गणगौर

ग – गणपति का कर वन्दन
न – नववधू करैं अर्चन
गौ – गौरी गिरिजा पूजन
र – रखते व्रत सब पुरजन

हो रही गीतों की रमझोला छाई खुशियाँ चारों और,
चम-चम चमके चुन्दडी, पूजू में गणगौर।

चैत्र सुदी तीज के दिन गणगौर का त्यौहार होता है शिव पार्वती की पूजा में इक्कठे होकर 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में कन्याएँ माँ पार्वती को अपने सुन्दर गीतों से रिझाते हुए मन पसन्द जीवन साथी पाने का आर्शिवाद मांगती हैं, माँ पार्वती के द्वारा वरदायक शिवजी से सुयोग्य वर पाने की इच्छाएँ व्यक्त करती हैं। औरते अपने सुहाग के लिए माँ से प्रार्थना करती हैं।

सिन्जोरे के दिन मट्टी की गणगौर बनाते है गवर, ईश्‍वर, रोवा, कानु मालण ऐसे पाँच बनाते है उन्हें सजाते हैं, जंवारा के साथ में पूजा करते हैं,गणगौर के दिन पाटे पर छवडी में ये गणगौर वजवारे दूसरेपाटे पर रखते हैं पेपर पर गणगौर, ईश्‍वर मांड कर दीवाल पर चिपकाते है इन सभी की पूजा करते है।

पूजा में दुब, दही, कुकुं, चावल, मोली, फूल आटे के बने फल सीरा पूडी, गणगौर को ओढाने के लिए गोटा लगा हुआ ब्लाउज पीस मेहन्दी काजल पैसे लेते हैं। पूजने के लिए लोटे में पानी व दही मिलाकर एक थाली में डालते हैं उसमें हल्दी का गांठिया चांदी की अगुंठी, तांबे का पाया कोडी डालते हैं। दूब को व्यवस्थित करके, उसके मोटे भाग से दातुंन बनाते है उपर का पूजने के लिए काम में लेते हैं। कँवारी लडकी 16 दांतुन, 16 फल व 16 बिन्दियाँ लगाती है। शादी शुदा (उद्यापन के बाद) यह संख्या 8-8 हो जाती है पेपर पर गणगौर ईश्‍वर की पूजा करके उन्हें मोली चिपका देते है, आठ-आठ टिकिया मेहन्दी कुकुं व काजल की लगाते हैं फिर गणगौर व जवारा की पूजा करते है, आठ फल चढाते है, उसमें से चार वापस उठाते हैं, वो फल दूसरे के चढाये हुए लेते हैं उन्हेें अपने पास रख लेते हैं जब खाना खाते है तब प्रसाद ले लेते हैं। सबसे पहले आठ दातुंन लेकरगणगौर माता कोदातुन करवाते हैं, फिर पूजा करके फल, सीरा, पुडी चढाकर गणगौर पूजते है। गणगौरपूजते वक्त बोलने वाला मत्रं चार बार बोलते हैं। सब जन गणगौर पूज लेती हैं तो ओडा कोडा करते है उसके बाद पाटा धोते है, पाटा धोने केबाद उस पानी कोलोटे में डाल लेते हैं, कहानी, आरती होने के बाद बाहर आकर घाघरा घुमाते हैं। गणगौर में फोगले का रायता जरुर बनाते है। एक समय भोजन करते हैं। गणगौर पूजने के पश्‍चात सासुजी को प्रणाम करके पगे लागनी देते है फिर खाना खाते हैं। पाँच बजे बाद गणगौगर को पानी पिलाते हैं, गीत गाते है दही पतासा से जिमाते हैं फिर बोलाने (यानि पधराने) तलाब पर ले जाते है। पधरा के गीत व बघावा गाकर घर आ जाते है। गणगौर के दिन चार कहानियाँ कहते हैं।
गणगौर की कहानी

गणगौर माता पीहर गयोडा इश्‍वर जी (शिवजी) लेवन ने गया सासूजी भांत-भांत री रसोई बनाई शिवजी महाराज जीमण ने बेठया सारी रसोई जीम लिया 2 बथवे री पीन्डोलियां बची जीम कर जावण री उताव ल करण ने लाग्या माँ कियो रसोई बनाऊ तो पार्वती जी बोल्या माँ बेटी ही तो हुं जो हे सोई खा लेसुं बथवे री पि-डोली खाकर पाणी पी लीयो रास्ते में शिवजी पुछयो पार्वती जी कांई जिम्या तो बोल्या महाराज थे जिम्या सोई म्हे जिम्या शिवजी 4-5 बार पुछयो पार्वतीजी यो ही जबाब दिया चालता-चालता थक गया, पिपल के पेड के नीचे बेठया पार्वती जीरी आंख लागगी शिवजी महाराज पेटरी ढकणी उघार र देखी तो दो बथवारी पिण्डोलीयां पानी में तिररही थी भगवान पार्वजी जी न बोल्या पार्वतीजी ये झूठ बोल्या पर मैथारी ढकणी, उघाडकर देखली पार्वती जी बोल्या महाराज म्हारी तो ढखणी उघाडी संसार में किरी भी ढकणी मत उघाडीज्यो।

