संसार को बदलना है तो स्वयं को बदलिए

यह अमृत-वाणी हमारे प्राचीन ऋषियों और संतों की है। इस विचार-सूत्र के पीछे क्या मर्म छुपा है, आइए थोड़ा समझने का प्रयास करें। इसकी व्याख्या कई ढंग से की जा सकती है। व्यक्ति-व्यक्ति से मिलकर समाज, देश और विश्‍व का निर्माण होता है। यदि व्यक्ति बुरा है तो समाज, संगठन और विश्‍व निश्‍चय ही बुरा […]

असम में बाढ़ का अभिशाप

पिछले साठ वर्षों से असम में हर साल बाढ़ का तांडव होता रहा है। 1950 में हुए भयंकर भूकंप की वजह से ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों के स्वरूप में परिवर्तन आ गया और उसके बाद हर साल बाद तबाही मचने लगी। इस तबाही की रोकथाम के लिए सरकार की तरफ से इतने सालों में […]

यह क्या हो रहा है विकास के नाम पर

किसी भी राष्ट्र के विकास में कृषि, खनिज, वन एवं जल संसाधनों की प्रमुख भूमिका रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है परन्तु कृषक यहाँ आत्महत्या करने के लिये मजबूर है। विगत कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसा क्यों? यह प्रश्‍न्न हमारे मस्तिष्क पटल पर उभरता है। […]

ज़रूरत एक ईमानदार राजनीति की

हमने 29 जुलाई को ‘मिलाप’ के संपादकीय में इस बात का उल्लेख किया था कि यह सोचना-कहना गलत होगा कि एक अरब से ऊपर की जनसंख्या वाला भारत आतंकवादी हौसले के सामने बेबस, निरीह और कमजोर हो गया है। हमने यह भी कहा था कि कमजोरी देश में नहीं विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हो […]

नाखून किस चीज के बने होते हैं?

दोस्तों, अगर नाखून काटने में दर्द होता, तो हम में से कोई भी नाखून नहीं काटता और सबके बहुत बड़े-बड़े नाखून होते। अक्सर हम सोचते हैं कि यह मृत कोशिकाओं के बने होते हैं, इसीलिए। लेकिन यह अधूरी बात है। वास्तव में नाखून त्वचा से उगने वाली विशेष संरचना है। नाखून का ज्यादातर हिस्सा केराटिन […]

सत्य ही शिव है

राजकोट के अल्फ्रेड हाईस्कूल की घटना है। हाईस्कूल का मुआयना करने आए हुए थे, शिक्षा विभाग के तत्कालीन इंस्पेक्टर जाल्स। नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को उन्होंने श्रुतिलेख (इमला) के रूप में अंग्रेज़ी के पाँच शब्द बोले, जिनमें एक शब्द था, ‘‘केटल।’’ कक्षा का एक विद्यार्थी मोहनदास इस शब्द के हिज्जे ठीक से नहीं लिख सका। […]

मेरे खेत की माटी

अद्भुत है मनभावन है, मेरे खेत की माटी। माँ सरीखी पावन है, मेरे खेत की माटी। हल से सीना चिरवाती है, बीज बोओ फसल उगाती है। सब की भूख मिटाती है, मेरे खेत की माटी। छूकर देखो पोली है, नन्हीं बच्ची-सी भोली है। भरे मेहनत की झोली है, मेरे खेत की माटी। बरखा की प्रथम […]

सुनो-गुनो

दोस्ती वह धागा नहीं जो खींचने से टूट जाए, वह इन्सान दोस्त नहीं जो जल्दी रूठ जाए। दिल में है अपने, विद्या की तिजोरी, लाख चाहकर भी कोई, नहीं कर सकता चोरी। जो समय खोया है, फिर तुम्हें नहीं मिल सकता, यदि टूट जाए पत्ता पेड़ से तो, फिर नहीं जुड़ सकता। गाली के ज़वाब […]

मीठे बोल

दादी-दादी एक बात बतलाना, बच्चा समझकर ना बहलाना। कोयल और कौवे दोनों हैं कारे, पर कौवे क्यों लगते नहीं प्यारे। दादी बोली ज़रा ध्यान से सुन, मीठी बोली में हैं बड़े-बड़े गुन। कोयल और कौवे दोनों हैं कारे, पर कोयल सदा बोले मीठा रे। मीठा बोलकर सबको रिझाती, इसीलिए कोयल सबको भाती। कौवे मीठा कभी […]

धरती का भगवान

नदिया न पीये कभी अपना जल, वृक्ष न खाये कभी अपने फल, अपने तन का, मन का, धन का, दूजे को दे जो दान है, वह सच्चा इन्सान अरे, इस धरती का भगवान है। अगरबत्ती-सा जिसका अंग जले, और दुनिया को मीठी सुहास दे। दीपक-सा उसका जीवन है, जो दूजों को अपना प्रकाश दे। धर्म […]