आव आव अजमल जी रो लाला, थानें भगत बुलावे भजन

आव आव अजमल जी रो लाला, थानें भगत बुलावे।
हों बाबा थाने बानीयो, बुलावे रे, बाबा बेगो आवे॥
आप कहयो दज देश छोड़, परदेश कमावन आयोजी।
बिच भँवर में डोले मेरी नैया, गोता खावे जी॥ 1 ॥
चाराँ कानी समुंदरी यो बाबा, म्हारे कोई नाहीं रे।
जहाजड़ली म्हारी डुबन लागी, जीव घबरावे रे॥ 2 ॥
छोटा छोटा टाबरिया म्हारा, रुणेचाँ में रुलसी जी।
इन छोटा टाबरिया रो, पालन कुन करसी जी॥ 3 ॥
रामदेव बीरम देव दोनों भाई, चौपड पासा खोले।
रमता रमता भुजा पसारी, जहाजं तिरायी जी॥ 4 ॥
दूरां देशां रा आवे जातरूं, परचा थारा भारी जी।
दास व्याश चरणा में थारा, शीष नवावे जी॥ 5 ॥

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