मांगलिक कार्य हेतु सर्वथा उपयुक्त होता है अभिजीत नक्षत्र

अभिजीत नक्षत्र – सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड अथवा अंतरिक्ष की सही गणना हो सके, इसके लिए अंतरिक्ष को 27 भागों में बॉंटा गया- जिन्हें नक्षत्रों का नाम दिया गया तथा राशि चा की अथवा अंतरिक्ष वृत्त की कुल 360 डिग्री में प्रत्येक को 13.20 डिग्री का माप मिला। किन्तु एक दूसरी विधि में नक्षत्र मण्डल को 12.51.3/7 डिग्री के 28 खण्डों में विभक्त किया गया था। इसमें उत्तराषाढ़ा एवं श्रवण नक्षत्रों के बीच एक अतिरिक्त नक्षत्र की धारणा की गयी थी, जिसे “अभिजीत’ नक्षत्र कहा गया। इसे नक्षत्रों की श्रृंखला में 22 वें स्थान पर माना गया तथा इसके बाद आने वाले नक्षत्रों को एक-एक स्थान आगे खिसका दिया गया। लेकिन उसके बाद प्रत्येक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र की गणना में काफी त्रुटियों की सम्भावनाएँ बढ़ गयी, अतः अभिजीत नक्षत्र को उत्तराषाढ़ा एवं श्रवण नक्षत्रों के बीच इस प्रकार स्थापित किया गया कि अन्य नक्षत्रों पर कोई प्रभाव ना पड़े। इस “अभिजीत’ नक्षत्र को कुल राशि चा की 276.40 से 280.54.13 डिग्री तक का स्थान दिया गया। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को घटाकर 13.20 से 10.00 डिग्री का किया गया तथा श्रवण को 13.20 से 12.25.47 तक का कर दिया गया, अर्थात् राशि चाों में उत्तराषाढ़ा, श्रवण एवं अभिजीत नक्षत्रों में कुछ परिवर्तन दिखाई देता है तथा अन्य नक्षत्रों के माप में कोई कमी नहीं हुई। कुछ लोग गणनाओं में अभिजीत नक्षत्र को लेते हैं तो कुछ नहीं लेते। अभी भी यह नक्षत्र विवादास्पद स्थिति में है।

“अभिजीत’ नक्षत्र को मकर राशि के 6.40 से 10.53.20 डिग्री के बीच में लिया जाता है। इसे अरबी भाषा में “साद-अध-दबिह’, अंग्रेजी में “बेगा’ तथा चीनी भाषा में “नियु’ के नाम से जाना जाता है। आकाश में 3 सितारों के चमकदार, त्रिकोणात्मक आकार के समूह में दिखता है। सितम्बर माह की रात में 8 से 9 के बीच मध्याकाश में इसे देखा जा सकता है। अभिजीत नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता “ब्रह्मा’ है तथा ज्योतिषीय दशा-महादशा में विशोंतरी दशा में इसे कोई स्थान प्राप्त नहीं है, जबकि अष्टोतरी दशा नियम में इसे मान्यता प्राप्त है। मुहूर्तशास्त्र संबंधी विषयों में इस नक्षत्र को महत्वपूर्ण स्थान मिला है। व्यापार, आयुर्वेद, ज्ञान, चिंतन, मनन, ाी़डा आदि विषयों हेतु इसे अच्छा माना गया है। दोपहर में मध्याह्न से 28 मिनट पहले तथा 28 मिनट बाद, यानि कुल 56 मिनट का समय अभिजीत मूहूर्त कहलाता है। यह मुहूर्त सभी अज्ञात पिण्डों, सितारों एवं ग्रहों की अनिष्टकारी प्रवृत्ति को नष्ट करके सुरक्षा आवरण देता है, अतः मांगलिक कार्य हेतु सर्वथा उपयुक्त होता है। भगवान “श्री राम’ का यह प्रिय मुहूर्त था। आजकल “अभिजीत’ नक्षत्र को ज्योतिषीय भविष्यवाणी हेतु सम्मिलित नहीं किया जाता। इसका कारण भी अज्ञात है।

 

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