योगेश्वर कृष्ण की नगरी द्वारिका

द्वारिका न सिर्फ एक तीर्थ है, बल्कि योगेश्र्वर कृष्ण की नगरी भी है। धार्मिक ग्रंथ में अगर कृष्ण का उल्लेख आता है, तो द्वारिका का नाम आए बिना नहीं रहता। हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है द्वारिका। हिन्दू-धर्म ग्रंथों के अनुसार यहॉं भगवान कृष्ण का राज्य था। इसीलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। कुछ ग्रंथों में तो द्वारिका को स्वर्ण-नगरी का नाम दिया गया है। द्वारिका की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि इस नगरी की स्थापना शिल्पकार्य के देवता विश्र्वकर्मा ने गुजरात के तटीय इलाके में की थी। विश्र्वकर्मा के कहने पर श्रीकृष्ण ने तप करके समुद्र देव से भूमि की प्रार्थना की। जिससे प्रसन्न होकर समुद्रदेव ने बीस योजन भूमि प्रदान की। जिस पर विश्र्वकर्मा ने द्वारिका नगरी बनाई। इसे कौशस्थली, द्वारावती या द्वारामती नाम से भी जाना गया, लेकिन भक्तों को यह द्वारिका भूमि पर कहीं नहीं मिलती, क्योंकि माना जाता है कि श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद यह स्वर्ण-नगरी समुद्र में विलीन हो गयी थी। लेकिन श्रीकृष्ण की इस नगरी में आस्था रखने वाले कुछ पुरातत्व शास्त्रियों के प्रयासों के फलस्वरूप द्वारिका नगरी को समुद्र में खोज निकाला गया है।

जैसा कि वर्णित है कि अरब सागर कच्छ की खाड़ी में पानी के अंदर यह नगरी आज भी विराजमान है। यहॉं पानी के अंदर एक म्यूजियम बनाकर द्वारिका जाने वाली तीर्थ-यात्रियों को कृष्ण की इस नगरी का दर्शन कराने का प्रस्ताव सरकार के सामने पेश करने की भी योजना है।

द्वारिकाधीश मंदिर – यह मंदिर 2500 साल से भी ज्यादा पुराना है। पांच मंजिले इस मंदिर में 60 नक्काशीदार खम्भे हैं। गर्भगृह में द्वारिकाधीश की स्थापना की गई है। काले रंग का उनका विग्रह चतुर्भुज विष्णु का रूप है।

समुद्र में डूबी द्वारिका से लगभग 32 कि.मी. दूर बेट द्वारिका है। इसे “बेट संखोदर’ भी कहते हैं। माना जाता है कि रमनद्वीप नामक इस स्थल पर श्रीकृष्ण अपने परिवार के साथ रहते थे। इसे ही मूल द्वारिका भी कहते हैं।

नागेश्र्वर महादेव – द्वारिका से लगभग 12 कि.मी. दूर नागेश्र्वर महादेव का मंदिर है। यह देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसके अतिरिक्त समीप ही गोपितालव नामक एक और धार्मिक स्थल भी है।

रुक्मणि मंदिर – लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर लगभग 1600 साल पुराना यह मंदिर श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मणि को समर्पित है। यहीं शंकराचार्य के द्वारा स्थापित पीठ भी है।

यात्रा-साधन – यह धार्मिक नगरी जामनगर एयरपोर्ट के माध्यम से सम्पूर्ण देश से जुड़ी हुई है। जामनगर से बस या टेन लेकर यहां पहुंचा जा सकता है। अहमदाबाद से इस स्थल की दूरी 435 कि.मी. है। यहॉं राज्य पर्यटन निगम के तीर्थ टूरिस्ट बंगलों में रह सकते हैं। सरकारी गेस्ट हाउस भी हैं।

– कीर्ति

One Response to "योगेश्वर कृष्ण की नगरी द्वारिका"

You must be logged in to post a comment Login