हर क्षेत्र में लोकप्रिय हो रही है ऑर्गेनिक कल्चर

 

अभी कुछ समय पहले तक सिर्फ इस बात पर ज़ोर था कि ऑर्गेनिक फल और सब्जियां खायी जाएं। अब सिलसिला बहुत आगे बढ़ चुका है। ऑर्गेनिक चीजों की फेहरिस्त लम्बी और लम्बी होती चली जा रही है। आज बाजार में ऑर्गेनिक मसाले, दालें, डेयरी उत्पाद, कुकिंग ऑयल, कॉफी वगैरह उपलब्ध हैं। इनकी बढ़ती मांग को मद्देनजर रखते हुए कुछ व्यवसायी ऑर्गेनिक फूड चेन खोलने की भी योजना बना रहे हैं,  जिनमें बेक्ड उत्पादों से लेकर मछली तक ऑर्गेनिक उपलब्ध रहेंगी। कहने का अर्थ यह है कि जो लोग ऑर्गेनिक फल व सब्जियों के कारोबार में फिलहाल लगे हुए हैं, वह न सिर्फ स्वस्थ हो रहे हैं बल्कि रईस भी।

देश भर में इस किस्म की मुहिमें भी चल रही हैं जिनके तहत किसानों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे रासायनिक खाद की जगह पर्यावरण के लिए फायदेमंद बायो-फर्टिलाइजर्स का प्रयोग करें। हद तो यह है कि अब जेवरात बनाने के लिए भी प्राकृतिक पत्थरों और सीपियों पर जोर दिया जा रहा है। सब चाइना की सबऑर्गेनिक का नारा बुलंद हो रहा है।

ऑर्गेनिक के इस नये व सकारात्मक फैशन को भुनाने के लिए बड़े-बड़े उद्योगपति भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने ऐसे उद्योग स्थापित कर दिये हैं जिनमें नीम से चीजें बन रही हैं, जैसे- स्प्रे, मच्छर भगाने की दवायें आदि। नीम की पत्तियों और गाय के गोबर से भी अनेक हर्बल उत्पादन तैयार किए जा रहे हैं जिनमें दवायें, शैम्पू, चाय आदि शामिल हैं। शहनाज हुसैन और हबीब्स तो अपने सारे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स हर्बल रेंज में ही रखे हुए हैं।

दरअसल, जैसा कि ऊपर कहा गया कि यह सूची अंतहीन है और इस बदलाव की वजह यह है कि लोगों में ऑर्गेनिक होने की इच्छा निरंतर बढ़ती जा रही है। प्रेरित करने वाली भारतीय कथा में शामिल है पुणे के कुमार बिल्डर्स, जो शायद देश के पहले बिल्डर हैं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कार्बन ोडिट्स बेचने वाले। उन्होंने निर्माणाधीन 1400 आवासीय फ्लैट्स में सोलर वॉटर हीटर्स लगाये हैं। इनसे प्रतिवर्ष 3000 मेगावॉट ऑर्स से अधिक की बिजली बचेगी। गौरतलब है कि एक मेगावॉट ऑर्स बचाने का अर्थ है एक टन कार्बन एमिशन को पर्यावरण में न पहुंचने देना, इसीलिए इसे कार्बन ोडिट कहा जाता है। संभवतः कार्बन ोडिट से ग्लोबल वार्मिंग का भी समाधान निकल जायेगा।

ऐसी भी खबरें आयी हैं कि टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऐसी कॉमर्शियल बिल्डिंग डिजाइन कर रहा है जिनमें एयर कंडीशनर्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। जबकि टाटा मोटर्स ग्रीन वाहनों को बनाने की योजना बना रही है, जिनके एग्जोइस्ट जहरीली गैसों का उत्पादन नहीं करेंगे। गैस की जगह ऑर्गेनिक स्टीम निकलेगी।

डिजाइनर अनिता डोंगरे अपने ऑर्गेनिक कॉटन कलेक्शन के लिए मशहूर हैं। वे अपनी नयी फैक्ट्री, जो जयपुर में लग रही है, में विंड मिल्स और सोलर पैनल्स लगा रही हैं। दिल्ली के रफी आलम ने सोलर स्कूटर का निर्माण किया है जिसे चलाने के लिए पेट्रोल या डीजल की बिल्कुल जरूरत नहीं पड़ती यानी तेल के खर्च से भी बचें और प्रदूषण से भी। ग्राफिक डिजाइनर बशोवी तिवारी अपनी लाइफस्टाइल एक्सेसरीज में प्राकृतिक डाई का प्रयोग करती हैं न कि ब्लीच का। उनकी एक्सेसरीज़ में शामिल हैं बुनी हुई सुंदर रीड मैट्स, वाटर हाइकिंथ फोटो फ्रेम्स और बैग्स, बांस के बॉक्स आदि। हाईडसाइन में चमड़े को बीज व पेड़ों की छाल से टैन किया जाता है।

इस रूझान के चलते आज बाजार में ऑर्गेनिक तौलिए, खिलौने, कागज…जीवनशैली में ऑर्गेनिक चीजों को तेजी से शामिल किया जा रहा है। इसलिए आप भी जल्द ऑर्गेनिक हो जाएं वरना आधुनिक व फैशनेबल नहीं कहलायेंगे।

 

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