छठि इंद्रिय… घटनाओं का पूर्वाभास

छठी इंद्रिय यानी घटनाओं का पूर्वाभास। क्या वास्तव में मनुष्य की छठी इंद्रिय होती है? यह सवाल अक्सर पूछा जाता है। कुछ लोग इसे हकीकत मानते हैं और कुछ कोरी कल्पना। अब वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन से स्पष्ट किया है कि छठी इंद्रिय की बात सिर्फ कल्पना नहीं, वास्तविकता है, जो हमें किसी घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास कराती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश, कोलंबिया के रॉन रेसिक ने एक अध्ययन में पाया कि छठी इंद्रिय के कारण ही हमें भविष्य में होने वली घटनाओं का पूर्वाभास होता है। ऐसा माना जा रहा है कि अब लोगों की छठी इंद्रिय को और सिाय करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वाहनों आदि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी हो सके। रेसिक के अनुसार छठी इंद्रिय जैसी कोई भावना तो है ही, और यह सिर्फ एक अहसास नहीं है। वास्तव में यह होशो-हवास में किया गया वह विचार या भावना है, जिसे हम देखने के साथ ही महसूस भी कर सकते हैं। और यह हमें घटित होने वाली बात से बचने के लिए प्रेरित करती है। करीब एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सिाय होती है। उन्हें घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है। इसे सही तरीके से परिभाषित करना तो मुश्किल है, लेकिन इसके होने से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।

अल सुबह नींद से जागने के लिए अलार्म घड़ियॉं तो हर कोई इस्तेमाल करता है। लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि हमारे शरीर के भीतर भी एक अलार्म घड़ी की व्यवस्था प्रकृति ने कर रखी है। हाल ही में हुए वैज्ञानिक शोध से इस बात का पता चला है कि कभी हमें तड़के कहीं जाना होता है, तो जागने के समय का अलार्म हमारे मस्तिष्क में स्वतः भर जाता है। हम भले ही सोते रहते हैं, लेकिन निर्धारित समय से 1 घंटे पूर्व हमारे रक्त में एक विशेष हार्मोन का स्राव होने लगता है और जब वह चरम सीमा पर पहुंच जाता है तो हमारी नींद खुल जाती है। वैज्ञानिक इसे हार्मोन घड़ी कहते हैं।

प्रस्तुति : किरण बाला

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