शिवजी पार्वतीजी जा रिया था साथ में नान्दीये ने लियो शिवजी न पार्वती जी संसार र बारे में पुछयो भगवान कियो पार्वती अठे तो चाडिये न ही हँसे, पाले ने ही हंसे पार्वती जी किया कियान तो केवे आगे ठा पड जासी भगवान पैदल चालण लाग्या पार्वती जी ने नान्दीये पर बिठा दिया आगे एक गांव आयो, कुए उपर पणियारीयां पाणी भरे हीदेख ता ही बोलण लागी हे राम कांई जमानो आयो है किसी पतिवर्ता लुंगाई हैखुद तो सवारी पर बैठी है आदमी बीचारो पैदल चाले दुसरेगांव में शिवजी सवारी पर बैठगा पार्वतीजी पैदल चाले हां लुगाइयाँ देखी और केवण लागी है राम खुद तो सवारी पर बैठयो है लाण नाजुक जीव पैदल चाले है तीसरे गांव में दोनुं जणा सवारी पर बैठगा लुगाइयां देखी और केवण लागी,हे राम दया धर्म ही उठ गयो है बीचारो नान्दीयो दो-दोरो वजन उठा र चाले चोथे गांव में दोनुं ही उतर गया लुगाइयां देखी और केवण लागी है राम इसा ही मुर्ख देख्या, सवारी छता पैदल चाले,पार्वती जी र बात समझ में आ गी तालाब र तीर माथे जार बैठगा तीजरो दिन थो लुगाइयां आई पूजा करी माताजी सबने सुहाग बांट दिया ब्राह्मण, वाणियां री लुगाइया देरी सुं गई सजधज कर, माताजी कियो बाइयां मोडी घणी आई अबे म्ह तो सारो सवाग बांट दियो लुगाइयां चरणा में पडगी माताजी चिटुली आंगली सुं सवाग रो छाटो दियो नखांमासुं मेहन्दी काडी कोया मासु काजल काडयो अखण्ड सोभाग्य वरदान दियो, हे गणगौर माता, सगला न अखण्ड सौ भाग्य दिया।

राजा बाया जो चना, माली के बायी दूब राजा का जो चना बढता गया माली की दूब घटती गई एक दिन माली सोच्यो कि या के बात है राजा का जो चना तो बढता जावे म्हारी दूब घटती जाये, एक दिन माली छुप कर बेठगो, देखे छोरियाँ आई है, और दूब तोड कर लेजाव है, माली कोई रा घागरा खोस लियाकोई का ओढणा खोसलिया कि थे म्हारी दूब क्युं लेजावो हो छोरियाँ बोली कि म्हे सोलह दिन गणगौर पूजा हा सोम्हारा घाघरा ओढणा दे दो, सोलह दिन बाद गणगौर विदा होइ, जिक दिन म्हे तन भर-भर कुन्डारा सीरा लापसी का ल्याकर देवांगा। पिछ वो सबका कपडा पाछा दे दिया, सोलह दिन पूरा होगा, छोरियाँ भर-भर सीरो लापसी मालण ने ल्याकर देई। बार न स मालण को बेटो आयो, बोल्यो माँ भूख लागी है, मालण बोली कि बेटा आज तो छोरियाँ धणा ही सीरा लापसी रा कुन्डारा देगी है ओबरी में पडया है खाले, ओबरी खोलर देखे तो-

इश्‍वर जी तो पेचो बांधे गवरा बाई पेच संवारे आ राज म्हे इसर थारी साली छा साली छा मतवारी ओराज भवर पट्टा पटवारी ओ राज केशर की सी क्यारी ओराज चाबां लुगं सुपारी ओ राज म्हे इश्‍वर….

इश्‍वर जी तो धोती पेरे गवरां बाई
चाल संवारे ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी तो कुर्तों पेरे गवंरा बाई
बटन संवारे ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी तो बीटी पेरे गवारा बाई
आगली संवारे ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी तो मोजा पैरे गवरा बाई
चाल संवारे ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी तो लाया कडाई गवरा बाई
करे लडाई ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी तो लाया कतरनी गवरा बाई
करे कुंचरनी ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी तो लाया पतासा गवरां बाई
करे तमासा ओ राज म्हे….

इश्‍वर जी लाया मखाण गवंरा बाई
कैरे बखाणा ओ राज म्हे….
विनायक जी की कहानी

विनायक जी महाराज छोरे को रूप धर कर आया, चुंटी में चावल और चमची में दूध लेकर धूम कोई म्हारी खीर रांधदयो कोई हां कोनी भर एक बुढिया माई कियो लाव में रांधदयू बुढिया माई एक कटोरी ल्याई विनायक जी कियो बुढिया माई टोप चढा वे बुढिया माई किया टोप से कांई करसी, कियो चढाकर तो देख बुढिया मात्र बडो सारो टोपचढा दियो, चढाता ही टोप दूध सुं भर गयो, विनायक जी महाराज कियो में बार जाकर आउं तुं खीर करके राखजे, खीर बनके तैयार होगी विनायकजी आयो कोनी बुढिया माई को मन चालगो, दरवाजे केपीछे बैठ कर खीर खावण ने लागगी और बोली जय विनायक जी की भोग लगा लिजो इतना मे ही विनायकजी आया और पुछया कि बुढिया माई खीर कर ली के बुढयिा माई बोली करली आव जीम जद विनायक जी बोल्या मे तो जीम लियो, जद तुं भोग लगाई, बुढिया माई बोली महाराज मेरा तो पर्दा फास करिया, लेकिन ओर कोई रामत कर दिज्यो, विनायक महाराज बुढिया माई के धन का भण्डार भर दिया और कियो कि मे थारे सात पीडी ताणी कोनी निवडु, हेविनायक जी महाराज बुढिया माई ने दियो जिसो सब कोई ने दिज्यो कहतां सुणतां हुकांर भरतां न आपणा सारा परिवार न दिज्यो।

फल बनाने की विधि :- शक्कर का पानी करके उसमेंघी डाल देने का थोडा मोरन के हिसाब से। उस पानी से गेहूँ का आटा ओसन लेने का व छोटी छोटी लोई बनाकर उसे हाथ से त्रिकोण आकर देकर धीमी आंच पर तल लेने का।
गणगौर के गीत
गणगौर पूजने के समय

