नष्ट नहीं होती। हमारी इसी आत्मा के साथ दस प्रतिशत बातें बनी रहती हैं, जो कि अगले जन्म में हमारे अचेतन मन में पड़ी रहती हैं और जब भी अनुकूल अवसर आता है तो वह बातें स्पष्ट होने लगती हैं। आप इसका हमेशा ध्यान रखना और कभी कोई असामान्य बात नजर आये तो तुरंत मेरे क्लीनिक में ले आना।”

शालू बचपन से ही बड़ी होशियार थी। सुंदर तो वह थी ही, डांस भी कमाल का करती थी। एक बार उनके शहर में बूगी-वूगी का ऑडीशन हुआ था। शालू ने भी कॉम्पटीशन में भाग लिया था। 800 बच्चों में वह फर्स्ट आई थी। बूगी-वूगी के संयोजकों ने उसे काफी सराहा था और अपनी प्रतिभा बनाये रखने की शुभकामनाओं के साथ ढेर सारे उपहार दिये थे। उस समय शालू की उम्र मात्र ग्यारह वर्ष थी। शालू ने अपना नृत्य का अभ्यास बनाए रखा। इस बात को गुजरे ग्यारह वर्ष हो गए। एक बार शालू के कॉलेज के एनुअल फंक्शन में फिल्म-स्टार राजेश जी आने वाले थे। शालू ने भी प्रोग्राम में भाग लिया था। एक तो राजेश जी के आने की उत्सुकता थी, दूसरी ओर उनके सामने डांस की प्रस्तुति देने के ख्याल से उसका दिल धक्-धक् हो रहा था कि पता नहीं ठीक से डांस हो पाएगा या नहीं। उस दिन बाईस दिसंबर की शाम थी। यथा समय अतिथि आकर अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे। दीप-प्रज्ज्वलन एवं अतिथियों के सम्मान के बाद कार्याम शुरू हो गया था। शालू का डांस चौथे नंबर पर था। तीन कार्याम पूरे हो चुके थे, शालू का नाम पुकारा गया था। शालू ने लाल रंग की कत्थक डेस पहन रखी थी। आते ही उसने पहले स्टेज की वंदना की, इसके बाद डांस किया तो सभी स्तब्ध होकर देखते रह गए थे। राजेश जो एकदम सामने बैठे थे, शालू के डांस से बहुत प्रभावित हुए थे। कार्याम के अंत में उन्होंने शालू के डांस की बहुत तारीफ की थी और कहा था कि यदि वह फिल्म में काम करना चाहे, तो उसके लिए एक अच्छी फिल्म बनाएँगे। राजेश की बात सुनकर वह गद्गद् हो गई थी। उसकी सहेलियॉं, दोस्त, मम्मी-पापा, टीचर्स सभी उसे इसके लिए बधाई दे रहे थे। शालू के लिए यह बड़े सौभाग्य की बात थी कि इतना बड़ा फिल्म-स्टार उसे अपनी फिल्म में चॉंस देना चाहता है।

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शालू का बी.ए. फाइनल का ऱिजल्ट निकल आया था। उसने कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। आगे क्या करना है, क्या निर्णय लेना है, समझ में नहीं आ रहा था। शालू एयर होस्टेस की टेनिंग लेना चाहती थी, जबकि उसके पिता महेश जी उसे एम.बी.ए. कराना चाहते थे। तभी एक दिन उनके घर फोन की घंटी बजी। फोन महेश जी ने उठाया था। उधर से आवाज आई, “”क्या यह शालू जी का नंबर है?” महेश जी ने कहा, “”हॉं कहिए, मैं उसका पिता महेश बोल रहा हूँ, आप कौन हैं?” वह बोला, “”मैं फिल्म-स्टार राजेश बोल रहा हूँ। मैंने आपकी बेटी के लिए एक कहानी तैयार करवाई है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी बेटी फिल्म-स्टार बने तो आप लोग जल्दी से जल्दी मुंबई आ जाएँ। बाकी बातें हम यहीं तय कर लेंगे।” राजेश की बात सुनकर महेश एकदम उछल पड़े। उन्होंने यह बात अपनी पत्नी सुजाता और बेटी शालू को बताई तो वह दोनों भी बहुत खुश हुईं। जून माह के अंत में तीनों राजेश के बताए पते पर मुंबई पहुँचे।

लगातार राजेश के कॉन्टैक्ट में रहते हुए, शालू को बचपन की धुँधली याद फिर ताजा होने लगी। उसे जो सपना आता था, उसमें उसे धक्का देने वाले व्यक्ति की शक्ल राजेश जैसी दिखने लगी। धीरे-धीरे उसे पिछले जन्म की बातें याद आने लगीं। वह जहॉं-जहॉं राजेश के साथ गई, उसे वह सारी जगहें जानी-पहचानी-सी लगीं। उसे लगने लगा कि वह निश्र्चित ही पिछले जन्म में राजेश की दोस्त रही होगी, तभी इस जन्म में भगवान ने फिर उसे राजेश से मिलवा दिया है। एक दिन शालू दोपहर को सो रही थी, तब उसने सपने में देखा कि वह राजेश के साथ एक बड़े होटल में गई है। वहॉं बहुत सारे लोग हैं, पार्टी चल रही है। किसी बात को लेकर उसका राजेश से झगड़ा हो जाता है। वह पैर पटकती हुई, होटल के टेरेस पर आ जाती है। वहॉं से नीचे झॉंक कर देखती है और डर कर पीछे हट जाती है तभी राजेश वहॉं आ पहुँचता है व उसे धमकाता है, दोनों में फिर बहस होने लगती है। वह राजेश से कहती है कि वह डरने वाली नहीं है। सुबह होते ही वह उसकी कारतूतों का भाण्डाफोड़ कर देगी। राजेश गुस्से में आग-बबूला हो जाता है। “”सुबह होगी तब न!” कहते हुए, उसे अचानक उठाकर हवा में उछाल देता है और चुपचाप नीचे आकर पार्टी में शामिल हो जाता है। सुबह अखबारों में बड़ी-बड़ी हेडलाइन में छपता है कि “फिल्म-स्टार रजनी ने दसवें माले से कूदकर आत्महत्या कर ली।’

