कुछ ऐसा था – संजय कुंदन

कुछ ऐसा था जो अब भी हम लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता था अब भी हम एक-दूसरे की जरूरत थे अब भी खत्म नहीं हुई थी संवाद की गुंजाइश अब भी कुछ ऐसा था हम लोगों के बीच जो हत्यारे की पकड़ से बाहर था जिस पर हत्यारे का हाथ चलना नामुमकिन था और इसलिए […]

कन्हैयालाल नंदन की ग़ज़ल

जो कुछ तेरे नाम लिखा है, दाने-दाने में वह तुझे ही मिले चाहे रखा हो तहखाने में   तूने इक फरियाद लगायी उसने हफ्ता भर मांगा कितने हफ्ते और लगेंगे उस हफ्ते के आने में एक दिए की िजद है आँधी में भी जलते रहने की हमदर्दी हो तो फिर हिस्सेदारी करो बचाने में   […]

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