गोर-गोर गौमती, ईसर पूजै पारबती
पारबती का आला गीला गोर के सोने का टीका
म्हाकै है कुंकु का टीका
टीका दे, टमका दे राणी बरत करैं गोरांदे राणी
करतां-करतां आस आयो मास आयो छट्ट छमास आयो,
खेरो खांडी लाडु आयो
लाडू ले बीरा ने दियो बीरो ले गटकायग्यो,
चून्दडी ओढायग्यो
चूनड म्हारी इबछल बीरो म्हारो अम्मर
राण्यां पूजै राज नै म्हे म्हाका सुहाग ने
राण्यां को राज बढतो जाय म्हाके सवाग बढतो जाय
ओल-जोत गेहुं साठ गौर बसै फूंला कैबास
म्हे बसां बाण्यां के बास कीडी-कीडी की डूल्यो
कीडी थारी जात है गुजरातहै
गुजराती का बाणियां दे दे खूंटी ताणियां
थाली में सिंघाडा बाडी में बिजोरा
ईश्‍वर, गौ
रजा दोनुं जोडा, जोड जंवारा गेहु प्यारा
गणमण सोला गणमण बीस आए गोर करालां बीसा तीस

(ये चारदफे बोले ओर पुजते जाए)

आरती

आरत डोदम दाम सुपारी लागी डयोढसे
आवैला बिरमा दासजी जोघ बाई गोरां थारी आरती
आरतडा में आदर घालूं, सादर घालूं,
सात सुपारी घालूं राजाजी रो सूवो घालू,
राणीजी की मैना धालुं, बाई गौरा थारी आरती….

पूजा के गीत

म्हे आया ए फळसां रै बाल, दही धमोडै गूजरी।
घमोडै जी ईसर घर नार, डीगा गोरा पातळा।
जद जागो जी बाईसा रा बीर, बायर ऊभी ओलग्या।
म्हारी ओलगडयां नै ओळग यो, दयो सिंहासण बैसणा।
म्है देस्यांजी दिलडी रौ राज, आधो मांडण मांडस्यां।
जठै निपजै जी कोडयाळी जँवार, हरिया मूंग बिजोयस्यां।
म्है मूंगा रा दोय आखा लेर, गौर पुज घर आयस्यां।
गौर ए गरगगौर माता खोल किंवाडी।
बायर ऊबी थारी पूजण वाळी।
पूजो ए पुजारयों बायों, कांई कांई मांगो।
मांगा ए म्हे अन, धन, लाछर लिछमी।
कड्यां सवाणी लाद मांगा, कड्यां सवाणी गोबर।
जळभर जामी बाबल मांगां राता देई मायड।
कान्ह कुंवर सो बीरो मांगां, राई सी भोजाई।
ऊँट चढयो बहनोई मांगा, सांझा वाळी बहनड।
बडै धूमालै काको मांगा, चुडला वाळी काकी।
पून पिछौकड फूंको मांगा, हांडा दोवण भूवा।
बिणजारौ सो मामो मांगा, बणिजारी सी मामी।
इतरो तो देई माता गौरजा ए, इतरो सो पिरवार।
देई तो पीयर सासरौ ए, सात भायां री जोड।
परण्यां तो देई माता पातळा ए, सारां में सिरदार।
डयोढी तो बांधै राजन पागडी, ओ चालै राठौडी चाल।
केसर का कुरला करै ए, वै म्हारा भरतार।
दस गोेरी दस कावरी जी, सोला सूरज री गाय।
नांदयो तो दूवण बैसियी जी, झगमग ाया झाग।
एक पसै भर उरियोजी, खदबद आई खीर।
नांदयो तो जीमण बैसियो रे, बडी ए बहू रै हाथ।
ल्हीडी तो मांडयो पिया रूसरणौ जी, गज मोत्यां रौ हार।
हार ल्यौडीजी नै सूं पदयौ जी, म्हानै सरब सुहाग।

गौर के गीत

बाडी वाला बाडी खोल, बाडी की किवाडी खोल,
छोरयां आई दूब नै।
थे कूण्याजी री बेटी हो, कूण्याजी की भैणां हो,
कांइ थांरौ नाम है।
म्है बिरमादासजी री बेटी हां, ईसरदासजी री भैणा हां,
रोवां म्हारौ नाम है।

हिंडोलो
चपल्यां री डाळ हिंडोलो घाल्यो,
तो घाल्यो छै रेसम डोर, जी म्है हींडो घाल्यो ।
इण हींडै ईसरदासजी पधारया,
तो लै बाई गौरां नै साथ, जी म्है हींडो घाल्यो।

इण हींडै कान्हीरामजी पधारया,
तो ले आपरी राण्यां नै साथ, जी म्है हींडो घाल्यो ।

एक हिंडोलो देवौ सांवळिया,
एक हिंडोलो देवौ पातळिया,
तो देवौ बाई रोवां रा बीर, जी म्है हींडो घाल्यो ।

धीरै रे झोटा द्यो पातळिया, तो टूटैला नोसर हार,
जी म्है हींडो घाल्यो ।

धीरै रे झोटो दे रे सांवलिया, तो डरपैला नाजुक जीव,
जी म्है हींडो घाल्यो ।

 

ऊँचो चंवरो चौकुं टो जळ जमना रो नीर मंगाओजी।
जठै ईसरजी सांपडै, बहू गौरांदे नै गौर पुजाओजी।
जठै कान्हीरामजी सांपडै, बहू लाडलडयां नै गौर पुजाओजी।
जठै सूरजमलजी सांपडै, बाई रोवां नै गौर पुजाओजी।
गौर पूजतां यूं केवै सायब, आ जोडी इबछळ राखोजी।
आ जोडी इबछल राखज्यों, म्हारै चुडला रौ सरब सुहागोजी।
आ जोडी डबछल राखज्यो, म्हारै चुडला रै राखी बांधोजी।

 

