होम्योपैथी

प्रमाणित विज्ञान या केवल मीठी गोलियाँ!

अधिकांश लोग कभी-कभार होम्योपैथी उत्पादों का प्रयोग करते रहते हैं। बहुत कम प्रतिशत लोग नियमित रूप से किसी होम्योपैथ को अपने प्रथम चयनित चिकित्सक के रूप में या होम्योपैथिक दवाओं को, उपचार के प्रथम विकल्प के रूप में उपयोग करते हैं। ऐसा क्यों है? होम्योपैथी से संबंधित कुछ प्रमुख भ्रांतियाँ-

होम्यापैथी एक अप्रमाणित विज्ञान है

होम्यापैथी प्रायोगिक फार्माकोलॉजिकल व क्लीनिकल आंकड़ों पर आधारित है। वर्षों से होम्योपैथिक दवाओेंं का उपचार में उनकी क्षमता के लिए गहन रूप से अध्ययन किया गया है। होम्योपैथी एक प्रमाणित विज्ञान है।

होम्योपैथिक दवाएँ मात्र मीठी गोलियाँ हैं, जो केवल प्लेसेबो की तरह काम करती हैं और इसका कोई चिकित्सीय महत्व नहीं होता

हाँ, सफेद चीनी की गोलियों का कोई चिकित्सीय महत्व नहीं होता। लेकिन ये दवाइयों के लिए वाहनों या वाहकों का काम करती हैं, जो एल्कोहल पर आधारित होती हैं। अन्यथा दवाई को सीधे या पानी में मिलाकर लिया जा सकता है। यह प्लेसेबो नहीं है।

होम्योपैथी धीमे-धीमे असर करती है और इसे बुखार, डायरिया, खांसी, जुकाम इत्यादि के गंभीर मामलों में प्रयोग नहीं किया जा सकता है

होम्योपैथी गंभीर मामलों में तेज गति से काम करती है। इसका सांमणों, बुखार, जुकाम इत्यादि का उपचार करने में प्रभावशाली ढंग से प्रयोग किया जा सकता है। दुर्भाग्यवश, लोग किसी होम्योपैथ के पास तभी जाते हैं जब समस्या अधिक पुरानी व गंभीर हो जाती है। स्वाभाविक रूप से ऐसे मामलों में उपचार में अधिक समय लगता है। इसके अलावा अधिकांश लोग गठिया, एलर्जीयुक्त अस्थमा या त्वचा के रोगों इत्यादि के मामलों में होम्योपैथी का प्रयोग करते हैं जिनके उपचार में कोई अन्य दवा लेने पर भी लम्बा समय लगता है।

होम्योपैथिक उपचार के दौरान रोगी को सख्त परहेजों का पालन करना पड़ता है

कुछ रोगियों को प्याज, लहसुन, कॉफी, चाय, तम्बाकू, एल्कोहल आदि से दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये सभी पदार्थ कुछ होम्योपैथिक दवाओं के कार्य में रुकावट डालते हैं। एल्कोहल और तम्बाकू से परहेज करना वैसे भी सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद है।

होम्योपैथी का प्रयोग डायबिटिक रोगियों पर नहीं किया जा सकता

डायबिटिक रोगियों पर इसका इलाज किया जा सकता है। चीनी की गोलियों की अल्प मात्रा प्रतिदिन लेने पर कोई फर्क नहीं पड़ता। रोजमर्रा के आहार में ली जाने वाली चीनी की मात्रा, ऐसी कुछ गोलियों से कहीं अधिक होती है। गंभीर मामलों में दवा को पानी में मिला कर या लेक्टोस के साथ लिया जा सकता है।

होम्योपैथ सभी तरह के रोगों के लिए एक ही तरह की सफेद गोलियाँ देते हैं।

विभिन्न रोगों के आधार पर होम्योपैथ मीठी गोलियों में विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ डालते हैं। ये गोलियाँ शरीर में दवा पहुँचाने की वाहक होती हैं। 1100 विभिन्न द्रव्यों में से चुनी गयी दवाइयाँ रोगियों की अलग-अलग समस्याओं पर लक्ष्यित होती हैं।

होम्योपैथिक दवाइयों के कोई कुप्रभाव नहीं होते

यदि ये दवाएँ 30ण्प् या अधिक पोटेंसी के अनुसार दी जायें तो इनके कोई कुप्रभाव नहीं होते। लेकिन र्1े या र्2े जैसी कम पोटेन्सी में कुछ टिन्चरों व टाइच्यूरेट्स के कुछ हल्के दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

You must be logged in to post a comment Login