तेजी से बढ़ते मधुमेह व हृदय-धमनी रोग

Fast growing diabetes and coronary artery diseaseदेश में मधुमेह और हृदय धमनी रोग (एन्जाइना, हार्ट-अटैक) दोनों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। कुछ समय पूर्व धारणा थी कि ये दोनों रोग उच्च वर्ग एवं प्रौढ़ावस्था के हैं। किन्तु भारतीयों के जीवन में बदलाव, गलत खान-पान, बढ़ते मोटापे, तनाव, सिायता में कमी, बढ़ते तम्बाकू सेवन इत्यादि कारणों से ये रोग महामारी का रूप ले रहे हैं। विश्र्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आगामी कुछ वर्षों में इन रोगों के सबसे ज्यादा मरीज भारतीय होंगे।

मधुमेह रोग अग्नाशय से इन्सूलिन हार्मोन का कम स्त्राव होने या इसके ऊतकों पर निष्प्रभावी होने के कारण होता है। रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं। धमनियों में बदलाव होते हैं। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है।

हृदय-धमनी रोग विश्र्व में मौत का नंबर वन कारण है। यह रोग हृदय की पेशियों को रक्त आपूर्ति करने वाली कारोनरी धमनी की अन्दरूनी सतह में कोलेस्ट्राल जमा होने के कारण इनके संकरे होने, लचक कम होने और अन्दरूनी सतह असमतल होने के कारण होता है। यह दशा “एथ्रोमो स्कोलोरोसिस’ कहलाती है। हृदय पेशियों को श्रम करने पर संकरी कारोनरी धमनी से पर्याप्त रक्त की आपूर्ति न होने के कारण “एन्जाइना’ छाती में दर्द हो सकता है। यदि रक्त का थक्का बनकर रक्त प्रवाह को रोक देता है तो पेशियों के नष्ट होने से हार्ट-अटैक हो सकता है। हृदय-रोग का भी घनिष्ठ संबंध जीवन-शैली व खानपान से होता है। यह रोग भी मोटे, तनावग्रस्त, आलसी, अत्यधिक वसा का सेवन करने वालों, सिगरेट, तम्बाकू का सेवन करने वालों में होने की ज्यादा संभावना होती है।

मधुमेह रोगियों में हृदय-धमनी रोगों की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है। यह गंभीर और घातक होता है।

मधुमेह हृदयधमनी रोग में संबंध

  • मधुमेह रोगियों में हृदय-रोग अपेक्षाकृत कम आयु में हो सकते हैं। दूसरा अटैक होने का खतरा सदैव बना रहता है।
  • रजोनिवृत्ति के पूर्व महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण हृदय रोगों का खतरा पुरुषों की अपेक्षा कम होता है। पर मधुमेह ग्रसित महिलाओं में यह सुरक्षा कवच निष्प्रभावी हो जाता है और इनके हृदय-रोग का खतरा पुरुषों के समकक्ष हो जाता है।
  • मधुमेह रोगियों में हृदय-धमनी रोग मौत का प्रमुख कारण है।
  • मधुमेह रोगियों में हृदय-रोग का खतरा मधुमेह की अवधि के साथ बढ़ता जाता है। इनमें हार्ट-अटैक ज्यादा गंभीर और घातक होता है।
  • मधुमेह मरीजों में हार्ट-अटैक होने पर भी छाती में दर्द नहीं होता, क्योंकि दर्द का अहसास दिलाने वाला इनका स्नायु क्षतिग्रस्त हो सकता है। यह “शांत हार्ट-अटैक’ कहलाता है।
  • मधुमेह रोगियों को एन्जाइना होने पर श्र्वास फूलने, चक्कर आने, हृदय गति अनियमित होने का खतरा रहता है।
  • मधुमेह रोगियों में यदि रक्त का ग्लूकोज स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और रक्त में किरोन का स्तर भी बढ़ता है तो अचानक रक्त संचार की प्रणाली कार्य करना बंद कर देती है और उससे मौत हो सकती है।
  • मधुमेह रोगियों में विभिन्न कारणों से रक्त वाहिनियों में एथ्रीमो स्कोरोसिस के बदलाव कम आयु में शुरू होकर तेजी से होते हैं।