सामली तिबारी मेंदियो जगै म्हारी गौरला ए
ईसरदासजी कान्ही रामजी जूवो रमै म्हारी गोरल ए
आप रमै आपरी लाड्यां नै रमावै म्हारी गोरल ए
लाडयां ए रमै जठै लाडूडा गुडै म्हारी गोरल ए
लाडुडा गूडै जठै दूध पीवै म्हारी गोरल ए
दूध पीवै जठै पतासा बंटै म्हारी गोरल ए
जठै पान चबै, जठै होठ रचै
जठै चंवर ढूलै म्हारी गोरल ए।

गवर
माथै नै मेंमद ल्याय,
भंवर म्हारा कानां नै कुण्डल ल्याय।
ओजी म्हारी रखडी रतन जडाय,
भंवर म्हानै खेलण दयो गणगोर॥
खेलण दयो गणगोर,
भंवर म्हानै पूजण द्यो गणगोर।
ओजी म्हारी सैयाजोवै बाट,
भंवर म्हाने खेलण दयो गणगौर।
नहीं जाबा द्यां सारी रात,
सुन्दिर गोली नहीं जाबा दयां सारी रा।
ओजी म्हारी रात रिझावण दिन बतलावण,
नहीं जाबा दयां सारी रात॥
मुखडा नै बेसर ल्याय,
भंवर म्हारा हविडै नै हांस घडाय।
ओजी म्हारा बाजूबंद में लूम लगाय,
भंवर म्हानै खेलण दयो गणगोर॥
नहीं जाबां दयां सारी रात सुन्दर गोरी,
नहीं जाबां दयां सारी रात।
ओजी म्हारी सेजां री सिणगार भाया री बहनड,
नहीं जाबां दयां सारी रात।
बहियां नै चुडलो ल्याय,
भंवर म्हारै आंगलियां नै बींटी ल्याय।
ओजी म्हारा गजरा बैठ पुवाय,
भंवर म्हानै खेलण दयो गणगोर॥
पगल्या नै पायल ल्याय,
भंवर म्हारा बिछिया रतन जडाय।
ओजी म्हारी चूनड बैठ रंगाय,
भंवर म्हानै खेण दयो गणगोर॥
खेलण दयो गणगोर बादीला ढोला खेलण दयो गणगोर।
ओजी म्हारा साईना सिरदार, भंवर म्हानै पूजणदयो गण
कै दिन री गणगोर,
सुन्दर थारी कै दिन री गणगोर।
ओजी थांरै कितरा दिन रो चाव,
रंगीली गोरी, नहीं पूजण दयां गणगोर॥
दस दिन री गणगोर,
भंवर म्हारै दस दिन री गणगोर।
ओजी ओ म्हारै सोला दिन रो चाव,
भंवर म्हानै पूजण दयो गणगोर॥
ओजी ओ म्हारी ऊभी सहेल्यां रो साथ,
साईना ढोला पूजण दयो गणगोर॥
नहीं जाबां दयां सारीरात,
सुन्दर गोरी नहीं जाबां दयां सारी रात।
ओजी म्हारी रात रिझावण दिन बतलावण,
नहीं जाबां दयां सारी रात॥

म्हारी चन्द्रगोरजा रतनां रा खम्बा दीखे दूर सूं।
देखण नै चालो गवरां री मौजां बीकानेर में।
महारा ईसरजी गोरां नखराली नै पीयर भेज दयो,
मैं अरज करूं छू सेन करूं तो रस्तो छोड दयो।
मनैं आवै अचम्भौ सौतन के महलां दिवलो क्यूं जलै,
उडजाये तीतरी दिवलो निंदादे लौडी सोक को।
म्हारी काया बलै है लौडी रै महलां राजन क्यूं गया,
झूक जाई ए बादली छाया तो कर दे नाजूक जीव नै।
महाराज ईसरजी गौरां नखराली नै गोदी ले चलो,
महाराज ईसरजी पाणीडा नै जावतां आवै लाजडली।
रतन जडत कौ कांठलो सजी घडीए न खोल्यो जाय,
आप सरीखा सायबां सजी घडीए न छोडया जाय,
ये म्हारी चन्द्रगौरजा रतनां रा खम्बा दीखे दूर सूं।
रतन कुवो मुख सांकडो सरे लम्बी लागे डोर,
हाथां री मेहन्दी गई स कोई गयो कमर को जोर,
ये म्हारी चन्द्रगौरजा रतनां रा रा खम्बा दीखे दूर सूं।
सारण बिचली ठीकरी सजी घिस घिस पतली होय,
परदेसी की गोरडी स कोई झूर झूर पिंजर होय,
ये म्हारी चन्द्रगौरजा रतनां रा खम्बा दीखे दूर सूं।
मोती जितरो मालियो सरे, तिल जितरा किंवाड।
माय पंखेरु रम रयो स म्हारां राजन के उणियार,
ये म्हारी चन्द्रगौरजा रतनां रा खम्बा दीखे दूर सूं।
मांय रंगाई चुनडी स रे नन्ही बन्धन बंधाय,
राजन केवै गौरी ओढले स म्हारी सासू सेक्यां खाय,
ये म्हारी चन्द्रगौरजा रतनां रा खम्बा दीखे दूर सूं।