तभी शालू की तंद्रा भंग हो गई। वह समझ गई कि वही पिछले जन्म की रजनी है तभी उसे इस प्रकार के सपने हमेशा दिखाई देते हैं। अब उसने राजेश से बदला लेने का निश्र्चय कर लिया। राजेश के मुताबिक उसने कॉन्टैक्ट पर साइन कर दिए। फिल्म की शूटिंग मॉरीशस में होनी थी। निर्धारित तिथि पर शालू पूरी यूनिट के साथ मॉरीशस चली गई। पॉंच महीने लगातार शूटिंग चलती रही। फिल्म भी लगभग पूरी हो चुकी। इस दौरान राजेश ने शालू का पूरा-पूरा ध्यान रखा। शालू भी उसे अपने झूठे प्यार में उलझाए रही और साथ ही अपने पूर्वजन्म का हिसाब चुकाने के मौके की तलाश में रही।

फिल्म पूरी होने की खुशी में पार्टी का आयोजन किया गया। पार्टी होटल “विला’ में रखी गई। जो एक बहुत बड़ी इमारत है, जिसमें बीस माले हैं। पार्टी दसवें माले पर चल रही है। रात के बारह बजे हैं, पार्टी जोर-शोर से चल रही है। सभी नशे में डूबे हुए डिस्को की धुन पर थिरकने लगे। शालू गिलास हाथ में लिए नशे की एक्टिंग करने लगी। धीरे-धीरे वह टेरेस की ओर बढ़ने लगी। राजेश भी उसके पीछे-पीछे टेरेस पर चला आया। शालू ने उससे कहा, “”मुझे ऊँचाई से नीचे देखने में बड़ा डर लगता है। यदि गिर गए तो प्राण-पखेरू उड़ जायेंगे।” राजेश ने कहा, “”अरे इसमें डरने की क्या बात है? मुझे तो नीचे झॉंकने में बड़ा आनन्द आता है।” शालू ने कहा, “”मेरी मॉं बता रही थी कि बाईस वर्ष पहले इसी होटल के टेरेस से मशहूर हीरोइन रजनी गिरकर मर गई थी।” दिमाग पर जोर डालते हुए राजेश ने कहा, “”हॉं, मैंने भी पढ़ा था, उसने कूदकर आत्महत्या कर ली थी।” शालू ने कहा, “”नहीं, उसे किसी ने गिराया था। देखो, इतनी ऊँचाई से कोई स्वयं कैसे छलांग लगा सकता है?”

राजेश ने कहा, “”वह नशे में होगी।” शालू ने कहा, “”नशे में तो तुम भी हो। क्या यहॉं से छलांग लगा सकते हो?” राजेश ने कहा, “”शालू तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।” शालू ने कहा, “”यह बात तो तुमने रजनी से भी कही थी फिर तुमने उसे धक्का क्यों दिया था?” राजेश शालू की बात सुनकर हकलाते हुए कहने लगा, “”यह तुम क्या कह रही हो शालू? मेरा रजनी से कोई नाता नहीं था? मैं तो उसे जानता तक नहीं।” शालू ने कहा, “”पर, रजनी तुम्हें अब भी जानती है और पहचानती भी है। रजनी को गुजरे बाईस वर्ष हो गए हैं। वह मर कर पुनर्जन्म लेकर फिर से तुम्हारे सामने आ खड़ी है। देखो, मुझे ध्यान से देखो, क्या मैं तुम्हें रजनी जैसी दिखाई नहीं दे रही हूँ? यही वह टेरेस था, जहॉं से तुमने मुझे उठाकर हवा में उछाल दिया था। ईश्र्वर ने तुम्हारे कर्मों का दण्ड देने के लिए मुझे तुम्हारे पास भेजा है, अब तुम्हारी बारी है। देखो, नीचे झॉंक कर तुम्हें नीचे रजनी बुला रही है।” राजेश ने जैसे ही नीचे झॉंक कर देखा तो शालू ने उसके दोनों पैर उठाकर उसे हवा में लटका दिया। राजेश चिल्लाया, “”प्लीज शालू, मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ, तुम मेरे साथ ऐसा मत करो।” “”रजनी भी तुम्हें प्यार करती थी, पर हमारी कुण्डली में प्यार का योग नहीं है। गुडबाय राजेश, फिर मिलेंगे।” कहते हुए शालू ने राजेश के पैर छोड़ दिये और धीरे-से नीचे आकर पार्टी में शामिल हो गई।

शालू सुबह चाय की चुस्की के साथ अखबार की हेडलाइन पढ़ने लगी, “”फिल्म-स्टार राजेश ने दसवें माले से कूदकर आत्महत्या कर ली है।”

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