टिप्पणी – एफ. एम. सलीम

छंद और मात्रा की बंदिशों को तोड़ कर भावनाओं की अभिव्यक्ति करें अगर कोई यह कहे कि निडरता से किया है! तो हम कहेंगे, वह कविता है!   इसी कविता के समर्थक और प्रवर्तक तेलुगु के विख्यात क्रांतिकारी कवि श्री श्री की कुछ कविताएं पढ़ते हुए लगा कि वह कविता में ही नहीं बल्कि जीवन […]

शर्म कर

मानव अंग प्रत्यारोपण के व्यापार ने, डॉक्टर कुमार को बना दिया निशाचर दौलत की भूख की अग्नि भस्म कर गई मानवीय व्यवहार बना दिया गया एक निकृष्ट घृणास्पद व्यापार शर्मनाक घटना गैर कानूनी गैर इंसानियत तौर-तरीकों ने शर्मसार मां की ममता को धिक्कारते हुए नम कर दी होंगी आँखें शर्मिंदा मां चीत्कार कर कह उठी […]

संजय कुंदन की कविता

ऐसा क्या न कहें या ऐसा क्या न करें इस बात की पूरी गुंजाइश है कि कल रात सबने एक ही किताब पढ़ी हो सबने आईने के सामने एक ही काल्पनिक प्रश्र्न्न के एक ही उच्चार को दोहराया हो   संभव है सबने सुबह-सुबह एक ही मंदिर में एक ही देवता के सामने हाथ जोड़े […]

मुक्तक

बिन मां के बच्चों को बिगड़ते देख आँख नम हो गई थी गृहस्थी की गाड़ी खिंच नहीं रही थी हवा कम हो गई थी   – शरद जायसवाल कटनी, मध्यप्रदेश

मुक्तक – नरेन्द्र राय

अगर इन्सान है तो वो फ़सादी हो नहीं सकता, वो कत्लो खून का, दहशत का आदी हो नहीं सकता। अगर कुरआन का, इस्लाम का है मानने वाला, मुसलमॉं है अगर, आतंकवादी हो नहीं सकता ।। शहीदों का उड़ा रही है ये सरकार म़जाक, सुनकर समाचार कट गई है वीरों की नाक । बिन्द्रा ने निशाना […]

मैं चंदन हूँ

मैं चंदन हूँ मुझे घिसोगे तो महकूँगा घिसते ही रह गए अ़गर तो अंगारे बनकर दहकूँगा।   मैं विष को शीतल करता हूँ मलयानिल होकर बहता हूँ कविता के भीतर सुगंध हूँ आदिम शाश्र्वत नवल छंद हूँ   कोई बंद न मेरी सीमा – किसी मोड़ पर मैं न रुकूंगा। मैं चंदन हूँ।   बातों […]

लगातार – अरुण कमल

लगातार बारिश हो रही है लगातार तार-तार कहीं घन नहीं न गगन बस बारिश एक धार भीग रहे तरुवर तट धान के खेत मिट्टी दीवार बॉंस के पुल लकश मीनार स्तूप बारिश लगातार भुवन में भरी ज्यों हवा ज्यों धूप कोई बरामदे में बैठी चाय पी रही है पांव पर पांव धर सोखती है हवा […]

ग़जल – मधु काबरा

ज़िन्दगी की चंद घड़ियां, बीत जायेंगी कहीं खाक ऐसी ज़िन्दगी पर, तुम कहीं और हम कहीं यूं तो गु़जरेगा कहीं भी ज़िन्दगी का कारवां तुम न हो मौजूद जिसमें, खत्म क्या होगा कहीं जश्र्न्न भी मातम बनेंगे, ज़िन्दगी के तब मेरे जुलूस में होंगे जना़जे, मौत में खुशियां कहीं वो किनारा कर गये, तू भी […]

गला दबा देती मॉं!

वाह रे… दुनियॉं के अजीबो-गरीब प्राणी तुम्हारी मॉं की कितनी थी नादानी नौ महीने पेट में रख कर जन्म दिया और बेसहारों को मौत के घाट उतारने सड़कों पर छोड़ दिया। वाह रे… दुनिया के बदनाम हिट लिस्टरों आतंकवाद के फटे हुए पोस्टरों। ़गर-तुम्हारी मां को पता होगा कि तुम आकागिरी करोगे लाशों की सौदागिरी […]

तेवरी

नेताओं की चाल सियासी और नहीं चलने देंगे छल-फ़रेब की बारहमासी और नहीं चलने देंगे।   पहने हुए भक्त का चोला बगुले बैठे हैं साहिल पर इनकी यारों जीभ टका-सी और नहीं चलने देंगे।   देना है तो तू दे हमको भाव कोई ता़जा-ता़जा तेरी बातें बासी-बासी और नहीं चलने देंगे।   कल देखे थे […]