रेस्टलेस लेग सिंडोम अर्थात् बिस्तर में बेचैनी!

restless-leg-syndromeरेस्टलैस सिंडोम (आरएलएस) से पीड़ित लोग इस डिसऑर्डर के कारण, न पसंद आने वाला सेन्सेशन अपनी टांगों में चढ़ता हुआ महसूस करते हैं। यह सेन्सेशन अक्सर बढ़ता ही जाता है, जब तक कि बर्दाश्त के बाहर न हो जाये और आखिरकार व्यक्ति को उठकर छोटी वॉक पर जाने की जरूरत पड़ती है। बेचैन करने वाला सेन्सेशन व्यक्ति को पूरी रात जगाये रखता है।

आरएलएस क्या है?

आरएलएस कुछ ऐसा है, जिसके बारे में ज्यादातर लोगों ने सुना नहीं है। इस डिसऑर्डर के कारण टांगों को हिलाने की तीव्र इच्छा होती है और साथ ही टांगों में, न पसंद आने वाली बेचैनी महसूस होती है। कुछ मामलों में अस्थायी तौर पर टांगों को हिलाने से बेचैनी के अहसास में राहत मिलती है।

आरएलएस दो प्रकार का होता है। पहले किस्म का जीवन में जल्दी शुरू हो जाता है, 45 वर्ष की आयु से पहले। यह आरएलएस विरासत में मिलता है और इसके लक्षण बचपन में ही दिखायी देने लगते हैं। इसका इलाज करना कठिन है और यह लंबे समय तक कायम रहता है, क्योंकि वक्त के साथ लक्षण बढ़ जाते हैं।

दूसरे किस्म का आरएलएस विरासत में नहीं मिलता और 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को प्रभावित करता है। इसकी एकदम से शुरूआत हो सकती है, लेकिन लक्षण समय के साथ बढ़ते रहते हैं।

लक्षण

आरएलएस से पार पाना कठिन होता है, क्योंकि लक्षणों की व्याख्या करना मुश्किल है और हर व्यक्ति में अलग किस्म के लक्षण दिखायी देते हैं।

  • जैसे कोई कीड़ा रेंगता हुआ टांगों के ऊपर चढ़ रहा हो।
  • इलैक्टिक सेन्सेशन
  • खुजली

लेकिन एक बात तो इस रोग से पीड़ित सभी महसूस करते हैं, वह है टांगों में बेचैनी का अहसास (जब वह आराम कर रहे होते हैं), और किसी किस्म की हरकत (किकिंग, वॉकिंग, रबिंग) से टांगों में अच्छेपन का अहसास होता है। बेचैनी शाम में या रात में बढ़ जाती है। लक्षण न के बराबर भी हो सकते हैं और वह नजरअंदाज भी हो जाते हैं अगर नींद में कोई दिक्कत न आ रही हो। लेकिन दूसरा रुख भी मौजूद है- जो बुरी तरह से पीड़ित होते हैं, उन्हें डॉक्टर के पास नींद न आने और थकन की शिकायत लेकर जाना पड़ता है। आरएलएस के कारण होने वाली थकन के अन्य नकारात्मक प्रभाव होते हैं जैसे-

  • एकाग्रता की कमी
  • एंजाइटी
  • डिप्रेशन

आरएलएस को हल्के से नहीं लेना चाहिए और जो इससे अधिक पीड़ित होते हैं वे एक जगह बैठकर काम नहीं कर सकते और उन साधारण गतिविधियों से भी बचते हैं जिनमें एक ही पोजिशन में कई घंटे तक बैठना पड़ता है, जैसे- फिल्म देखना या लंबी दूरी की उड़ान भरना। बहुत से मामलों में तो लक्षण बर्दाश्त के बाहर हो जाते हैं।

आरएलएस किस वजह से होता है?

असल वजह मालूम नहीं है। लेकिन ताजा शोधों से मालूम हुआ है कि आरएलएस रोगियों के दिमाग में अन्यों की तुलना में आयरन की कम मात्रा होती है यानी आरएलएस के अधिकतर रोगी “ब्रेन-आयरन डेफिसेंट’ होते हैं।

क्या किया जाये?

  • सोने से कुछ घंटे पहले शराब, कैफीन या सिगरेट न लें।
  • नियमित कसरत करें।
  • टांगों की मालिश करें।
  • सोने से पहले हैवी मील्स न लें।
  • समय से सोयें।
  • दिन में कई बार अपनी टांगों को स्टैच करें।

– डॉ. भारत भूषण

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