पाण्डवा रा कुल माही जेठल राजा भजन

पाण्डवा रा कुल माही जेठल राजा
गढ़ हस्तिना पूर राज करे रे
आप आपरी छोकीया जाओ
अके बड़ वाली छोड़ी भीम फिरे रे
टेर सुन लीजो सेल सक्त वाली बाता सती दोपता
अवतार लियो रे पाँच पाण्डवा ने राणी लेने तीरे रे
पवन देवता पवन बुआरे इन्द्र राजा छिटकाव करे
जाजमा विचीजे प्रदम सिंहासन अधर धरे
रनत भवेर सू आया गजानंद रिद्ध सिद्ध नारी सगरर्य
देह प्ररिकमा पावे लागा सिंहासन ने निमन करे
केलाशा सु शंकर आया संग नादियों केल करे
देह प्ररिकमा पावे लगा सिंहासन ने निमन करे
गढ़ रे गोकूलसू किशन पधारिया मुरली री झणकार पड़े
देह प्ररिकमा पावे लागा सिंहासन ने निमन करें।
चोसढ़ योगीनी बावन भरें हनुमान ललकार करें
हसती केलती आई दौपति सिंहासन ने निवन करे
केवे दौप्रती सुनो किशनजी दियो सू वचन म्हारा पूरा करों
एक खप्पर म्हारो वेत्रा में भरियो
दजोडो खप्पर म्हारों करे भरो
केवे किशनजी सुनों दोप्रता दियो डो
वचन थारा पूरा करा
महाभारत से युद्ध होवसी दूजोडो
खप्पर थारो वटे भरा
टिव टिव करती आई टिटूडी
आयमा तारे आगे रूदन करे
भारत में भवरी का ईन्डा जारी रक्षा कोन करे
केवे दोपता सुनो टीटू डी दियो डा वचन
थारा पूरा करा
गज हस्ती रो घण्टो टूटे इन्डा उपर आण पड़े
सस्त्र पाती भीबजी हेरा मैल्या जाय
मावारे आगे रूदन करे
करनों है तो कर मारी माता पाँच पुत्रा
आशा क्याने करे
दातन जारी कुन्ता लिया हाथ में डग डग
माता महल चढ़े
हँसती खेलती आई दौपती सास बहू रे पाँवा पडे
केवे दौपता सुनों सासजी उल्टो पानी किकर चढे
चर्चा होवे शहर में म्हारी सास बहू रे पगा पडे

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