दस लाख से जबानी गुणा

बाबा ने मुझे बुलाते ही एक पहेली सुनाई, “मेरे जीवन को घंटों में मापा जा सकता है। मैं नष्ट होकर ही सेवा करती हूं। जब पतली होती हूं तो मेरी रफ्तार ते़ज होती है। जब मोटी होती हूं, तो रफ्तार धीमी होती है। लेकिन हवा से मेरी हमेशा की दुश्मनी है। मैं क्या हूं?’ “यह […]

आत्मग्लानि का बोझ – लाल बहादुर शास्त्री

उसे सब नन्हॉं कहकर ही पुकारते थे। वह बचपन से ही छोटे कद का कम़जोर बालक था। अभी वह पूरे दो साल का भी नहीं हुआ था, कि उसके पिता का देहांत हो गया। वह अपनी मॉं के साथ ननिहाल में रहने लगा। अभी उसकी अवस्था छः वर्ष की थी, कि एक बार अपने साथियों […]

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