प्रसव के बाद सेक्स

महिला और पुरुष द्वारा की गई यौन-क्रिया का फल होता है- बच्चे का जन्म। अब सवाल यह उठता है कि बच्चे के जन्म के बाद युगल कब से पुनः सहवास कर सकता है? क्या बच्चे के जन्म का उनकी सेक्स लाइफ पर असर पड़ता है? अगर हॉं, तो किस प्रकार?

देखा जाये तो बच्चे के जन्म के पश्चात् फिर से अपने साथी के संग प्रेम की पींगें बढ़ाने अर्थात् यौनसुख में लिप्त होने का ख्याल ही काफी रोमांचक रहता है। बावजूद इसके, कुछ ही महिलाओं को लगता है कि वे बच्चे के जन्म के बाद अस्पताल से घर आते ही सेक्स क्रिया के लिए तैयार हैं, जबकि कुछ प्रतीक्षा करना चाहती हैं और कुछ तो ज्यादा ही वक्त लेना चाहती हैं, उनके डॉक्टर द्वारा बताये गये वक्त से भी अधिक। इस बारे में कुछ डॉक्टर 4 सप्ताह का समय बताते हैं तो कुछ छः सप्ताह तक संयम बरतने की सलाह देते हैं। ऐसे में पोस्ट नेटल चेकअप करवा कर अपने प्रेक्टिशनर से ही सलाह लेनी चाहिए। विशेषकर, जब प्रसूति के समय किसी प्रकार की शल्य चिकित्सा का सहारा लिया गया हो।

महिलाओं में शारीरिक स्तर के साथ-साथ मानसिक-भावनात्मक और हार्मोनल स्तर पर भी इस स्थिति का व्यापक प्रभाव पड़ता है। अतः ऐसा सोचना- कि बच्चे के जन्म के तुरंत बाद सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो जायेगा, एकदम गलत धारणा है। सोचने की बात है कि बच्चे को जन्म देना कोई आसान प्रिाया नहीं है। ऐसे में नारी शरीर में सूजन, खरोंच तथा जख्म इत्यादि होने की संभावनाएँ भी रहती हैं। इनके भरने में भी थोड़ा-बहुत समय लगता ही है। ऐसा ही कुछ भावनात्मक स्तर पर भी होता है। अतः जैसे ही आपको स्वयं लगे कि आप सभी प्रकार से अपने साथी के साथ पुनः संभोग के लिए फिट हैं, तो फिर इंतजार किस बात का! वैसे, पोस्ट नेटल चेकअप से पूर्व अगर सेक्स कर लिया जाये तो इस संदर्भ में आने वाली परेशानियों पर चेकअप के वक्त डॉक्टर से विचार-विमर्श किया जा सकता हैं।

एक बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रसूति के पश्चात् प्रथम बार संभोग करते वक्त थोड़े धैर्य और शांति से काम लेना चाहिए, अत्यधिक रोमांचित नहीं हो जाना चाहिए। कोशिश करें कि उस वक्त आप अत्यधिक थकी हुई ना हों और साथ ही शिशु के भी सोने का समय हो, जिससे आप दोनों को थोड़ा एकांत और मानसिक एवं शारीरिक रूप से शांति का अनुभव हो।

बच्चे के जन्म के पश्चात् प्रथम तीन माह तक कुछ महिलाओं को हार्मोनल बदलाव के चलते शुष्कता का अहसास हो सकता है। इस समस्या के समाधान के लिए हार्मोन नहीं लेने चाहिए, बल्कि लुब्रिकेंट्स का प्रयोग करना चाहिए। सेक्स के दौरान जहॉं तक हो सके, महिला की सुविधा का ध्यान रखा जाना चाहिए या फिर उसे ही पूरी प्रिाया संभालने दिया जाये तो बेहतर होगा। हॉं, ऐसे समय में कंडोम या अन्य परिवार नियोजन के साधन अपनाना ना भूलें, क्यूंकि इस समय दोबारा गर्भाधान होने की संभावना काफी प्रबल रहती है। इस बारे में अपने चिकित्सक से भी सलाह ली जा सकती है।