झुमकडो

म्हारै बाबाजी रै मांडी गणगौर,
सुसराजी रै मांडयो रंग रो झुमकडो।
लेदयौ लेदयो जी नणद बाई रा बीर,
लेदयो जी हजारी ढोला झुमकडो॥
गोरी कठै तो सोवे नौसर हार,
कठै तो सोवैं रंग रो झुमकडो।
म्हारा गोरा ए गला में नौसर हार,
पतला कानां में रंग रो झुमकडो।
लेदयो लेदयो जी नणद बाई रा बीर,
लेदयो जी गुणसायर ढोला झुमकडो॥
लेदयां लेदयां ए मिजाजण नौसर हार,
अबकै घडादयां रंग रो झुमकडो।
म्हारै काकाजी रै मांडी गणगौर,
काकेसराजी रै मांडयो रंग से झुमकडो।
लेदयो लेदयो जी नणद बाई रा बीर,
लेदयो जी रसीला ढोला झुमकडो॥
गोरी कठौडे तो सोवै नौसर हार,
कठौडै तो सोवै रंग रो झुमकडो।
म्हारै पीसतडी रै सोव नौसर हार,
पोवतडी रे सोवैं रंग रो झुमकडो।
म्हारै बीराजी रै मांडी गणगोर,
जेठजी रै मांडयो रंग रो झुमकडो।
लेदयो लेदयो जी नणद बाई रा बीर,
लेदयो जी मिजाजी ढोला झुमकडो॥
गोरी कठोडै तो भूल्या नौसर हार,
कठोडै तो भूल्या रंग रो झुमकडो।
सुख सेजडल्यां में भूल्या नौसर हार,
ढोलणी रै पाये रंग रो झुमकडो।
लेदयो लेदयो जी नणद बाई रा बीर,
लेदयो जो मदछकिया ढोला झुमकडो।

ऊँचे मंगरे जी म्हारा हरिया जंवारा,
लळिया जंवारा नीचेजी मिरगा जो चरै।
मिरगा घैरो जी बिरमादासजी रा ईसरदासजी
घेरो नीं बन का मिरगला।
म्है क्यूं घेरां ए म्हारी गौर सांवलडी, नार पातलडी,
म्हारी बाई रोवां सासरे।

गजरा

म्हारा माथा, म्हारा माथा नै मैमंद ल्यावो,
गुमनिडा ख्याली सतरंज पर गजरो भूली।
म्हारा कानां, म्हारा कानां नै कुण्डल ल्यावो,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
में तो भूली, में तोभूली जी चतर थारी सेजां,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
म्हारा पूंचा, म्हारा पूंचा नै चुडलो ल्याजो,
गुमनिडा ख्याली सतरंज पर गजरो भूली।
म्हारै गलै, म्हारै गलै नै कण्ठी ल्यावो,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
मैं तो भूली, चित चूकी जी चरत थारी सेजां,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
म्हारी टीकी, म्हारी टीकी भंवर बिना फीकी,
गुमानिडा ख्याली दोन्यां बिच गजरो भूली।
म्हारो हेलो, म्हारो हेलो झरोंका बैठ्यां झेलो,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
मैं तो भूली, मैं तो भूली जी चरत थारी सेजां,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
म्हारो तालो, म्हारो तालो सासू को जायो काळो,
गुमानिडा ख्याली सतरंज पर गजरो भूली।
म्हारो डोरो, म्हारो डोरो सासू को जायो गोरो,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
मैं तो भुली, चित्त चुकी जी चतर थारी सेजां,
गुमानिडा ख्याली बालक धण गजरो भूली।
म्हारो न्याणो, म्हारो न्याणो सासु को जायो स्याणो,
गुमानिडा ख्याली सतरंज पर गजरो भूली।
म्हारा गजरा, म्हारा गजरा महलां में डयोढा मुजरा,
गुमानिडा ख्याली सेजां पर गजरो भुली।

धूपियो

घूपियो देर धूपाइयो ए, दयो बाई रोवां कै हाथ
अरग दे वर पाइयो ए, पायो सुरजमल भरतार
जे तेरो धूपियो सापज ए, सुहागण सांझ सबेर
हाथ मैन्दडली, सीरघडी ए, चुडला रो सरब सुहाग
कोयां काजळ धूळ रह्यो ए, बिन्दली रो सरब सुहाग
आधी का महलां में बाजे झांझर री झणकार
हांसा कोई बिछियां, लडे, रिमझिम बाजणा
जुडलो चमके ज्युं आभा में ताराचमकै
हांसा कोई चान्दणियो चीर ओढाय
आधी का महलां में बाजै…
टग टग धरै पग पोडिया, कोई दिवले की ज्योत संजोय
घूमर रमबा पधारिया, कोई ले घुंघट री ओट
आधी का महलां में बाज….
आवो ए सहलेयें चंपा बागां में चालां, घूमर रो लंजो गावां
उभा रहिजो सायबा, म्है गौर पूज घर आवां
आधी का महलां में बाजै झांझर री झणकार।

घूमर

म्हारी घूमर छै नखराळी ए माय
घूमर रमबा म्हे जास्याँ,
ओ राज री घूमर रमबा म्हे जास्यां
ए तो सात सहेल्यां झुमकै ए माय
घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हारी रमक-झमक पायल बाजै ए माय
घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै रमतां नै काजळ टीकी ल्यादै ए माय
घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै रमतां नै चूडलो चिरादै ए माय
घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै रमतां नै लाडूडा संधादै ए माय
घूमर रमबा म्हे जास्यां
ए मां बाबासा नै कहनै म्हारै रथडो जुपाय
घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै हाडा रै मत दीजो ए मांय
ए तो हाडा मन रा काठा ए मांय,घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै खीच्यां रै मत दीजो ए मांय
ए तो खीच्या खीच कुटावै ए मांय, घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै राठोडां रै भल दीजो ए मांय
म्हानै राठोडां रा पेच सुहावै ए मांय,
घूमर रमबा म्हे जास्यां
म्हानै राठोडां री बोली प्यारी लागै ए मांय
आतो राठोडां री बोली हीरां तोली ए मांय,
घूमर रमबा म्हे जास्यां

