शिक्षण एवं शिक्षार्थी के बदलते संबंध

आज का युग प्राचीन युग से प्रायः सभी मामलों में भिन्न है। प्राचीन मान्यताएं एवं धारणाएं बदल गयी हैं। जीवन के कुछ नैतिक मूल्य भी बदले हैं और इस बुद्धि-प्रधान भौतिक युग में समाज का एक नया स्वरूप उभर कर सामने आ रहा है। ऐसी स्थिति में प्राचीन परिपाटियों को पकड़े रहना तो किसी भी […]

गोम्पाओं की धरती : स्पीति घाटी

साल में छः माह से अधिक समय तक बर्फ की सफेद चादर से ढकी रहने वाली हिमाचल की स्पीति घाटी को ‘गोम्पाओं की धरती’ भी कहा जाता है। इस घाटी के उत्तर में लद्दाख, पश्‍चिम में चम्बा और पूर्व में तिब्बत पड़ता है। हिमश्‍वेतिमा और यहां के अजीबो-गरीब रीति-रिवाजों के लिए यह घाटी काफी मशहूर […]

पड़ाव

आज गांव के सभी लोग उस छोटी-सी पहाड़ी नदी में नहाने के लिये जाने को उतावले थे। बच्चे-बूढ़े भी यहां गांव में रह कर कुएं में नहाना नहीं चाहते थे। युवा लड़के अपनी-अपनी बैलगाड़ियां व छकड़े दुरुस्त कर बैलों को खिलाने में लगे हुए थे, क्योंकि थोड़ी ही देर में गांव का एक बड़ा-सा काफिला […]

क्या है आस्तिकता

हम में से प्रत्येक को आस्तिक बनना चाहिए और इसके लिए नित्य नियमित रूप से उपासना की ाम-व्यवस्था दैनिक जीवन में रखनी चाहिए। एक परिपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में ईश्‍वर की किसी छवि का ध्यान करें, उसके गुणों का चिंतन करें और उसी में तन्मय हो जाएं, उसे अपने में धारण करने की भावना करें। […]

संसार को बदलना है तो स्वयं को बदलिए

यह अमृत-वाणी हमारे प्राचीन ऋषियों और संतों की है। इस विचार-सूत्र के पीछे क्या मर्म छुपा है, आइए थोड़ा समझने का प्रयास करें। इसकी व्याख्या कई ढंग से की जा सकती है। व्यक्ति-व्यक्ति से मिलकर समाज, देश और विश्‍व का निर्माण होता है। यदि व्यक्ति बुरा है तो समाज, संगठन और विश्‍व निश्‍चय ही बुरा […]

असम में बाढ़ का अभिशाप

पिछले साठ वर्षों से असम में हर साल बाढ़ का तांडव होता रहा है। 1950 में हुए भयंकर भूकंप की वजह से ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों के स्वरूप में परिवर्तन आ गया और उसके बाद हर साल बाद तबाही मचने लगी। इस तबाही की रोकथाम के लिए सरकार की तरफ से इतने सालों में […]

यह क्या हो रहा है विकास के नाम पर

किसी भी राष्ट्र के विकास में कृषि, खनिज, वन एवं जल संसाधनों की प्रमुख भूमिका रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है परन्तु कृषक यहाँ आत्महत्या करने के लिये मजबूर है। विगत कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसा क्यों? यह प्रश्‍न्न हमारे मस्तिष्क पटल पर उभरता है। […]

ज़रूरत एक ईमानदार राजनीति की

हमने 29 जुलाई को ‘मिलाप’ के संपादकीय में इस बात का उल्लेख किया था कि यह सोचना-कहना गलत होगा कि एक अरब से ऊपर की जनसंख्या वाला भारत आतंकवादी हौसले के सामने बेबस, निरीह और कमजोर हो गया है। हमने यह भी कहा था कि कमजोरी देश में नहीं विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हो […]

नाखून किस चीज के बने होते हैं?

दोस्तों, अगर नाखून काटने में दर्द होता, तो हम में से कोई भी नाखून नहीं काटता और सबके बहुत बड़े-बड़े नाखून होते। अक्सर हम सोचते हैं कि यह मृत कोशिकाओं के बने होते हैं, इसीलिए। लेकिन यह अधूरी बात है। वास्तव में नाखून त्वचा से उगने वाली विशेष संरचना है। नाखून का ज्यादातर हिस्सा केराटिन […]

सत्य ही शिव है

राजकोट के अल्फ्रेड हाईस्कूल की घटना है। हाईस्कूल का मुआयना करने आए हुए थे, शिक्षा विभाग के तत्कालीन इंस्पेक्टर जाल्स। नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को उन्होंने श्रुतिलेख (इमला) के रूप में अंग्रेज़ी के पाँच शब्द बोले, जिनमें एक शब्द था, ‘‘केटल।’’ कक्षा का एक विद्यार्थी मोहनदास इस शब्द के हिज्जे ठीक से नहीं लिख सका। […]