खत्म हुआ तांत्रिक का तिलस्म

तंत्र सम्राट बाबा गोरखनाथ के सामने स्नेहा आँखें मूंदे बैठी थी और वह इंसानी खोपड़ी को हाथ में पकड़े कोई मंत्र बुदबुदा रहा था। समीप ही उसके दो चेले भी बैठे थे। चंद पलों के बाद गोरखनाथ ने दहाड़ते हुए कहा, “”खुदा के कर्म से आज तू शैतानी आत्मा से मुक्त हो जाएगी। चल अपनी आँखें खोल।”

स्नेहा ने अपनी आँखें खोलीं तो बाबा के एक चेले ने एक गिलास में कुछ केसर का अंश डालकर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा, “”इस अभिमंत्रित जल को अपने जिस्म पर अच्छी तरह से मल लो। यह सुरक्षा-कवच का काम करेगा।” स्नेहा सम्मोहित-सी अवस्था में गिलास का जल अपने ऊपर छिड़कने लगी, जिससे जल उसके कपड़ों पर ही गिरने लगा।

स्नेहा को अपने कपड़ों के ऊपर जल छिड़कते देख बाबा ाोधित हो उठा। उसने समझाते हुए कहा, “”अरी मूर्ख! इस अद्भुत शक्ति वाले जल को कपड़ों पर लगाकर ही बेकार कर देगी क्या! अरी पगली, दुष्ट शैतानी आत्मा से मुक्ति चाहती है तो कपड़ों के अंदर जिस्म के हर अंग पर इसे लगा।”

बाबा की बात सुनकर स्नेहा चौंक उठी। उसने कुछ कहना चाहा तभी बाबा ने कहा, “”अगर मेरी बात नहीं मानोगी तो यह दुष्ट आत्मा तुम्हारे घर में आग लगा देगी। पति को बर्बाद कर देगी।” दहशतजदा स्नेहा ने तत्काल अपने जिस्म के कपड़े उतार दिए और गिलास के पानी को नग्न शरीर पर छींटने लगी।

स्नेहा को ऐसा करते देख बाबा ने कहा, “”अब वह दुष्ट आत्मा तुम्हारे अंदरूनी जिस्म से बाहर आने के लिए छटपटाएगी, जिसे हम तीनों मिलकर पहले उसे तुम्हारे जिस्म के भीतर ही घायल कर देंगे, उसके बाद वह तुम्हारे गहनों में कैद हो जाएगी। इन गहनों को मैं दफना दूंगा।”

जैसे ही स्नेहा ने पानी के गिलास को खाली करके नीचे रखा, समीप बैठे दूसरे चेले ने एक पु़डिया में बंधी राख उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा, “”इसे अपने मुंह में रखकर पीर बाबा से कामना करो कि दुष्ट आत्मा तुम्हारे शरीर को छोड़ दे।”

स्नेहा ने उस पु़डिया के द्रव्य को अपने मुंह में रख लिया। कुछ देर बाद ही वह छाती के दर्द से छटपटाने लगी। इसे देख गोरखनाथ ने स्नेहा से कहा, “”बुरी आत्मा बाहर आने के लिए छटपटा रही है। इसे हम तीनों मिलकर घायल कर देते हैं।” वे तीनों स्नेहा के पास गये और उसे लिटाकर उसकी अस्मत लूटने लगे।

24 साल की स्नेहा पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रीधारी और करोड़पति परिवार की नवेली वधू थी, किन्तु न जाने इस आधुनिक महिला की दिमागी सोच को किस ताकत ने घेर लिया था कि वह इस अन्याय का प्रतिकार भी न कर सकी। मेडिकल की छात्रा रह चुकी स्नेहा उन तीनों दरिंदों के चंगुल में फंस चुकी थी।

घर पहुंचने के पश्र्चात अपने पति के पूछने पर भी उसने इतना ही कहा था कि वह बाजार शॉपिंग के लिए गई थी। एक सप्ताह गुजर गया, लेकिन उसे बुरे सपने आने बन्द नहीं हुए। वह इसी से छुटकारा पाने के लिए ही बाबा गोरखनाथ के पास पहुंची थी। उसे महसूस होने लगा कि बाबा और उसके चेलों ने मिलकर उसकी अस्मत लूटी है और साथ ही कीमती जेवर भी रख लिये हैं।

स्नेहा ने अपने पति से सारी बातें बता दीं। उसका पति रिवॉल्वर लेकर उन दुष्टों को मारने के लिए चला, किन्तु स्नेहा ने समझाते हुए कहा, “”प्लीज, पहले अपने गुस्से पर काबू कीजिए नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। क्यों न हम पुलिस को खबर कर दें?”

पति और पत्नी ने मिलकर एक योजना बनाई। स्नेहा दुबारा उस बाबा के पास गयी और उसने शिकायत के स्वर में कहा, “”मुझे तो बुरे सपने पहले की तरह ही आ रहे हैं।” बाबा ने अपने शिष्यों की ओर देखा और स्नेहा से कहा, “”लगता है आत्मा का कुछ अंश बाकी रह गया है। उसके लिए फिर से वही प्रिाया अपनानी होगी।” योजना के अनुसार स्नेहा तैयार हो गई और अपनी ऊपरी वस्त्रों को उतार दिया। वे तीनों मिलकर स्नेहा की अस्मत से खिलवाड़ करते, उससे पहले ही पुलिस को लेकर स्नेहा का पति वहां पहुंच गया।

पुलिस ने बाबा गोरखनाथ सहित दोनों चेलों को पकड़ कर बलात्कार एवं लूट के अपराध में जेल में डाल दिया। चौथी कक्षा तक पढ़ाई करने वाला ढोंगी बाबा लगभग पन्द्रह वर्षों से तांत्रिक बनकर न केवल लोगों को ठग ही रहा था, बल्कि महिलाओं का भरपूर यौन-शोषण भी कर रहा था।

– आरती रानी

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