खाओ ताजा, पकाओ ताजा

अब जमाना आ गया है कि आप हफ्तों तक चूल्हा जलाए बिना अपना पेट भर सकते हैं। ऐसा मुमकिन हुआ है डिब्बाबंद खाद्य-पदार्थों की उपलब्धता से। रोटी नहीं खाना चाहते तो पाव खाइए। पाव पसंद नहीं तो तरह-तरह के बिस्कुट हाजिर हैं। चटनी, अचार, मुरब्बे, सूप, चॉकलेट, पेस्टी, पेटीज और न जाने क्या-क्या? भारतीय बाजार डिब्बा-बंद खाद्य-सामग्री से भरे पड़े हैं। जीवन-शैली में आए बदलाव ने डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थ निर्माताओं की चांदी कर दी है। खाने वाले भी खूब हैं और खिलाने वाले भी कम नहीं हैं। खाने वालों को पता हो या न हो, लेकिन खिलाने वाले जानते हैं कि डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थ सेहत बनाते नहीं हैं बल्कि बिगाड़ते हैं। फिजिशियन डॉ. प्रदीप मित्तल कहते हैं, “”डिब्बा-बंद खाद्य-सामग्री के प्रचलन से लोगों में डायबिटीज, मोटापा, ब्लड-प्रेशर और इसी तरह की तमाम बीमारियां तेजी के साथ बढ़ रही हैं। वजह साफ है, डिब्बा-बंद खाद्य-सामग्री से पोषक तत्वों के साथ-साथ रेशों का गायब होना।

डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के लिए एम.एस.जी, बेजोहट्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह रसायन बीमारियों का सबसे बड़ा स्रोत है। डिब्बा-बंद सामग्री में वसा की मात्रा भी सामान्य तौर पर पका कर खाये जाने वाली सामग्री के मुकाबले ज्यादा होती है।

डिब्बा-बंद खाद्य-सामग्री का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता प्रायः लापरवाह होते हैं। ज्यादातर लोग खाद्य-सामग्री की आकर्षक पैकिंग को ही देखते हैं। खाद्य-सामग्री के घटकों, पोषक तत्वों यहां तक कि उत्पादों के उपयोग की मियाद के बारे में कम ही उपभोक्ता सतर्क होते हैं, इनसे डिब्बा-बंद खाद्य-सामग्री फायदे के बजाय नुकसानदेह साबित होती है।

आजकल उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए उत्पादक अपने उत्पाद को पोषक और कम कैलोरी, कम वसा वाला बताकर प्रचारित करने लगे हैं। हकीकत यह है कि कोई भी डिब्बा-बंद खाद्य-उत्पाद ताजा बनाए गए, खाद्य-पदार्थ का विकल्प हो ही नहीं सकता। ताजा बनाया गया खाद्य-पदार्थ ही एकमात्र संतुलित भोजन होता है। समाज में पति-पत्नी के नौकरीपेशा होने के कारण मध्यमवर्गीय परिवारों में डिब्बा-बंद खाद्य- सामग्री का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही बढ़ी हैं व्याधियां। सबसे बड़ी व्याधि है मोटापे की। मोटापे ने बच्चों तक को गिरफ्त में ले लिया है। मोटापे के कारण कई बीमारियां भी परेशान करती हैं।

गृहिणियां अगर जरा-सा अतिरिक्त प्रयत्न कर बच्चों के लिए ताजा खाना पकाएं और भोजन में फलों तथा शीघ्र पकने वाले नाश्ते को शामिल कर लें, तो बच्चों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से बचाया जा सकता है।

डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थों में जरा-सी गड़बड़ी से हानिकारक बैक्टेरिया, फंगस, परजीवी विषाणु पनपने की आशंका हमेशा बनी रहती है। डिब्बा-बंद खाद्य-सामग्री में यह गड़बड़ी किसी भी स्तर पर हो सकती है। डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थ के निर्माण, प्रसंस्करण, भण्डारण और परिवहन के समय प्रायः यह गड़बड़ियां होती हैं।

बाजार में जहां डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थों की उपलब्धता तेजी से बढ़ रही है, वहीं इसके समुचित भंडारण को लेकर ज्ञान का अभाव है। डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थों का सही तरीके से भंडारण और संरक्षण निर्माता और उपभोक्ता की जिम्मेदारी होती है। सुरक्षित भोजन को सुनिश्र्चित करने के लिए यह सामान्य जिम्मेदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसीलिए जहां तक मुमकिन हो, अपनी रसोई में डिब्बा-बंद खाद्य-पदार्थों को कम से कम स्थान दें। ताजा पकाएं, ताजा खिलाएं और पूरे परिवार को अनचाही, अनजान बीमारियों से हमेशा दूर रखें।

– दीप्ति शर्मा

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