ग्रुप डिसकशन कैसे छोड़े प्रभाव?

ग्रुप डिसकशन भर्ती व चयन-प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। जहां ग्रुप डिसकशन नहीं होता, वहां लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू होता है ताकि सबसे अच्छे अभ्यर्थी का चयन किया जा सके। ग्रुप डिसकशन का अर्थ है- किसी भी मार्केट रिसर्च विषय या केस स्टडी पर खुलकर चर्चा करना। इस चर्चा में ग्रुप का हर सदस्य हिस्सा लेता है और विषय की समीक्षा करने का प्रयास करता है ताकि उस विषय पर उसके विचार सबके सामने आ सकें।

ग्रुप में कुछ ऑब्जर्वर भी शामिल होते हैं, जिनका काम यह देखना होता है कि ग्रुप का हर सदस्य विषय पर अपना-अपना योगदान प्रदान कर रहा है। ग्रुप डिसकशन से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि हर सदस्य के व्यक्तित्व, विश्र्वास और दूसरों से कम्युनिकेट करने में अपने विचारों को उस तक पहुंचाने की क्षमता का अंदाजा हो जाता है। चूंकि ग्रुप डिसकशन अब चयन-प्रिाया का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है, इसलिए उन बातों को जानना आवश्यक हो जाता है, जिनकी बदौलत इसमें सफलता हासिल की जा सकती है। मसलन,

  • प्रभावी ढंग से अपनी बात रखें। चर्चा में जब आप अपने विचारों से योगदान करते हैं तो इससे आपके कम्युनिकेशन कौशल का अंदाजा लगाया जाता है।
  • ङ सतर्क रहें। दूसरे लोग जो कह रहे हैं, उसे ध्यानपूर्वक सुनें और अपनी राय संयम व विश्र्वास के साथ रखें।
  • जिस विषय पर चर्चा हो रही है उसमें वास्तविक दिलचस्पी दर्शायें। ऐसा न हो कि आप जिस्मानी तौर पर तो वहां मौजूद हों, लेकिन ़जेहन आपका कहीं और उड़ानें भर रहा हो।
  • जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़े, आप मुख्य बिंदुओं का नोट बनाते रहें, यह अच्छी आदत है। इस तरह आप जिस विषय की चर्चा हुई है, उस पर अपने अंतिम विचार आसानी से रख सकेंगे।
  • आप भले ही चर्चा में कितनी गहराई तक उतर गये हों तो भी न चिल्लाएं और न ही दूसरे जो कुछ कह रहे हैं, उसे काटने का प्रयास करें। असल बात यह है कि आप अपने दृष्टिकोण को शांति से मृदुभाषा में जोरदार ढंग से प्रस्तुत करें ताकि दूसरे लोग न सिर्फ सुनें बल्कि आपकी बात से प्रभावित भी हों।
  • दूसरे के दृष्टिकोण से मतभेद रखना स्वाभाविक है। आप ग्रुप डिसकशन में स्वतंत्र सोच के लिए मौजूद हैं। दूसरों की बातें सुनने के बाद अपनी बात रखें भले ही वह कितनी ही अलग क्यों न हों।

आमतौर पर लोग यह समझते हैं कि ग्रुप डिसकशन का अर्थ कुछ लोगों का एक साथ बैठना और किसी विषय पर बतियाना है। लेकिन यह अभ्यर्थी को परखने की प्रिाया का आजकल एक अहम हिस्सा है। दरअसल यह एक हॉकी मैच की तरह है जिसमें आप एक टीम की तरह खेलते हैं, गेंद एक-दूसरे को पास करते हैं ताकि गोल किया जा सके। ग्रुप डिसकशन भी एक टीम वर्क है, जिसमें विभिन्न सदस्य अपनी-अपनी राय देते हैं ताकि सामान्य लक्ष्य हासिल किया जा सके। साथ ही हिस्सा लेने वालों की दिलचस्पी व उत्सुकता बनी रहे। लेकिन जब ग्रुप डिसकशन चयन-प्रिाया के तौर पर हो रहा हो, तो अपना व्यक्तिगत प्रभाव छोड़ना भी आवश्यक हो जाता है। इसलिए यहां दस ऐसी बातें दी जा रही हैं, जिनकी बदौलत आप ग्रुप डिसकशन में अपनी छाप छोड़ सकते हैं।

