कॅरियर का मजबूत पुल

अभी कुछ सालों पहले तक जन-संपर्क कर्मचारियों की सामाजिक और नौकरीगत हैसियत स्पष्ट नहीं थी। शायद इसकी बड़ी वजह यह थी कि उन्हें गैर-जरूरी कर्मचारी समझा जाता था, जो किसी सेलिब्रिटी या कंपनी का चेहरा चमकाने का काम करते हैं।

लेकिन अब परिदृश्य बदल चुका है। आज जन-संपर्क अधिकारी या कर्मचारी भी उतने ही महत्वपूर्ण और जरूरी हो गए हैं जितने किसी भी क्षेत्र के दूसरे कर्मचारी, क्योंकि उनकी भूमिका स्पष्ट हो गयी है और हैसियत भी। चूंकि हर चीज के बारे में हर कोई नहीं जानता, यह बात हर क्षेत्र में लागू होती है। यह बात बाजार से नाता रखने वाले सभी लोगों पर लागू होती है चाहे कोई सेलिब्रिटी हो, कोई महकमा हो, कोई संस्थान हो या कोई सेवा। इन सभी लोगों और संस्थानों को आम लोगों से परिचय कराना, आम लोगों का फीड बैक इन लोगों व संस्थानों तक पहुंचाना, इस संपर्क पुल का जो लोग काम करते हैं, दरअसल वही जन-संपर्क प्रोफेशनल होते हैं। आज जन-संपर्क या पब्लिक रिलेशन से जुड़े लोगों की अपनी भूमिका स्पष्ट हो चुकी है। लोग भी उनके महत्व को समझ गए हैं और विकास व बाजार में हर जगह भारी प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी है। इस सबको देखते हुए, जन-संपर्क क्षेत्र काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसे मीडिया का एक पूरक क्षेत्र माना जा रहा है।

चाहे प्राइवेट कंपनियां हों, चाहे बहुराष्टीय निगम हों, स्थानीय या राष्टीय, अंतर्राष्टीय शैक्षिक संस्थान हों अथवा कोई भी ऐसा कारोबार, जो सीधे बाजार और ग्राहक से जुड़ा हो, उन सभी लोगों और जगहों के लिए इस तरह के जन-संपर्क प्रोफेशनल बहुत जरूरी हो गए हैं। यही कारण है कि यह क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए कि जन- संपर्क अधिकारी विज्ञापन या प्रमोशन करने वाला भर नहीं होता। अगर जन-संपर्क प्रोफेशनल सिर्फ इतना ही होता तो शायद इसकी जरूरत भी नहीं पड़ती। जन-संपर्क कर्मचारी या अधिकारी वास्तव में किसी प्रोडक्ट, किसी संस्थान, किसी संगठन या किसी सेवा प्रदाता अथवा सेलिब्रिटी का उसके बाजार और ग्राहक क्षेत्र से द्विस्तरीय ढंग से नाता जोड़ता है। वह जिसके लिए काम करता है, उसके लिए बाजार तलाशता है, संभावित ग्राहकों से उस सेवा या उत्पाद का नाता जोड़ने के प्रयास को संभव बनाता है तथा ग्राहकों और सेवा हासिल करने वालों को उस उत्पाद या सेवा की विशेषताओं से रूबरू कराता है। पब्लिक रिलेशन ऑफिसर वास्तव में किसी उत्पाद, सेवा, संगठन या सेलिब्रिटी और उसके चाहने वालों, उपभोक्ताओं या समर्थकों को किसी तरह की गलतफहमी से बचाने का काम करता है। यही कारण है कि अब हर कंपनी संगठन और संस्थान जन-संपर्क अधिकारियों की जरूरत को महसूस करने लगा है जिस कारण पब्लिक रिलेशन इंडस्टी में बूम का माहौल बना हुआ है। जो कंपनियां हर साल अपने उत्पादों के विज्ञापन में करोड़ों-अरबों रूपये खर्च कर देती हैं, उन कंपनियों में भी जन-संपर्क प्रोफेशनल की भरपूर मांग है।

देश में जिस तरह तेजी से कार्पोरेट कल्चर बढ़ रहा है, बाजार में सेवा और उत्पादों को लेकर प्रतिस्पर्धा का माहौल है, उसको देखते हुए नहीं लगता कि आने वाले अगले दस सालों में इस क्षेत्र में किसी तरह की मंदी देखने को मिलेगी। पब्लिक रिलेशन इंडस्टी जो अभी एक दशक पहले तक महज कुछ सौ करोड़ की थी, वहीं आज इस क्षेत्र का सालाना टर्नओवर बढ़कर 50 अरब रुपये हो चुका है और माना जा रहा है कि सन् 2015 तक यह 500 अरब रुपये से ऊपर चली जाएगी। इस तथ्य से स्पष्ट है कि पब्लिक रिलेशन इंडस्टी में न सिर्फ मौजूदा समय में बल्कि आने वाले दिनों में भी जबरदस्त बूम बनी रहेगी।

