अद्भुत है मनभावन है,
मेरे खेत की माटी।
माँ सरीखी पावन है,
मेरे खेत की माटी।
हल से सीना चिरवाती है,
बीज बोओ फसल उगाती है।
सब की भूख मिटाती है,
मेरे खेत की माटी।
छूकर देखो पोली है,
नन्हीं बच्ची-सी भोली है।
भरे मेहनत की झोली है,
मेरे खेत की माटी।
बरखा की प्रथम बूँद गिरे,
कण-कण सौंधी महक झरे।
बन जाती है खेत हरे,
मेरे खेत की माटी।
तपती और तपाती है,
लुटा कोष हर जाती है।
तीर्थ धाम कहाती है,
मेरे खेत की माटी।
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