भारत की समृद्धि के साथ भारतीय भाषाओं को भी लगेंगे पंख : मोदी

narender-modi-giving-speechप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक समृद्धि के साथ भाषाओं की समृद्धि को जोड़ते हुए आज कहा कि जो देश आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं, उनकी भाषा के पंख भी बड़े तेज हो जाते हैं और आने वाले दिनों में भारतीय भाषाओं के साथ भी ऐसा होगा।

मोदी ने उज्बेकिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान आज यहां भारतविद, छात्रों और भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ भाषा का आर्थिक स्थिति से सीधा संबंध होता है। जिन देशों में आर्थिक समृद्धि होती है, उनकी भाषा के पंख बड़े तेज हो जाते हैं। दुनिया के सारे लोग उसे सीखना चाहते हैं क्योंकि इससे कारोबार में आसानी होती है। मैं देख रहा हूं कि आने वाले समय में भारत की भाषाओं का महत्व भी बढ़ने वाला है क्योंकि भारत जैसे जैसे आगे जायेगा, उसकी भाषाओं का महत्व बढ़ेगा।’’ प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरूआत उज्बेगी भाषा में अभिवादन के लिए प्रयोग होने वाले शब्द के साथ करते हुए कहा, ‘‘ व्यक्तित्व के विकास में भाषा की बहुत बड़ी ताकत है। किसी और देश का व्यक्ति मिल जाए और आपकी भाषा में पहला शब्द बोल दे तो तत्काल जुड़ाव हो जाता है। अगर आपको कोई नमस्ते बोल दे तब लगता है कि जैसे अपना कोई मिल गया। यह ताकत होती है भाषा में ।’’ उन्होंने कहा कि जो देश अपनी भाषा को बचाता है, वह अपने देश के भविष्य को तो ताकतवर बनाता ही है, उस भाषा के ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का आनंद और अवसर भी मिलता है।

इस अवसर पर मोदी ने उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री शवकत मिरोमोनोविच मिर्जियोयेव और भारतविद रखमानोव के साथ पहले हिन्दी.उज्बेगी शब्दकोश का लोकार्पण किया।

उज्बेकिस्तान की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ मुझे बहुत संतोष और गर्व हो रहा है कि यह यात्रा बहुत ही सफल और सुखद रही. . लम्बे समय तक संतोष देने वाली होगी। आने वाले दिनों में दोनों देशों के आर्थिक और सामरिक संबंध और बढेंगे जो दोनों देशों को ही नहीं बल्कि इस पूरे क्षेत्र को ताकत देंगे।’’

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