समाधान

मधुमेह, हृदय धमनी रोग व उच्च रक्तचाप गंभीर, घातक व जटिल रोग हैं। कुछ हद तक ये वंशानुगत होते हैं, पर साथ ही इन रोगों का घनिष्ठ संबंध जीवन-शैली, आदतों, सोच, खानपान से भी होता है। इन रोगों से बचाव के लिये अपने वजन को नियंत्रित रखना अति आवश्यक है।

यदि वजन ज्यादा है तो भोजन में बदलाव के साथ व्यायाम कर कम करें और मानक वजन पर नियंत्रित करें।

भोजन संतुलित करें, जिसमें जटिल शर्करा और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में हो तथा वसा व कोलेस्ट्राल सीमित मात्रा में हो। प्रचुर मात्रा में फलों, सब्जियों का सेवन करें।

सिाय रहें, गृहकार्य करें, नियमित व्यायाम जैसे घूमना, जॉगिंग, तैराकी, साइक्ंिलग, एरोबिक्स इत्यादि करें। मनपसंद खेलों में भागीदारी करें।

तनाव मुक्त रहें, चिंता कम करें। जीवन को नीरस न बनायें, समय-समय पर मनोरंजन के लिये भी समय निकालें। अभिरुचि विकसित करें। जीवन सहज, सरल ढंग से जीयें। प्राणायाम, योग, ध्यान का नियमित अभ्यास करें।

सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा एवं अन्य नशीले तत्वों का सेवन न करें। शराब का सेवन न करें या फिर यदाकदा सीमित मात्रा सेवन करें।

मधुमेह रोग को “शांत हत्यारा’ रोग कहा जाता है, क्योंकि रोग की शुरुआत में कोई कष्ट, लक्षण नहीं होते, पर धीरे-धीरे रोग घुन की तरह ज्यादातर अंगों को क्षति पहुँचाता है और गंभीर जटिलताएँ होने पर ही ज्यादातर व्यक्ति रोग पर नियंत्रण का प्रयास करते हैं, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। अधिकांश मधुमेह मरीज रोग के प्रति शुरुआत में लापरवाह रहते हैं और जटिलताएँ होने पर ही सचेत होते हैं। मधुमेह मरीजों को लापरवाही कतई नहीं करनी चाहिए। जीवन-शैली, भोजन, आवश्यकता होने पर नियमित दवाइयों का सेवन रक्त ग्लूकोज, रक्त कोलेस्ट्रॉल अवयवों पर कड़ाई से नियंत्रण रखना चाहिए, जिससे मधुमेह के कारण होने वाले हृदय-रोगों एवं अन्य जटिलताओं से बचाव हो या देरी से धीमी गति से हो।

शोधों से ज्ञात हुआ है कि यदि मधुमेह रोगी इन्सूलिन इन्जेक्शन नियमित लगाकर रक्त ग्लूकोज स्तर नियंत्रित करते हैं, तो हृदय-धमनी रोगों की संभावना कम हो जाती है।

मधुमेह रोगियों को जीवन-शैली में बदलाव, दवाओं के सेवन के साथ ही नियमित अंतराल पर चिकित्सक से परीक्षण और जॉंचें करवानी चाहिए, जिससे मधुमेह रोग पर नियंत्रण तथा इसके कारण होने वाली जटिलताओं की शुरुआत में ही जानकारी प्राप्त हो सके, जिससे सावधानी, परहेज, उपचार द्वारा इनके घातक परिणामों से बचाव हो।

मधुमेह, हृदय-रोग, उच्च रक्तचाप तीनों ही जटिल, गंभीर व घातक रोग हैं। रोगों का घनिष्ठ संबंध जीवन-शैली से तो है ही, साथ ही तीनों रोगों का आपस में भी घनिष्ठ संबंध होता है। एक रोग होने पर दूसरे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। रोग गंभीर, घातक, अनियंत्रित, लाइलाज हो सकते हैं। अतः नियमित अंतराल में चिकित्सकीय परीक्षण करवायें, जिससे इन रोगों की शुरुआती अवस्था में ही पता लग सके।

– डॉ. जे.एल. अग्रवाल

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