जहां तक सवाल है कि जन-संपर्क के क्षेत्र में जाने के लिए क्या-क्या योग्यता होनी चाहिए? उससे पहले यह जानना जरूरी है कि वास्तव में पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल करता क्या है? यह महज छवि चमकाने का बिजनेस नहीं है। यह वास्तव में किसी प्रोडक्ट, सेवा या सेलिब्रिटी के बारे में जानकारी देने, उसका महत्व स्पष्ट करने और बाजार में उसका क्या रिस्पांस है, इसको संबंधित कंपनी, संगठन या सेलिब्रिटी तक वापस पहुंचाने का काम है। चूंकि यह महज तोतारटंत शैली में गुडी-गुडी बातें करने या प्रचार करने भर का जरिया नहीं है, इसलिए किसी पीआर यानी पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल के लिए संचार की कई विधाओं में एक साथ पारंगत होने के अलावा बाजार, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, बॉडी लैंग्वेज आदि के बारे में भी काफी जानकारी होनी चाहिए। एक तरह से जन-संपर्क प्रोफेशनल पत्रकार के माफिक ही होता है। इसलिए उसमें पत्रकारों जैसी मौके की नजाकत को भापने की क्षमता, अपने ग्राहक के बारे में एक व्यवस्थित और सकारात्मक माहौल बनाने में माहिर होना चाहिए। हालांकि आज की तारीख में पब्लिक रिलेशन के क्षेत्र में जाने के लिए तमाम संस्थान बाकायदा प्रशिक्षण देते हैं। लेकिन सिर्फ प्रशिक्षण भर हासिल कर लेने से कोई व्यक्ति शानदार जन-संपर्क प्रोफेशनल नहीं बन जाता।

एक पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल को व्यवहार में कुशल, चीजों को बहुत जल्दी भाप जाने की कला में माहिर, बाजार और समाज की समझ और बॉडी लैंग्वेज तथा मनोविज्ञान पढ़ने में भी माहिर होना चाहिए। पहले तो इस क्षेत्र के लिए विशिष्ट रूप से कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं होता था, मगर आजकल ऐसी सुविधा है। आजकल कई विश्र्वविद्यालय, प्राइवेट संस्थान और इसी तरह के कुछ अन्य संस्थाएं व संगठन पब्लिक रिलेशन में बाकायदा डिग्री व डिप्लोमा मुहैया कराते हैं। कुछ संस्थान अपने यहां प्रवेश देने के लिए पहले प्रवेश परीक्षा लेते हैं और कुछ सीधे बिना प्रवेश परीक्षा के प्रवेश दे देते हैं। एक पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल को जो काम करने होते हैं, उसमें सभी तरह के जनसंचार के माध्यमों में अपनी बात पहुंचाना प्रमुख होता है। लेकिन इसके अलावा भी उसे कई तरह के काम करने होते हैं। मसलन, सिप्ट राइटिंग, ऐनुअल रिपोर्ट तैयार करना, प्रेस रिलीज बनाना और जरूरत पड़ने पर स्पीच यानी भाषण लिखना व बोलना दोनों ही जरूरी हो जाते हैं। इसके अलावा विजुअल कम्युनिकेशन के विभिन्न टूल्स को जानना, मीडिया में अपनी बात किसी भी तरह फ्लैश करवाने की कुव्वत। ये कुछ ऐसे गुण हैं, जो किसी भी जन-संपर्क प्रोफेशनल के लिए जरूरी होते हैं।

पब्लिक रिलेशन में स्नातक स्तर पर एक साल के डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स स्तर पर 6 से 9 महीने के पाठ्याम तथा पब्लिक रिलेशन में मास्टर डिग्री जैसी अकादमिक अध्ययन व प्रशिक्षण सुविधाएं मौजूद हैं। आमतौर पर विभिन्न संस्थान मानविकी और दूसरे सामाजिक विषयों से स्नातक करने वालों को अपने यहां प्रवेश देने के इच्छुक रहते हैं। एक डिप्लोमा या डिग्री होल्डर पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल को 10 से 15 हजार रूपये महीने की नौकरी शुरू से ही मिल जाती है और अपनी कुशलता से उन्नति करते हुए, वह लाखों रूपये महीने तक पहुंच सकता है।

पब्लिक रिलेशन क्षेत्र में जाने के लिए डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करने वाले कुछ प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-

बनारस हिंदू विश्र्वविद्यालय, दिल्ली विश्र्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्र्वविद्यालय, मुंबई विश्र्वविद्यालय, नागपुर विश्र्वविद्यालय, गुजरात विश्र्वविद्यालय, अहमदाबाद विश्र्वविद्यालय, कोलकाता विश्र्वविद्यालय, मैसूर विश्र्वविद्यालय, गुरू नानक देव पंजाब विश्र्वविद्यालय तथा लखनऊ विश्र्वविद्यालय जैसे देश के प्रतिष्ठित विश्र्वविद्यालयों में विभिन्न तरह के पब्लिक रिलेशन संबंधी पाठ्याम उपलब्ध हैं। कुछ दूसरे प्रमुख संस्थान हैं –

मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, अहमदाबाद

यहां एक साल का पी.जी. डिप्लोमा उपब्लध है।

पी.जी. डिप्लोमा इन पीआर सिम्बॉयसिस इंस्टी. ऑफ जर्नलिज्म, पुणे

पी.जी. डिप्लोमा इन पीआर एण्ड एडवरटाइजिंग (1 साल), भारतीय जन-संचार संस्थान, अरूणा असफ अली मार्ग, जेएनयू कैंपस, नई दिल्ली-110067 में उपलब्ध है।

पी.जी. डिप्लोमा इन पीआर एंड एडवरटाइजिंग, भारतीय विद्या भवन, केजी मार्ग, नई दिल्ली-110001, साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया विश्र्वविद्यालय तथा वाईएमसीए आदि में भी उपलब्ध है।

– जी.एस. नंदिनी

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