हीन-भावना

हम सब हीन भावना से ग्रस्त हैं। मैं भी सभी के साथ हूँ और इस कारण गहरी हीन भावना से ग्रस्त हूँ। कल ही एक तबादला रोगी मिले। उन्हें हीन भावना का दौरा पड़ा हुआ था। वे आई.सी.यू. में भर्ती होकर अपनी हीन भावना को दूर करना चाहते थे। इधर एक पुलिस के मारे से […]

सद्गुरु की महिमा

गुरु वह है, जो शिष्य के जीवन में व्याप्त अंधकार को ज्ञान से दूर करता है। अतः सद्गुरु चन्द्रमा की भांति हो जाता है। मनुष्य चिंताओं के बोझ से काफी लदा हुआ है। अतः चिन्ता-मुक्त होने के लिए उसे भक्ति के मार्ग की ओर बढ़ना होगा। गुरु में इतना विवेक अवश्य होना चाहिए कि वह […]

पुनर्जन्म का तार्किक सत्य

हम आदि सनातन धर्म के लोग तो पुनर्जन्म को मानते हैं, परन्तु आज कुछ धर्मों के लोगों का यह मन्तव्य है कि एक जन्म लेने के बाद मनुष्य दूसरा जन्म नहीं लेता, बल्कि वह “कब्र दाखिल’ ही रहता है। जब कयामत अथवा महाविनाश का समय आता है तब परमात्मा आकर उसे कब्र से निकालते हैं […]

ईर्ष्या की अग्नि जला देती है मन

जिस प्रकार अग्नि लकड़ी को जला देती है, उसी प्रकार ईर्ष्या भी मनुष्य जीवन की सारी खुशी, सारे उमंग को जला देती है। ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों के लिए तो क्या जी पायेगा, उसका सारा जीवन अपने लिए ही अभिशप्त हो जाता है। वर्तमान युग में तो यह एक असाध्य रोग के समान फैल गया है। […]

ध्यान एवं योगनिद्रा से मनःशक्तियों का जागरण

तंत्रिका-तंत्र विशेषज्ञों के अनुसार मानवीय मस्तिष्क दो भागों में विभक्त है – बायॉं भाग और दाहिना भाग। मस्तिष्क के वाम भाग को उसकी क्रियाओं का संचालक व नियंत्रक कहा जाता है। मनुष्य द्वारा सोचे अथवा कल्पना किये गये चिंतन को क्रियान्वित करने का कार्य इससे संपन्न होता है। इसे मानवीय चेतना की जाग्रत अवस्था भी […]

सुख के सब साथी

जन्म जरा मरण भयर-भिद्रुते, व्याधि वेदना ग्रस्ते। जिनवर वचनादन्यत्र, नास्ति शरणं क्वचिल्लोके।। जन्म, जरा एवं मरण के भय से व्याप्त, व्याधि और वेदना से ग्रस्त संसार में प्रभु-वचन शांतिदायक है। प्रभु वाणी ही तारणहार है। जिनवाणी के सिवा जन्म-मरण में विश्रांति और शांति कहीं भी मानव को मिल नहीं सकती। उद्घरण है- गुण सुंदर कुमार […]

सोचकर चुनें लक्ष्य

हम सभी डरते हैं। डर के प्रकार पृथक-पृथक होते हैं और कारण भी। हम तमाम चीजों से डरते हैं, तमाम कामों से डरते हैं। कई बार अपने डरने का कारण स्पष्ट नहीं होता, फिर भी डरते हैं। कोई पत्र आया तो भी हल्का-सा डर कुछ लोगों में पैदा हो जाता है कि न जाने पत्र […]

श्रेष्ठ चिंतन, उदात्त व्यवहार

सब कुछ ठीक चलने के बावजूद अचानक कुछ हो जाना, जिंदगी के रहस्य को उद्घाटित करता है। जिंदगी एक पहेली है, एक रहस्य है, इससे पार पाना आसान नहीं है। चूंकि इसकी अतल गहराई में दबी-छिपी अधिकांश चीजें दिखती नहीं हैं और जो दिखती हैं, उनसे किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है, अतः […]

अकर्मण्यता अभिशाप है

“आराम बड़ी चीज है’, “मुंह ढंक के सोइए’ अथवा “अजगर करे न चाकरी’ जैसे जुमले, कहावतें अकर्मण्यों के लिए ढाल का काम करती हैं। लेकिन हवा बिना आराम किए क्यों बहती रहती है? नदी क्यों नहीं रुकी? सूर्य, नक्षत्र, चन्द्र अविराम गति से क्यों चलते रहते हैं? पृथ्वी अपनी धुरी पर स्थिर क्यों नहीं है? […]

जानिये परमात्मा को

प्रत्येक जीवन के भीतर मौजूद चेतन के चित्त का आनंद ही चेतन का स्वरूप है। स्वरूप…अपना रूप… निजी रूप। किसी भी चेतन के चित्त का यही आनंद स्वरूप मन को निर्देशित करता है, जिसके अनुरूप संसार में तरह-तरह के किरदार दिखाई देते हैं। किरदारों में भिन्नता है, परंतु मूल वही आनंद है। एक चेतन इकाई […]