टिप्पणी

कितने प्यारे जूते हैं देखो किसको पड़ते हैं शैम्पो कितने बदले हैं बाल अभी तक झड़ते हैं बेगम को समझाते हैं आप भी कितने भोले हैं मैच वो देखने जाए क्यों जिसके ग्यारह बच्चे हैं जब से बजट ये आया है बटवे सूखे-सूखे हैं मोहम्मद मुमताज़ राशिद की ऐसी ग़ज़लें पढ़ते-पढ़ते हम लोटपोट हो जाते […]

ज्ञान यज्ञ में चाहिए समर्पण की आहुति

भारत सनातनी संस्कृति का अनुपालक और आस्थावादी राष्ट्र है। यहां भूमि, जल, नदियां, वृक्ष, आकाश तथा सूर्य और चंद्र पूजे जाते हैं। यहां आस्था की पराकाष्ठा मूर्तिपूजा में देखने को मिलती है। वैसे तो सनातनी संस्कृति में 36 करोड़ देवता हैं, जिन्हें नित्य पूजा जाता है, बावजूद इसके भी यहां दो प्रमुख अवतार हुए हैं, […]

प्रणाम शहीदों को इन्कलाब जिन्दाबाद के मायने

‘मार्डन रिव्यू’ के सम्पादक श्री रामानन्द चट्टोपाध्याय ने ‘इन्कलाब-जिन्दाबाद’ के शीर्षक से एक टिप्पणी लिखी। इसमें इस नारे को अराजकता और खून-खराबे का प्रतीक बताया और निरर्थक भी। भगत सिंह ने 23 दिसम्बर, 1929 को श्री रामानन्दजी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने ‘इन्कलाब जिन्दाबाद’ के मायने स्पष्ट किये। भगतसिंह ने लिखा, ‘‘आपने अपने सम्मानित […]

काहे को ब्याही विदेश

एक है जनार्दन मिश्र। शुद्ध शाकाहारी, बिना सुबह नहाए अन्न-जल तक ग्रहण नहीं करते। इनके बाबा (दादा) बनारस में पंडिताई करते थे। पिता को यह पसंद नहीं था, मगर मजबूरीवश उन्हें रामायण बांचनी पड़ती थी। उन्होंने ठान लिया था कि जनार्दन पंडिताई नहीं करेगा। जनार्दन को उन्होंने खूब पढ़ाया-लिखाया एवं डॉक्टर बनाया। उन्हें क्या पता […]

नीलकंठ महादेव मंदिर

भारत के पावन तीर्थों की श्रृंखला में हरिद्वार का अपना एक विशिष्ट स्थान है। पुण्य-सलिला भागीरथी अपने पूर्ण रूप में यहीं दृष्टिगोचर होती है। ऋषिकेश एवं लक्ष्मण झूला के मध्य गंगाजी के पूर्वी तट पर स्वर्गाश्रम है। इसी स्वर्गाश्रम के चंद्रकूट पर्वत के अग्नि पार्श्‍व में एक भव्य प्राचीन, विशाल शिव-स्थल है, जिसे नीलकंठ कहा […]

गुस्से का दफ्तरी समाजशास्त्र

सत्तर के दशक में सलीम-जावेद ने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन के रूप में फिल्मी पर्दे पर पेश किया और उनका जादू सिर चढ़कर बोला। इस सफलता के पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण यह था कि युवा मर्द आाामक ही अच्छा लगता है। दिलचस्प बात यह है कि एंग्री यंग मैन का बिल्ला वास्तव में […]

शिक्षण एवं शिक्षार्थी के बदलते संबंध

आज का युग प्राचीन युग से प्रायः सभी मामलों में भिन्न है। प्राचीन मान्यताएं एवं धारणाएं बदल गयी हैं। जीवन के कुछ नैतिक मूल्य भी बदले हैं और इस बुद्धि-प्रधान भौतिक युग में समाज का एक नया स्वरूप उभर कर सामने आ रहा है। ऐसी स्थिति में प्राचीन परिपाटियों को पकड़े रहना तो किसी भी […]

गोम्पाओं की धरती : स्पीति घाटी

साल में छः माह से अधिक समय तक बर्फ की सफेद चादर से ढकी रहने वाली हिमाचल की स्पीति घाटी को ‘गोम्पाओं की धरती’ भी कहा जाता है। इस घाटी के उत्तर में लद्दाख, पश्‍चिम में चम्बा और पूर्व में तिब्बत पड़ता है। हिमश्‍वेतिमा और यहां के अजीबो-गरीब रीति-रिवाजों के लिए यह घाटी काफी मशहूर […]

पड़ाव

आज गांव के सभी लोग उस छोटी-सी पहाड़ी नदी में नहाने के लिये जाने को उतावले थे। बच्चे-बूढ़े भी यहां गांव में रह कर कुएं में नहाना नहीं चाहते थे। युवा लड़के अपनी-अपनी बैलगाड़ियां व छकड़े दुरुस्त कर बैलों को खिलाने में लगे हुए थे, क्योंकि थोड़ी ही देर में गांव का एक बड़ा-सा काफिला […]

क्या है आस्तिकता

हम में से प्रत्येक को आस्तिक बनना चाहिए और इसके लिए नित्य नियमित रूप से उपासना की ाम-व्यवस्था दैनिक जीवन में रखनी चाहिए। एक परिपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में ईश्‍वर की किसी छवि का ध्यान करें, उसके गुणों का चिंतन करें और उसी में तन्मय हो जाएं, उसे अपने में धारण करने की भावना करें। […]

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