गंगा-आकाशगंगा तुम कितनी गहरी!

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि आखिर यह आकाशगंगा है क्या? आप कहेंगे, आकाशगंगा सितारों से भरी एक नदी है, नक्षत्रों की विशाल चाी है इत्यादि इत्यादि…

वह सब तो ठीक है। लेकिन गहराई से जानो तो ध्यान में आएगा कि यह और भी कुछ है।

इन दिनों कभी रात के स्वच्छ आकाश में उत्तर की ओर देखो, तो अंग्रे़जी के डब्ल्यू आकार का शर्मिष्ठा (केशियोपिया) नक्षत्र दिखाई देगा। उसके पीछे से होकर पूर्व की ओर जाता एक धुंधलका दिखाई देता है। यही है आकाशगंगा। दो-चार महीनों बाद इसी में मृग (ओरायन) भी दिखेगा।

सच कहें तो इतना परिचय काफी नहीं है। वास्तव में आकाशगंगा में खरबों तारे हैं। एक-एक तारा सूर्य या उससे भी बड़ा है। सूर्य तो बस इस आकाशगंगा के सेंटर प्वाइंंट से 30000 हजार प्रकाश वर्ष दूर, पृथ्वी और अन्य दूसरे ग्रहों को साथ लिए चक्कर लगा रहा है। 250 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से अपना एक चक्कर पूरा करने में 250 मिलियन वर्ष लगते हैं। हमारे पड़ोस में एक और आकाशगंगा (गैलेक्सी) है, जिसका नाम एंडोमीडा है। ये दोनों आकाशगंगाएँ हौले-हौले एक-दूसरे में समा रही हैं। अगले 5 बिलियन वर्षों में ये दोनों एक हो जाएंगी।

हमारी और भी पड़ोसी आकाशगंगाएं हैं, जो मामूली हैं। ब्रह्मांड में चार बड़ी आकाशगंगाएँ टकराकर आपस में मिलने की तैयारी में हैं। इनके मिलने से बनने वाली आकाशगंगा वर्तमान आकाशगंगा से दस गुना बड़ी होगी। दोस्तों, इसे समझने के लिए “गो-कार्टिंग’ खेल की कल्पना करो। कल्पना करो कि रेत से भरे चार टक रेत बिखेरते हुए, आपस में टकराते हुए गोल-गोल घूम रहे हैं। बड़े तारे रेत के कणों की तरह हैं। आकाश गंगाओं के टकराने में लाखों बड़े तारे छूटकर ब्रह्मांड में बिखर रहे हैं। इनमें से आधे वापस आकाशगंगा में आ मिलेंगे और बाकी ब्रह्मांड में कहीं खो जाएंगे। ब्रह्मांड उन सबको स्वयं में समा लेने के लिए काफी बड़ा है।

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