गणगौर की सीठना

ईसरजी तो पेचो बांधे गोरां बाई पेच संवारे ओ राज
म्हे ईसर थारी, साळी छां
साळीछाँ मतवाली ओ राज, भंवर पटां पर वारी ओ राज,
केसर कीसी क्यारी ओ राज, लुंगा कीसी बाडीओ राज
म्हे ईसर थारी साळी छां।
ईसर जो तो मोती पैरे गोरांबाई गरदन संवारे ओ राज
म्हे ईसर थारी साळी छां।
ईसर जी तो बागो पैरे गोरांबाई कली संवारे ओ राज
म्हे ईसर थारी साळी छां।
ईसरजी तो मोचा पैरे, गोरां बाई चाल संवारे ओ राज
म्हे ईसर थारी साळी छां।
साळी छां मतवाली ओ राज, भंवर पटां परबारी ओ राज,
केसर कीसी क्यारी ओ राज, लुंगा कीसी बाडी ओ राज,
माय भेणसूं प्यारी ओ राज, चाबां लुंग सुपारी ओ राज,
म्हे ईसर थारी साळी छां।

टीकी

ईसरदासजी थे हसती पिलाण,
तो टीकी ल्याज्यो जडाव की जी।
टीकी चेप हेमांचलजी री धीय,
तो बिरमादासजी री कुळ बहूजी।
आ टीकी बहू गौरांदे के सोवै
तो ईसरदासजी बैठ घडावै टीकी।
टीकी रमाक झमां टीको पानां क फूलां
टीकी हरयो ए नगीनो ए।

घुडला

म्हारौ तेल बळै घी ल्याव घुडलो घूमैला।
घूमै रे घूमै घुडलो, घूमै घुडलो घूमैला।
म्हारौ तैल बलै घी ल्याव, घुडलो घूमैला।
म्हे गवरल री तीजणियां घूमै रे,
थे घुडलै असवार, घुडलो घूमैला।
बिरमाजी रा ईसरजी
घूडलै रै सामी आय, घुडलो घूमैला।
घुडलो मांगे रोक रुपैया
दिवालो सवा मण तेल, घूडलो घूमैला।
हेमांचल री गवरजा
घुडला रै सामी आय, घुडलो घूमैला।
गवरल रा दिनडा चार, घुडलो घूमैला।
घूडलै रै बांधो सूत, घुडलो घूमैला।
गौरांदे जायो पूत, घुडलो घूमैला।
ईसरजी घरां पधार, घुडलो घूमैला।
मोत्यां रा आखा ल्याय घुडलो घूमैला।
पीयर रो पीळो ल्याय, घूडोल घूमैला।

बिंदोरो

म्हें थानै बुझां म्हारा घर का ओ जोसी
म्हारी गोरां रो लिगन लिखाओ ओ पातळिया ओ जोसी
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्है थानै बुझां म्हारा घर का ओ नाई
म्हारी गोरां रो लिगन पुंचाओ ओ पातळिया ओ नाई
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्है थानै बूझां म्हाराघर का ओ खाती
म्हारी गोरां रो बाजोटयो घर ल्याई ओ पातळिया खाती
आज म्हारी गोर बिंदाोरै नीसरी।
म्हैं थानै बूझां म्हारा घर का ओ लीलगर
म्हारी गोरां की चनडी रंग ल्याई ओ पातळिया लीलगर
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्हे थानै बूझां म्हारा घर का ओ सोनी
म्हारी गोरां का गहणां घड ल्याई ओ पातळिया
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्हे थानै बूझां म्हार घर का ओ पटवा
म्हारी गोरां का गजरा पो ल्याई ओ पातळिया पटवा
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्हे थानै बुझां म्हारी घर की मिणिहारी
म्हारी गोरां को चुडलो चितराई ओ सांवलडी मणिहारी
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्हैं थानै रामचन्द्रजी सेठां बीनावां
म्हारी गोरां रो मंडप तणाई ओ दशरथजी रा छावा
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्है थानै लछमणजी कंवरा बीनांवा
म्हारी गोरां री जान बुलाई ओ दशरथजी रा छावा
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्है थानै भरतजी कंवर बीनावां
म्हारी गोरां रा घोडलिया सिणगारो ओ दशरथजी रा छावा
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
म्है थानै शत्रुघनजी कंवरा बीनावां
म्हारीगोरां नै सासरै पहुंचाओ ओ दशरथजी रा छावा
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
थारा घोडलिया सिणगारो ओ,
बिरमादासजी रा ईसरदासजी
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
थारा घोडलिया सणिगारो ओ,
हैमांचलजी रा छावा
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।
गोरा ईसरदास घाल झाझा बैठणां,
बहु गोरल लागै थारै पांव ओ रोवांदे बाई
आज म्हारीगोर बिंदोरै नीसरी।
गोरा कानीराम घाल झाझा बैठणां,
बहु लाडेल लागै थारै पांव ओ रोवांदे बाई
आज म्हारी गोर बिंदोरै नीसरी।

घाटयां

रामली तिबारी में दीयो जगै म्हारी गवरल ए।
ईसरदासजी कान्ही रामजी जुओ रमै म्हारीगवरल ए।
आप रमै आपरी लाडयां नै रमावै म्हारी गवरल ए।
लाड्यां ए रमै जठै लाडूडा गुडै म्हारी गवरल ए।
लाडुडा गूडै जठै दूध पीवै म्हारी गवरल ए।
दूध पीवै जठै पतासा बंटै म्हारी गवरल ए।
जठै पान चबै,जठै होंठ रचै, जठै चंवर ढुले म्हारी गवरल