कई बार महिलाओं की, बच्चे को जन्म देने के पश्चात् यौनिाया में रुचि समाप्तप्रायः हो जाती है। बच्चे के साथ काम की अधिकता के कारण शारीरिक और मानसिक थकान भी इसके पीछे एक कारण हो सकती है। साथ ही, डिलीवरी के दौरान होने वाली पीड़ा और कष्ट के चलते उन्हें फिर से गर्भवती होने का डर भी सताता है। वैसे इस बात का प्रभाव कई बार पुरुषों की कामेच्छा पर भी पड़ता है। ऐसा तब होता है, जब अत्याधुनिक अस्पतालों में डिलीवरी के समय पुरुष को भी साथ में रखा जाता है। ऐसे समय में अपने साथी को होने वाले कष्ट और पीड़ा को देखकर कभी-कभी पुरुष अपराधबोध की भावना से ग्रस्त हो जाता है और इसका प्रभाव उसकी कामेच्छा पर पड़ता है। वह अपने साथी के साथ यौन संबंध स्थापित करने के बारे में सोच भी नहीं पाता। ऐसी स्थिति में काउंसलर से अपनी समस्या के बारे में चर्चा करनी चाहिए।

वैसे महिलाओं की कामेच्छा, बच्चे के जन्म के कुछ माह पश्चात् फिर से जागृत हो जाती है। अगर ऐसा नहीं होता है तो अपने चिकित्सक से इस बारे में बात करें। अधिकतर परिवार नियोजन क्लीनिक्स में इस बारे में काफी सहायता मिल सकती है, क्यूंकि उनके पास ऐसे मामले आते रहते हैं। बच्चे के जन्म के पश्चात् महिलाओं की कामेच्छा में आने वाली कमी के पीछे कई कारण रहते हैं- 1. हार्मोन्स के स्तर में कमी के चलते भी ऐसा हंो सकता है। विशेषकर, जब तक मॉं बच्चे को अपना दूध पिलाती है, तो महीनों तक हार्मोन्स स्तर सामान्य नहीं हो पाता।

  1. बच्चे के साथ रात भर जागने तथा कार्य बढ़ जाने से होने वाली थकान।
  2. बच्चे के आगमन से समय की कमी के कारण।
  1. बच्चे के जन्म के बाद नारी शरीर के प्रति महिलाओं और पुरुषों की सोच में बदलाव आ जाता है। इसके अतिरिक्त, नई मॉं के शरीर को पुनः अपना आकर्षण और आकार पाने में समय लगता है।
  2.  बच्चे के जन्म के बाद नारी शरीर में जख्म तथा सूजन इत्यादि के चलते शुरू-शुरू में महिलाओं को संभोग के समय पीड़ा हो सकती है। ऐसा छः सप्ताह बाद भी हो सकता है। ऐसे में संयम से काम लेना चाहिए।
  3. कई महिलाओं को कई सप्ताह तक स्राव होता रहता है, जिससे उनकी कामेच्छा प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में पुरुष को धैर्य और संयम से काम लेते हुए, परस्पर बातचीत से समस्या का समाधान करना चाहिए, अन्यथा अपने चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

वैसे बच्चे को जन्म देने के पश्चात्, युगल को सेक्स कब से शुरू करना चाहिए- इस बारे में कोई पक्का नियम नहीं है। जब भी महिला को लगे कि वह शारीरिक और भावनात्मक तौर पर रतिक्रिया के लिए तैयार है, वही सही समय रहता है। हॉं, कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, मसलन- बच्चेदानी या अन्य अंगों में संामण ना होने पाये। अतः बाद में सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इस समय नारी शरीर की रक्त-वाहिनियों या बच्चेदानी में रतिक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार से हवा का बुलबुला ना प्रवेश कर जाये। यह स्थिति घातक हो सकती है। इसमें जान का खतरा भी हो सकता है।

ध्यान रहे कि ऐसे वक्त में फिर से गर्भ ठहरने की संभावना काफी प्रबल रहती है, अतः परिवार नियोजन के तरीके अपनाना ना भूलें

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