मेरे रिश्तेदार

जेल की कालकोठरी में, गदर पार्टी के प्रथम अध्यक्ष बाबा सोहन सिंह भक्ना ने एक दिन भगतसिंह से पूछा, “”भगतसिंह तुम्हारे रिश्तेदार मिलने नहीं आये?”

भगतसिंह बोले, “”बाबा जी, मेरा खून का रिश्ता तो शहीदों के साथ है, जैसे- खुदीराम बोस और करतार सिंह सराभा। हम एक ही खून के हैं। हमारा खून एक ही जगह से आया है और एक ही जगह जा रहा है। दूसरा रिश्ता आप लोगों से है, जिन्होंने हमें प्रेरणा दी है और जिनके साथ काल-कोठरियों में हमने पसीना बहाया है।

तीसरे रिश्तेदार वे होंगे, जो इस खून-पसीने से तैयार की हुई जमीन में नयी पीढ़ी के रूप में पैदा होंगे और इस मिशन को आगे बढ़ाएँगे। इनके सिवा कौन रिश्तेदार है अपना, बाबाजी?”

ना जाने किन धातुओं से बने थे भगतसिंह। उस अन्धेरी, एकान्त, सूनी कालकोठरी में भी वे अकेले कहॉं थे। वे तो शहीदों की तीन-तीन पीढ़ियों की सजी बारात के दूल्हा राजा थे।

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