  1. गहन अध्ययन करें- हर विषय पर गहन अध्ययन करने की आदत डाल लें। इस तरह ग्रुप डिसकशन में जिस भी विषय पर चर्चा होगी, उस पर बोलने के लिए तैयार रहेंगे। महात्मा गांधी ने कहा था कि विचारों के युद्घ में पुस्तक ही शस्त्र हैं। इसलिए चर्चा में आपका सबसे महत्वपूर्ण हथियार आपका ज्ञान ही है। जो व्यक्ति किताबों का गहन अध्ययन करने के बाद उस पर अपनी राय कायम नहीं करता और पुस्तकों को सिर्फ डाइंग रूम में दूसरों को प्रभावित करने के लिए सजाये रखता है, वह चर्चा छिड़ने पर अक्सर खामोश ही रहता है। इस स्थिति पर हफीज मेरठी ने यूं कहा है-

जब बहस छिड़ गयी तो

वो खामोश हो गया

उसका तमाम इल्म तो

अलमारियों में था

  1. चर्चा की शुरुआत करें- हम में से बहुत लोगों को यह भ्रम है कि चर्चा की शुरुआत करने से हमें दूसरों पर अनुचित लाभ मिल जाता है। इससे लाभ अवश्य मिलता है, लेकिन उसी सूरत में जब आप विषय के बारे में जानते हों और आपके पास कहने को कुछ प्रासंगिक हो वरना इससे नुकसान ही होता है। गौरतलब है कि बोलने के लिए सिर्फ बोलना शोर से अधिक कुछ नहीं है। इसलिए ग्रुप डिसकशन में शोर न मचायें बल्कि कुछ उपयोगी व अर्थपूर्ण योगदान दें ताकि आपको नोटिस किया जा सके।
  2. आराम व संयम से बोलें- बोलते समय यह सुनिश्र्चित कर लें कि आप बहुत जोर से नहीं बोल रहे हैं। आपकी आवाज सब तक पहुंचे स्पष्टता के साथ, ध्यान रहे कि आप डिसकशन में हैं न कि किसी जनसभा में भाषण दे रहे हैं। अगर आप दूसरों से असहमत भी हैं तो भी शोर मचाने की आवश्यकता नहीं है। असहमत होने पर आप कहें, “मुझे माफ करें लेकिन मेरा दृष्टिकोण आपसे थोड़ा भिन्न है।’
  3. सीधी बात करें- गैरजरूरी जानकारी व डाटा इस्तेमाल करने से बचें। संक्षिप्त में अपनी बात कहें ताकि दूसरों को भी अपनी बात कहने का अवसर मिल सके।
  4. ज्ञान हासिल करें और उसका इस्तेमाल करें- अन्य सदस्यों ने जो विचार रखे हैं, उन्हें ध्यान से सुनें और उनके नोट्स बनाते रहें। जब आपको बोलने का मौका मिले तो विषय पर अपने विचार रखें। दूसरों के विचारों से आप सहमत या असहमत हो सकते हैं, लेकिन यह सब आप विषय पर अपनी जानकारी को मद्देनजर रखते हुए करें।
  5. सही बात से सहमत हों- चर्चा के शुरू होते ही अतिवादी दृष्टिकोण न रखें। यह हो सकता है कि दूसरे की बात से आप प्रभावित हो जाएं और अपनी राय बदलना चाहें। दूसरों की राय का सम्मान करें और जो सही है, उससे सहमत हों। भले ही शुरू में आपका दृष्टिकोण भिन्न हो।
  6. विश्र्वास के साथ बोलें- बोलते समय आपका विश्र्वास झलकना चाहिए। दूसरे सदस्यों की आंख में आंख मिलाकर बात करें और आपकी आवाज में कंपन नहीं आना चाहिए।
  7. दिशा दें- अगर कोई बहस छिड़ जाए तो चर्चा को दिशा दें। यह आवश्यक है ताकि ग्रुप विषय व उद्देश्य से भटक न जाए।
  8. सकारात्मक बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग करें- आपकी बॉडी लैंग्वेज से यह नहीं जाहिर होना चाहिए कि आप हॉवी होने की कोशिश कर रहे हैं या हीनभावना के शिकार हैं। अपने संकेतों से चर्चा में अपनी दिलचस्पी को जाहिर करें जैसे थोड़ा- सा आगे झुकना या सिर को हिलाना।
  9. टीम प्लेयर बनें- सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ग्रुप गतिविधि में आप एक टीम प्लेयर की भूमिका में हों। ग्रुप के प्रति आप सहज हों और दूसरे सदस्य भी आपके प्रति सहज रहें।

– नरेन्द्र कुमार

You must be logged in to post a comment Login