तेरी जैसी श्‍वासाँ बातों में बिती जाय रे महलों में बिती भजन

तेरी जैसी श्‍वासाँ बातों में बिती जाय रे महलों में बिती
रे मन रामकृष्ण बोल, राम कृष्ण बोल रे मन राधा कृष्ण ने
राधा कृष्ण बोल रे मन, राम कृष्ण बोल॥ टेर ॥
गँगा यमुना खुब नहाया, गया ना मन का मैल।
घर धन्धों में लगा हुआ है, ज्यों कोल्ह का बैल॥
तेरे जीवन की आशा, बातों में बिती जाय॥ 1 ॥
किया ना पोरष आकर जग में, दिया ना कुछ भी दान।
मेरी तेरी करता करता, निकल गया यह प्राण।
जैसे पानी बिच पतासा, बातों में बिती जाय॥ 2 ॥
पाप गठरिया सिर पर लादे, भटकत भटकत रोज।
प्रेम सहित राधा माधव की, किया ना कुछ भी खोज॥
झूठा करता रहा तमाशा, बातों में बिती जाय॥ 3 ॥
नसनस में प्रति रोम रोम में राम राम है जान।
प्रकृति बिन्दू के कण कण में, उसको तुँ पहचान॥
उससे मिलने की अभिलाषा, बातों में बिती जाय॥ 4 ॥

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