गोम्पाओं की धरती : स्पीति घाटी

साल में छः माह से अधिक समय तक बर्फ की सफेद चादर से ढकी रहने वाली हिमाचल की स्पीति घाटी को ‘गोम्पाओं की धरती’ भी कहा जाता है। इस घाटी के उत्तर में लद्दाख, पश्‍चिम में चम्बा और पूर्व में तिब्बत पड़ता है। हिमश्‍वेतिमा और यहां के अजीबो-गरीब रीति-रिवाजों के लिए यह घाटी काफी मशहूर […]

यह क्या हो रहा है विकास के नाम पर

किसी भी राष्ट्र के विकास में कृषि, खनिज, वन एवं जल संसाधनों की प्रमुख भूमिका रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है परन्तु कृषक यहाँ आत्महत्या करने के लिये मजबूर है। विगत कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसा क्यों? यह प्रश्‍न्न हमारे मस्तिष्क पटल पर उभरता है। […]

ऊंटों की दौड़

‘बाबा, आप मेरे और भैया के बीच संपत्ति का बंटवारा अपनी ज़िंदगी में ही कर देना।’ ‘क्यों क्या हुआ?’ ‘कुछ नहीं।’ ‘फिर यह बंटवारे की बात कहां से आ गयी?’ ‘दरअसल, मैं बाद में झगड़ा नहीं चाहती।’ ‘क्यों, क्या भैया से लड़ाई हो गयी?’ ‘नहीं।’ ‘फिर क्या बात है?’ ‘बाबा, देखो न संपत्ति के बंटवारे […]

हाई सैलरी रिश्तों पर भारी

कुछ दशकों पहले एक फिल्मी गीत बेहद लोकप्रिय हुआ था, ‘तेरी दो टकिए की नौकरी से मेरा लाखों का सावन जाए…।’ रोजी-रोटी कमाने के लिए हमारे यहां गांवों, कस्बों और छोटे शहरों से लोगों का बड़े शहरों की तरफ पलायन हमेशा से रहा है। यह पलायन रिश्तों पर हमेशा अपना प्रभाव भी छोड़ता रहा है। […]

कन्यादान

राम प्रसाद अपनी लड़की की शादी की तैयारियों में लगा हुआ था। एक अकेली जान, हजारों काम। कल लग्न लेकर जाना था। दहेज की वस्तुएं आज ही लानी थीं। लिस्ट बना रहा था, तभी उसकी पत्नी बोली, ‘‘अब बस भी करो। क्या सारा घर इसी पर लुटा दोगे?’’ इस पर रामप्रसाद बोला, ‘‘भगवान, आगे वालों […]

जेबीटी कार

मुनीष प्राइमरी स्कूल में जेबीटी अध्यापक था। वह जेबीटी अध्यापक केवल इस कार की वजह से बना था। यह कार न होती तो वह जेबीटी अध्यापक नहीं बन सकता था। अब जब वह मास्टर बन चुका है तो भी टैक्सी चलाता है। उसके स्कूल का मुखिया बहुत मेहरबान व्यक्ति है। छुट्टी आसानी से दे देता […]

निःशुल्क

स्कूल का पहला दिन था। सभी बच्चे उत्साह के साथ स्कूल पहुँचे। मास्टर जी ने बड़े प्यार से बच्चों का स्वागत किया और उन्हें दालान में बिछी दरियों पर बैठने का इशारा किया। कुछ ही देर बाद बड़े अधिकारी की कार आकर रुकी। मास्टर जी ने लपक कर दरवाजा खोला और मंच की तरफ ले […]

पहली महाविद्या काली

दस महाविद्याओं में काली प्रथम हैं। महाभागवत के अनुसार महाकाली ही मुख्य हैं और उन्हीं के उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविद्याएँ हैं। विद्यापति भगवान शिव की शक्तियाँ ये महाविद्याएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दार्शनिक दृष्टि से भी कालतत्व की प्रधानता सर्वोपरि है। इसलिए महाकाली […]

चिकित्सकों का कानून बनाम मरीजों की गुलामी

चिकित्सक यानी सेहत का रखवाला, दुःखहर्ता, कुदरती बीमारियों और तकलीफों से निजात दिलाने वाला शख्स और सामान्य व्यक्तियों की निगाह में भगवान, ईश्‍वर, देवता। जी हाँ, दुनियाभर में चिकित्सकों के साथ ये उपमाएं सदियों से प्रयुक्त होती आ रही हैं। गुजश्ता समय में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैैंं, जब वे इन उपमाओं पर […]

बैठे-ठाले दफ्तर में लंच

यदि कहीं दफ्तर है तो दफ्तर में लंच अवश्य होगा। बल्कि यों कहा जाना चाहिए कि दफ्तर काल में लंच स्वर्णिम काल होता है। वास्तव में दफ्तर वह स्थान है जहाँ पर घरेलू कार्य तसल्ली से किये जाते हैं। यदि आप दफ्तर में काम करते हैं तो दफ्तर में लंच का इंतजार अवश्य करते होंगे। […]

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