आज वैज्ञानिक, औषधियों के निर्माण के लिये लगातार आविष्कार कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को यह बात भलीभांति ज्ञात है कि प्रकृति ने मानव और जीव-जन्तुओं की प्राण-रक्षा के लिये संसार में विभिन्न जड़ी-बूटियों की उत्पत्ति भी की है।
इन जड़ी-बूटियों की पहचान तथा उनके सम्मिश्रण से ही वैज्ञानिक असाध्य रोगों की दवा बनाने में सक्षम हो पा रहे हैं। बच्चों में होने वाले आम रोगों की जानकारी प्रस्तुत है और साथ ही कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों की जानकारी भी दी जा रही है, जिनके प्रयोग से बच्चों की बीमारियों से रक्षा की जा सकती […]
आए दिन देश के विभिन्न क्षेत्रों में रिश्र्वत लेते हुए अधिकारियों के पकड़े जाने की खबरें खूब छपती हैं। सिर्फ नाम, रिश्र्वत की रकम और जगह का फर्क होता है। जो नहीं पकड़े जाते, उन पर इन खबरों का कोई असर नहीं होता। खबर पढ़ने के बाद वे जायज, नाजायज के चक्रव्यूह में नहीं फंसते। सही-गलत, जायज-नाजायज, आत्मा के उत्थान-पतन, शर्मिंदगी का भाव, इन सबसे वे लोग काफी ऊपर उठ चुके हैं। भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक व्याप्त है।
कुछ दिन पहले पंजाब के अठारह आईएएस अधिकारियों की सूची अखबार में छपी, जिनके विरुद्ध गंभीर भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। देश का प्रशासन चलाने वाले उच्चाधिकारी भी ऐसे गंभीर दोषों के लिए सफाई ढूंढने में प्रयत्नशील हैं। दस आईपीएस अधिकारी, जिनमें तीन पुलिस महानिदेशक हैं, आपराधिक मामलों की पूछताछ को लेकर संशय के […]
हाल ही की बात है। मेरे एक पड़ोसी मित्र का देहान्त हो गया। दोपहर को बारह बजे अर्थी उठने को थी। तभी मित्र का मोबाइल फोन बज उठा। सांसद महोदय का सन्देश था कि वे अभी थोड़ी दूर एक अन्य अन्त्येष्टि में भाग ले रहे हैं। आधे घंटे में यहॉं पहुँच जाएंगे। उनके आने पर […]
कहने को देश आज़ाद है। देश में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत संसद है, न्यायपालिका है और नीचे से ऊपर तक अनेक संवैधानिक संस्थान हैं। देश में अपनी सरकार चुनने का ह़क जनता के पास है और वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने भाग्य-विधाताओं को कुर्सी आवंटित करती है। इस लिहाज़ से देखा जाए तो कोई भी कह सकता है कि हमने इन प्रक्रियाओं के आधार पर एक स्वस्थ और विचारशील लोकतंत्र की रचना की है।
लेकिन इसके साथ ही यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि क्या यह ढॉंचा ही वास्तविक लोकतंत्र की पहचान है? क्या यह ढॉंचा उन संकल्पों को विकसित करने में समर्थ है जो लोकतंत्र की बुनियादी अवधारणा के साथ जुड़ाव रखता है? क्या इस ढॉंचे ने समाज के दबे-कुचले लोगों को उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के […]
जब कमर टूट रही हो तो यह कहना कितना हास्यास्पद लगता है कि कमर कस लो। पर अपने नेताओं ने यही रटना लगा रखी है कि कमर कस लो, कमर कस लो। अपने यहॉं एक मुहावरा है- “कमरतोड़’ और यह मुहावरा आमतौर से महंगाई के साथ ही प्रयुक्त होता है। सचमुच महंगाई कमर तोड़ रही […]
लंबे अरसे की जद्दोज़हद और हॉं-ना की मैराथन दौड़ के बाद सरकार को एक अप्रिय फैसले के तहत गुजरना पड़ा है। इस फैसले की वज़ह से अब खुले बाज़ार में पेट्रोल की कीमत में पॉंच रुपया, डीजल में तीन रुपया तथा रसोई गैस के प्रति सिलेंडर में पचास रुपये का इज़ाफा हो गया है।
ग़नीमत यह है कि ग़रीब जनता का ध्यान रखते हुए सरकार ने केरोसिन तेल के दाम में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। निश्र्चित रूप से सरकार को इस मूल्य वृद्धि का फैसला ऐसे समय लेना पड़ा है जब मुद्रास्फीति की दर प्रति सप्ताह तेजी से भाग रही है। अर्थशास्त्री सरकार के इस फैसले को महंगाई […]
आतंकवाद को लेकर देश की मान्य इस्लामिक संस्थाओं में बहुत तेजी से आत्ममंथन का दौर शुरू हुआ है और इस दृष्टि से वे सक्रिय भी हुई हैं कि "ज़ेहाद' के नारे के साथ खूनी तहरीर लिखने वाले आतंकवादियों के कृत्य को ग़ैर इस्लामिक करार देकर न सिर्फ इसकी निन्दा की जाए बल्कि इसके विरोध में मुहिम भी चलाई जाए।
इसकी शुरुआत अभी हाल में इस्लामिक जगत की एक प्रतिष्ठित संस्था दारुल-उलूम देवबंद ने मुसलमानों के सभी फिरकों के प्रतिनिधियों तथा उलेमाओं और इस्लामिक विद्वानों का एक सम्मेलन आयोजित कर की थी। दारुल-उलूम देवबंद की इस बात को लगभग सभी फिरकों के उलेमाओं ने अपनी पूरी सहमति दी कि आतंकवादियों द्वारा ज़ेहाद के नाम पर […]
साल 2015 में आपके लिए सितारे कौन-कौन सा फल प्रदान करेंगे या आपके लिए यह साल कितना लाभकरी होगा, इसकी विस्तृत जानकारी आप नीचे गहराई से देखिए।
मेष मेष राशि वालों के लिए साल 2015 सुनहरे अवसरों से भरपूर रहेगा। वृहस्पति के कर्क से गुजरने के क्रम में यह घरेल मोर्चे पर संतोष और सुरक्षा लाएगा। साल के पहली छमाही में वृहस्पति शिक्षा से जुड़े सभी मामलों में काफी सकारात्मक विस्तार लेकर आएगा। यदि कोई डिग्री पूरी करना चाहते हैं तो उनके […]