म्हारा माथा मै मैमंद ल्याओ रंग रसिया,
गहरो जी फूल गुलाम को
म्हारी रखडी रतन जडाओ रंग रसिया, गहरो…
ए तो गहरा-2 बाईसा रा बोरा रंग रसिया, गहरो…
म्हारी आंखडली फरुकै बेगा आवो रंग रसिया, गहरो…
म्हारै मुखडै नै बेसर ल्याओ रंग रसिया, गहरो…
म्हारी टीकी बैठ घराओ बालम रसिया,गहरो…
थै तो उघोणी धरती में मत जाओ रंग रसिया, गहरो…
ए तो उगोणी धरती री कामणगारी बालम रसिया, ग…
बै तो कामणिया करै नै बस में राखै रंग रसिया, गहरो…
म्हारै कानां नै कुण्डळ ल्याओ रंग रसिया, गहरो…
म्हारै झुठणां रतन जडाओ बालम रसिया,गहरो…
थै तो जयपुरयिा जाओ तो चूनड ल्याज्यो रंग रसिया, ग…
म्हारी चूनडी में जाळ कढाज्यो रंग रसिया, गहरो…
म्हारी हिवडा नै हासज ल्याज्यो रंग रसिया, गहरो…
म्हारी तिलडी में मोतीडा पुवाओ रंग रसिया, गहरो…
म्हान गणगोरयां रो मैळा आय दिखाओ बालम रसिया, ग….
ओ तो गहरो-2 नणदल बाई रो बीरो रंग रसिया, गहरो…
म्हारा बैया नै बाजूबंद ल्याओ रंग रसिया, गहरो…
म्हारा गजरां स्यूं मुजरो लगाओ बालम रसिया, गहरो…
म्हारी पायल बैठ घडाओ रंग रसिया गहरो…
मै तो पायलडी री रुणझुण महलां आवुं रंग रसिया,
गहरो जी फूल गुलाब को।

बोलावणी के गीत

ऊभी म्हारी सैयो पडछायां री छांह
बायण रो भणको म्है सुण्योजी
कीजो म्हारी सैया माऊजी नै जाय
जटाधारी उतरया बड तळ जी
क्यूं कर देवां गोरा गाई नै सीख
बाई का बाबाजी घर नहीं जी
गया है ए बाई सोनीडा री हाट
बाई नै गैणा मोलवै जी।
कीजो म्हारी सैयो काकाजी नै जाय
जठाधारी उतरया बड तळ जी
क्यूं करदेवां गोरां बाई नै सीख
बाई का काकाजी घर नहीं जी
गया है ए बाई बजाजी री हाट
बाई के चूनडी मोलवै जी।
कीजो म्हारी सैयो भोजाई नै जाय
जटाधारी उतरया बड तळ जी
क्यूं कर देवां गोरां बाई नै सीख
बाई का बीराजी घर नहीं जी
गया है ए बाईमणयिारां री हाट
बाई के चुडलो मोलवै जी।
कीजो म्हारी सैंयो जीजी नै जाय
जटाधारी उतरया बड तळ जी
क्यूं कर देवां गोरां बाई नै सीख
बाई का जीजाजी घर नहीं जी
गया है ए बाई तमोळी री हाट
बाई के बडिला मौलवै जी।
कीजो म्हारी सैंया मामीजी नै जाय
जटाधारी उतरया बड तळ जी
क्यूं कर देवां गोरां बाई नै सीख
बाई का मामाजी घर नहीं जी
गया है ए बाई हलवायां री हाट
बाई के लाडू मोलवै जी।
सोरो म्हारी सैंया बीराजी रो साथ
चान्दणी ए रातां में खेलबोजी
दोरो म्हारली सैयो इण भखडा रो साथ
अंधारी रातां में चालबो जी
भीजै म्हारी सैंया मां का संच्या केस
बीरा री ओढाई चूनडी जी।
हो जाओ म्हारै साथ जी, जटाधारी ऊभा जी राज।
ऊभा रहो महादेवजी म्हारी बहणा मिलग रो चावजी
अडपायत ऊभा जी राज
बहणां सूं कांई मिलबा ए गोरल
हो आओ म्हारै साथजी, जटाधारी ऊभा जी राज।
भंवरीला रे बीरा बायण जोत
गोरल करै रे ऊंतवळी
पिंजारा रे रुई बेगी सी पीन
होवैलो गोरांजी रो घाघरो
कातण वाळी ए बहनड, बेगी सी कात
होवैलो गोरांजी रो घाघरो
खटीका रै बीरा बेगो सो बाण
होवैलो गोरांजी रो घाघरो
रंगरेजा रे बीरा बेगो सो रंग
होवैला गोरांजी रो घाघरो
दरजी का रे बीरा बेगो सो सीम
गोरल करै रे ऊंतावळी
साहूकारां में जी हेमांचलजी साथ
गोरल की बोलावणी
कंवरा में जोबीराजी साथ
गोरल की बोलावणी
भंवरा में जी भतीजां रो साथ
गोरल की बोलावणी
बहुंआ में जो भाम्यां रो साथ
गोरल की बोलावणी
बायां मेंजी बहनां रो साथ
गोरल की बोलावणी
जवांया में सूरजमल रो साथ
गोरल की बोलवाणी।
गोरांदेजी हलचल होय रह्या
हेमांचलजी तो चलण न दे
गोरांदे बाई आज बसो न ए म्हारा देस में।
बीराजी तो घाल ए बाई थानै बैसणा
बहू लाडल तो लागै लुळ पांय
वारी ए सांवलडी बाई
आज बसो न ए म्हारा देस में।
केसर कूंकूं केसर कूंकूं भरी ए तलाई ए
जेमे बाई कुण-2 न्हाई ए, कुण-2 न्हाई
जेमे बाई गवरजा न्हाई ए, गवरजा न्हाई
न्हाय धोय गवर पुजाई ए, गवर पुजाई
ईसरदासजी आवेला, लडाक लूमो लावेला
बाई गवरजा ने पेरावेला, गवरजा ने पेरावेला
गवरजा बाई गवरजा बाई, म्होने ही देखावो ओ,
म्हाने ही देखावो ओ
थ्होरी दाय पडे देखावो, थ्होरी खुशी पडे देखावो
म्हे आया जद गोडै हेठ लुकोयो हो,
गोडै हेठ लुकायो हो केसर कूंकूं…
चम्पेलरी डाली हीन्डो मोण्डयो,
रेशम री गज डोर,
जीयोे म्है हीन्डो मोण्डयो।
इये हिण्डोले ईसरदासजी पधारया
ले बाई गवरजा ने साथ,
जीयो म्हे हीण्डो मोण्डयो।
होलै से हीण्डा दे रे पातलिया
हींण्ड छै बरमल री बेन,
जीयो म्हें हीण्डो मांडयो।
उदियापुर सूं आई गणगोर
आय उतरी हेमांचलजी री पोल
अरे बीरा बरमल रे मोड
थ्योरी गणगौर म्होरी रमझोळ
पायल रे ऊपर दादूर मोर।
आ टीकी म्हारी गवरा बाई
नै सोहे तो
ईसरदासजी बैठ बुलावे
ओ टीकी रम्मिाक झम
टीकी पन्ना क फूल,
टीकी हरो कसुम्बो रे।

