सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी मानसून का मर्ज

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (सैड) एक किस्म का डिप्रेशन है, जो हर साल एक ही समय व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है। सैड होने पर व्यक्ति न सिर्फ डिप्रेशन के लक्षण प्रदर्शित करता है बल्कि उसे न समझ में आने वाली थकन भी महसूस होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब दिन की रौशनी में […]

कैसा होगा अनंत शून्य में हनीमून का अहसास

कैसा होगा अनंत शून्य में हनीमून का अहसास

जरा सोचिये, कल्पना कीजिए, अनंत शून्य में- जहॉं न तो गुरुत्वाकर्षण है और ना ही हवा का दबाव और ना ही पृथ्वी सरीखा वातावरण और अन्य वस्तुएँ। ऐसे में हवा में तैरते, अपने भार से भी मुक्त अर्थात भारहीन अवस्था में अपने साथी के साथ क्रीतिया करने पर कैसा अनुभव होगा? ऐसी बातें सुनने में […]

हमेशा के लिए लुप्त हो सकते हैं

ग्लोबल वार्मिंग और मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने से गंगा, गंगाधर (बाबा बर्फानी) और ग्लेशियर पर खतरा मंडरा रहा है। कहीं ऐसा न हो कि हालात और बदतर हो जाएं और आने वाले वर्षों में हम बाबा बर्फानी यानी बाबा अमरनाथ के दर्शन से वंचित हो जाएं। यही नहीं मोक्षदायिनी और मुक्तिदायिनी सदानीरा गंगा भी अन्य नदियों […]

जानवरों पर परीक्षण – आखिर कब तक?

दवाओं के विकास, परीक्षण तथा शल्य-चिकित्सा की विधियॉं विकसित करने में जानवरों का उपयोग लंबे समय से होता आ रहा है। हमारा जीवन सुरक्षित बनाने के लिए हम इन बेजुबान प्राणियों के जीवन से खेलते हैं तथा उन्हें ाूरतापूर्ण तरीके से उनके अंत की ओर धकेल देते हैं। दुनिया भर में हर साल प्रयोगशालाओं में […]

गाय और पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र

नेचर पत्रिका में हाल में प्रकाशित एक शोध समाचार में कहा गया है कि गाएँ संभवतः पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का अनुभव कर सकती हैं और ज्यादातर समय उतर-दक्षिण दिशा के समांतर खड़ी रहती हैं। काफी संभावना इस बात की है कि वे उत्तर की ओर मुंह करके खड़ी रहती हैं। यह निष्कर्ष करीब 8000 […]

इतिहास की सरहदों के मूक सिपाही

महाराष्ट में 350 से ज्यादा किले हैं; जो इतिहास के मूक पहरेदारों के मानिंद खड़े हैं। समुद्र की लहरों से बेपरवाह, तूफानी बारिश से अप्रभावित और आग उगलते सूरज से बेखबर इन किलों की दीवारें इतिहास की महान गाथा के रूप में सिर उठाए खड़ी हैं। ये किले महाराष्ट के महापरााम की कहानी कहते हैं। […]

गंगा-आकाशगंगा तुम कितनी गहरी!

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि आखिर यह आकाशगंगा है क्या? आप कहेंगे, आकाशगंगा सितारों से भरी एक नदी है, नक्षत्रों की विशाल चाी है इत्यादि इत्यादि… वह सब तो ठीक है। लेकिन गहराई से जानो तो ध्यान में आएगा कि यह और भी कुछ है। इन दिनों कभी रात के स्वच्छ आकाश में उत्तर […]

जहरीली होती नदियां

जल संपदा की दृष्टि से भारत की गिनती दुनिया के ऐसे देशों में होती है, जहॉं बड़ी तादाद में आबादी होने के बावजूद उसी अनुपात में विपुल जल के भंडार अमूल्य धरोहर के रूप में उपलब्ध हैं। जल के जिन अजस्त्र स्त्रोतों को हमारे पूर्वजों व मनीषियों ने पवित्रता और शुद्घता के पर्याय मानते हुये […]

बदलता पर्यावरण

बदलता पर्यावरण

पिघलती गंगोत्री : क्या गंगा अक्षुण्ण रहेगी? गौमुख की राह उमंग और आसभरी होती है। चट्टानों पर आपका एक-एक कदम उस ग्लेशियर की तरफ ले जाता है, जो गंगा का उद्भव है। घाटी में नीचे चीड़ व देवदार के बीच भागीरथी उछलती बहती है। जैसे-जैसे ग्लेशियर नजदीक आता-जाता है, पेड़ दुर्लभ होते जाते हैं, केवल […]

जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या

अगले महीने प्रारंभ होने वाले गणोशोत्सव को ध्यान में रखकर जिला प्रशासन की ओर से जिस कार्यशाला का आयोजन किया गया, उसमें जिलाधीश नवीन मित्तल ने संबंधित समितियों से ऐसी गणेश प्रतिमाओं का निर्माण करवाने को कहा है, जो पर्यावरण के अनुकूल हों, जिसमें कच्ची मिट्टी, घासफूस, बॉंस की खपच्चियों तथा प्राकृतिक रंगों का उपयोग […]

1 2 3 4