हमारी लोकतांत्रिक अवधारणा का सच

कहने को देश आज़ाद है। देश में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत संसद है, न्यायपालिका है और नीचे से ऊपर तक अनेक संवैधानिक संस्थान हैं। देश में अपनी सरकार चुनने का ह़क जनता के पास है और वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने भाग्य-विधाताओं को कुर्सी आवंटित करती है। इस लिहाज़ से देखा जाए तो कोई भी कह सकता है कि हमने इन प्रक्रियाओं के आधार पर एक स्वस्थ और विचारशील लोकतंत्र की रचना की है।

हमारी लोकतांत्रिक अवधारणा का सच

लेकिन इसके साथ ही यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि क्या यह ढॉंचा ही वास्तविक लोकतंत्र की पहचान है? क्या यह ढॉंचा उन संकल्पों को विकसित करने में समर्थ है जो लोकतंत्र की बुनियादी अवधारणा के साथ जुड़ाव रखता है? क्या इस ढॉंचे ने समाज के दबे-कुचले लोगों को उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के […]

महंगाई और मोबाइल

महंगाई और मोबाइल

जब कमर टूट रही हो तो यह कहना कितना हास्यास्पद लगता है कि कमर कस लो। पर अपने नेताओं ने यही रटना लगा रखी है कि कमर कस लो, कमर कस लो। अपने यहॉं एक मुहावरा है- “कमरतोड़’ और यह मुहावरा आमतौर से महंगाई के साथ ही प्रयुक्त होता है। सचमुच महंगाई कमर तोड़ रही […]

पेट्रो-पदार्थों की मूल्य वृद्धि अर्थव्यवस्था की मजबूरी

लंबे अरसे की जद्दोज़हद और हॉं-ना की मैराथन दौड़ के बाद सरकार को एक अप्रिय फैसले के तहत गुजरना पड़ा है। इस फैसले की वज़ह से अब खुले बाज़ार में पेट्रोल की कीमत में पॉंच रुपया, डीजल में तीन रुपया तथा रसोई गैस के प्रति सिलेंडर में पचास रुपये का इज़ाफा हो गया है।

ग़नीमत यह है कि ग़रीब जनता का ध्यान रखते हुए सरकार ने केरोसिन तेल के दाम में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। निश्र्चित रूप से सरकार को इस मूल्य वृद्धि का फैसला ऐसे समय लेना पड़ा है जब मुद्रास्फीति की दर प्रति सप्ताह तेजी से भाग रही है। अर्थशास्त्री सरकार के इस फैसले को महंगाई […]

आतंकवाद के खिलाफ मुस्लिम संस्थाओं की पहल

आतंकवाद को लेकर देश की मान्य इस्लामिक संस्थाओं में बहुत तेजी से आत्ममंथन का दौर शुरू हुआ है और इस दृष्टि से वे सक्रिय भी हुई हैं कि "ज़ेहाद' के नारे के साथ खूनी तहरीर लिखने वाले आतंकवादियों के कृत्य को ग़ैर इस्लामिक करार देकर न सिर्फ इसकी निन्दा की जाए बल्कि इसके विरोध में मुहिम भी चलाई जाए।

आतंकवाद के खिलाफ मुस्लिम संस्थाओं की पहल

इसकी शुरुआत अभी हाल में इस्लामिक जगत की एक प्रतिष्ठित संस्था दारुल-उलूम देवबंद ने मुसलमानों के सभी फिरकों के प्रतिनिधियों तथा उलेमाओं और इस्लामिक विद्वानों का एक सम्मेलन आयोजित कर की थी। दारुल-उलूम देवबंद की इस बात को लगभग सभी फिरकों के उलेमाओं ने अपनी पूरी सहमति दी कि आतंकवादियों द्वारा ज़ेहाद के नाम पर […]

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