नशे की लत में सुलगता बचपन

Youth Intoxicationदेश का भविष्य कहलाने वाले युवा होते किशोर दिनोंदिन नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। उनके हाथों में अब किताब की जगह अपनी ही मौत का सामान होता है। सड़कों पर रहने वाले या रेलवे अथवा अन्य स्थलों पर जीवन बिताने वाले ये किशोर हेरोइन व स्मैक का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। चमड़ा चिपकाने वाले सॉल्यूशन से भीगे कपड़ों को चूसते ये बच्चे आए दिनों सड़कों-चौराहों पर भटकते देखे जा सकते हैं। इन किशोरों में करीब 12 से लेकर 18 वर्ष के बीच होते हैं। एक मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ के मुताबिक यदि बचपन में एक बार नशे की लत लग गई तो उस नशे से छुटकारा पाना अत्यन्त ही कठिन हो जाता है। कई बार अच्छे खाते-पीते घरों के बच्चे भी इस लत के शिकार हो जाते हैं और समय पर पैसे की उपलब्धता न होने की वजह से नशे की आपूर्ति के लिए वे अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं और सड़कों पर रहने वाले  भीख मांगना शुरू कर देते हैं। यदि बचपन अपराध की दुनिया में कदम रखता है तो शुरू-शुरू में गंभीर अपराध न करके वह छोटे-मोटे अपराध करता है। और इससे अपने नशे के लिए पैसे एकत्र करता है। वह लोगों के मोबाइल छीनता है, जेबें काटता है। यदि इन्हें कुछ नहीं मिला तो स्ट्रीट लाइट तथा पार्कों में लगी रेलिंग आदि की चोरी भी कर लेते हैं।  जब ये पूरी तरह अपराधी प्रवृत्ति के बन जाते हैं तो सैलानी की जेब काटकर या उनके सामान झपटकर भाग जाते हैं।
गौरतलब है कि सरकार किशोर कल्याण को लेकर वादे तो बहुत करती है लेकिन नशे की गिरफ्त में बरबाद हो रहे बचपन के प्रति वह कतई गंभीर नहीं दिखती। एक देशव्यापी सर्वे के मुताबिक बाल नशेड़ियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो रही है। फिर भी पुलिस व सरकार, दोनों इस मामले को लेकर उदासीन हैं। पुलिस विभाग के कर्मचारियों को मादक द्रव्य बेचने वाले व्यापारियों की ओर से गाढ़ी कमाई हो जाती है। बेचारी पुलिस भी क्या करे। जब देश की नीति में ही विसगतियां हैं तो पुलिस भी अपने कर्त्तव्य से उदासीन है।
पूरे देश में तमाम ऐसे स्थान हैं, जहॉं पर बाल नशेड़ी बेखौफ होकर नशे की लत पूरी करते देखे जा सकते हैं। पूरे देश का ऐसा कोई राज्य नहीं है जो बाल नशेड़ियों से वंचित हो। एक गैर-सरकारी संगठन आदित्य सेवा आश्रम, गोरखपुर के सर्वे के मुताबिक देश के सीमावर्ती क्षेत्र और शहरी क्षेत्रों में बाल नशेड़ियों की संख्या सबसे अधिक है। वर्तमान में आयी इस गंभीर समस्या से फिलहाल ग्रामीण इलाका वंचित है। प्रमुख समाजशास्त्री इस समस्या के समाधान के लिए लोगों के नजरिए में परिवर्तन तथा विद्यालय और महाविद्यालय की भूमिका को अहम मानते हैं। नशे की लत में जकड़े किशोरों को उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना ज़रूरी है। साथ ही बच्चों को शक्ति से नहीं बल्कि बल्कि प्रेमभाव से सुधारने की कोशिश होनी चाहिए। किशोरों को नशे से मुक्ति दिलाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को आगे आना चाहिए। यदि समय से पहले नहीं चेता गया तो हमारा देश नशेड़ियों का देश बनकर रह जाएगा, वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं है।

– अविनाश कुमार

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