अलखल

अलखल नदी बेवे ओ पाणी सिध जासी जी
आधो जासी अलियां- गलियाँ, आधो इश्‍वर न्हासी जी
ईश्‍वर जी ते घरां पधारों गोरां जायो बेटो जी
अडदा ताणो परदा ताणो बादर वाल बंधावो जी
साट केरी सूई लावो पाटकेरा तागा,
सीं देरे दर्जी काबेटा, इसरजी रा बागा
सीमता सीमता दिन दस लागा
भुवाजी रे कारणे भतीजा रेग्या नागाजी
नागा-नागा काई करो थारै और सिमास्यां बागाणी
पेरो म्हारा भाई भतिजा भुवा लाई बागाजी
पाटो घोए पाटो घो, बीरा की बेन पाटो घो
पाटा उपर पीलो पान म्हे जास्यां बीरोसा रीजान
जान जास्यां पान खास्यां, भावज ले म्हे घर आस्यां

बधावा

ए मोती समदरियां में नीपजै, सोवैगा ईसरदासजी रै कान
बधावो म्हारी गौर रो
सोवैगो कान्हीरामजी रै कान, बधावो म्हारी गौरा रो
भाग बडा छै म्हारी सासू रा, जिण जाया छै अरजून भीम
किलंगी वाळो श्याम, भोळी बाईजी रो बोर
बधावो म्हारी गौर रो
भाग बडा छै म्हारी नणदां का, खिलाया छै काह्नकुंवर सा बीर
बधावो म्हारी गौर रो
महाई ईसरदासजी कानीरामजी दोनूं सारीसा
बाई रोवां छै मोत्यां बिचली, लाल माळी का रे मरवा
अमर बधावो जी म्हारी गौर को
म्हारै घूम घूमंतो ए गवरल घाघरो
म्हारै ओढण दिखणी रो चीर, गवरांदे माता
अमर बधाई जी म्हारी गौरको
म्हारै काळी तो कमखे ए गवरल कांचळी
म्हारै कडियां लटकता है केस, गवरांदे माता
अमर बधावो जी म्हारी गौर को
म्हारै हाथां में चुडलो ए हसती दांत को
कोई पायल रो रमझोळ, गवरांदे माता
अमर बधावो जी म्हारी गौर को
म्हारै लीप्यो तो चूंप्यो ए गवरल आंगणो
म्हारै पगल्यां रो मांडण वाळो देई ए गवरांदे माता
अमर बधावो जी म्हारी गौर को
म्हारै कोरा तो कळसा ए गवरल जळ भरया
म्हारै चपिल्यां रो चूंपण वाळो, देई ए गवरांदे माता
अमर बधावो जी म्हारी गौर को
म्हारै कीणी तो रोटी ए गवरल घी घणो
म्हारै ठिणका तो रोटी ए गवरल घी घणो
म्हारै ठिणका स्यूं मांगण वाळो, देई ए गवरांदे माात अमर बधावो जी म्हारी गौर को
म्हारै घूम घुमाळो ए गवरल घाघरो
म्हारै खोळां रो खूंदण वाळो, देई ए गवरांदे माता
अमर बधावो जी म्हारी गौर को
सैया इण रे धरती मे फुलडा दो य बडा
सेया एक सुरज दूजो चांद बधावो म्हारी गौरको
सैयां सुरज बिना दिनडो किसो सेया चान्दडलेरी
निरमल रात बधावो….
सैयां….
सैया एक गाय दूजी घोडी बधावो….
सैया गाय रो जायो धोलो हल बावे, सैया घोडी
रो जायो ढाबे राज बधावो….
सैया….
सैया एक इश्‍वर जी दूजी गोर बधावो….
सैयां म्हे गवरलरी तिजणियां सैया इश्‍वरजी गवारा
रा भरतार बधावो….
सैया….
सैया एक सुसरोजी दूजो बाप बधावो….
सैया सुसोरजी गढा रा राजवी सैया बापूजी रो दूणो
डोडो लाड बधावो….
सैया….
सैया एक सासुजी दूजी मांय बधावो….
सैया माताजी रो जायो लायो चुन्दडी सैया सासुजी रे जाये रो सवाग बधावो….
सैया….
सैया एक ननद दूजी बेन बधावो….
सैया ननदल आभा बिजली सैया बेन सावणियेरी
तीज बधावो….
सैयां बेनण दीनी कांचली सैया ननदल दीनी रे आशिष बधावो
सेया दोय टका री कांचली सैयां लाख मोहर री आशिष बधावो….
सैया…

गणगौर बोलाते समय गाने का

गवरल ए धिर पाछी आय, तने बाई रोवां याद करे
बाई रोवां ए थारे घरे पदार में सखरियो धोकस्यां
सरवरियो समदा रे पाल नेडो पीहर सासरो…
गवरल ए धिर….
इस तरह सभी पूजने वालीयों का नाम लेवे।

You must be logged in to post a comment Login