अपने-अपने दुःख

सब जानते हैं कि यह संसार दुःख-सुख का संगम है। दिन के बाद रात और रात के बाद दिन की भांति सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख मनुष्य के जीवन में आते रहते हैं। होनी को भी सब मानते हैं। भाग्य, प्रारब्ध और मस्तक की रेखाओं में भी लोग साधारणतया विश्र्वास करते […]

सिद्घ-साधकों के लिए अनुबंध-कुछ शर्तें

“प्राणविद्युत’ साधक का परिचय है। साधना अवधि में यह अपनी चरम-सीमा में होती है। इसकी मात्रा के अनुरूप साधक का प्रभाव परिलक्षित होता है। इसकी सुवास से वातावरण महक उठता है, सौंदर्य मंडित होता है। यही कारण है कि संत, सिद्घ, साधक के सान्निध्य-संसर्ग को जीवन की सबसे बड़ी घटना के रूप में देखा जाता […]

मुक्ति का मार्ग

नाम का रहस्य बड़ा सूक्ष्म और गहरा होता है। जब तक हम किसी आध्यात्मिक सद्गुरु के पास नहीं जाते, जिन्होंने अंतर के मंडलों में परवा़ज की हो और हमें भी शरीर के नौ दरवाजों को बंद करने का सबक सिखा सकते हों, हम स्वयं नाम की शक्ति के संपर्क में नहीं आ सकते। जिस प्रकार […]

आत्मा पुनर्जन्म लेती है?

निश्र्चय ही आत्मा पुनर्जन्म लेती है। आप संसार में देखते हैं कि किसी का जन्म एक सुशिक्षित, सभ्य, कुलीन और धनवान माता-पिता के घर होता है और अन्य किसी का अशिक्षित, असभ्य और निर्धन घराने में। भला बताइये कि इसका क्या कारण है? बिना कारण के तो कोई भी कार्य नहीं हुआ करता! तो क्या […]

मनःशक्ति का मायावी जखीरा

मानवीय मन-मस्तिष्क को शरीर का संचालन और नियमनकर्त्ता माना जाता है। मनःशास्त्री इसे शरीर का स्वामी मानते हैं, किंतु भारतीय तत्त्व-दर्शन मन को शरीर का संचालन करने के लिए आत्मा द्वारा नियुक्त एक कर्मचारी मात्र मानता है। उसकी सुसंस्कारिता, सुगढ़ता, पवित्रता-प्रखरता न केवल मनुष्य के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य, वरन आत्मोत्कर्ष का भी आधार बनती है। पारिवारिक, […]

अहिंसा और स्वर्ग

जे. कृष्णमूर्ति के मुताबिक “”जब तक किसी भी पुरुष में “मैं’ का अस्तित्व है- अत्यन्त स्थूल रूप में या अत्यंत सूक्ष्म रूप में- तब तक हिंसा मौजूद रहेगी।” महान दार्शनिक जॉर्ज बर्नाड शॉ का कहना था – “”जब तक इन्सान के मन में दूसरे जीवों के प्रति मित्रता का भाव पैदा नहीं होता, व्यवहार में […]

उत्तम क्षमा

क्षमा तेजस्वी पुरुषों का उत्तम तेज है। क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है। क्षमा सत्यवादी पुरुषों का उत्तम सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा मनोनिग्रह है। क्षमा दंड से भी बड़ा है। दंड देता है मानव, किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवता से। दंड में उल्लास है, पर शांति नहीं और क्षमा में शांति है […]

एक कला है

आज के प्रतिस्पर्धी दौर में शिक्षा व कौशल जितना ही महत्वपूर्ण है आपका व्यक्तित्व। इसलिए सफलता के लिए व्यक्तित्व का विकास आवश्यक हो जाता है, लेकिन होता यह है कि जो शारीरिक या मानसिक चीजें हम सामान्य रूटीन के तौर पर करते रहते हैं, वह हमारी आदतें बन जाती हैं। अक्सर इन आदतों के कारण […]

अपने अंदा़ज का आईना

आपके कपड़ों और एक्सेसरी़ज की ही तरह आपकी खुशबू भी आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा सकती है। खुशबुएँ आपके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहती हैं। बस आपको यह देखना है कि क्या खुशबू जो कुछ कह रही है वह आपके व्यक्तित्व से मेल खाता है? जी हॉं, खुशबुएँ आपका आदेश मानती हैं, […]

सफलता हमेशा कीमत चुकाने के बाद ही मिलती है

इंसान या तो अभी कीमत चुकाए और बाद में मजे करे या फिर अभी मजे कर ले और बाद में कीमत चुकाए। कुछ भी हो, उसे दोनों तरह से कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी। दरअसल, यह कीमत कठिन परिश्रम, त्याग या साधना के रूप में चुकानी होती है। इसी के आधार पर व्यक्ति किसी भी […]