जनता ध्यान दे

कोई भी सरकार नहीं चाहती कि देश में महंगाई बढ़े और जन-साधारण की रोजमर्रा की हालत खस्ता हो जाये। विपक्ष सरकारी नीतियों को महंगाई का कारण बताकर आये दिन बंद, जाम, हड़ताल, रैलियों आदि के आयोजन करवाकर सामान्य जन की सहानुभूति बटोर कर यह दर्शाने का प्रयास करता है कि उसे जनता को त्रासदियों से […]

घाटी में कानून-व्यवस्था बहाल करें

कश्मीर घाटी में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। जो खबरें आ रही हैं, उनके अनुसार यही लगता है कि यह सब राजनीतिक पार्टियों की कारस्तानी है ताकि अमरनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक तंग किया जा सके। वजह चाहे जो भी हो, यह हमारी केन्द्र एवं राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती […]

धर्म-निरपेक्षता बनाम पंथ-निरपेक्षता

धर्म-निरपेक्षता बनाम पंथ-निरपेक्षता

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संविधान में उल्लिखित “धर्म निरपेक्ष’ शब्द पर एतराज जताते हुए कहा है कि एक राजाज्ञा के जरिये इस शब्द के संवैधानिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने अपनी आपत्ति जताते हुए कहा है कि संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन कर सेकुलर शब्द नहीं डालना चाहिए था। वैसे भी इसका […]

दिशा भ्रमित होते ये खबरिया चैनल

भारत में सेटेलाइट चैनलों का प्रसारण संचार क्रांति के क्षेत्र में अभूतपूर्व घटना थी। इसने लोगों की जीवन-शैली ही बदल कर रख दी। टेलीविजन लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन गया। जहॉं एक ओर दूरदर्शन पर कार्यक्रमों का प्रसारण निश्र्चित समय पर होता था, वहीं दूसरी ओर सेटेलाइट चैनलों पर चौबीस घंटे, सातों दिन […]

एकांगी हैं वेतन आयोग की सिफारिशें

एकांगी हैं वेतन आयोग की सिफारिशें

किसी देश में खिलाड़ियों की संख्या में वृद्धि देश की खुशहाली, सुख-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। किसान खुशहाल हों तो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है। पुलिस बढ़े तो आंतरिक सुरक्षा में खतरे की घंटी है, अगर सुरक्षा सेवा में असंतोष हो तो सवाल उठता है कि देश की सुरक्षा का ज़िम्मा […]

जातिवाद केवलम्

जातिवाद केवलम्

आधुनिक राजनीतिक व्यवस्था को देखते हुए बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि राजनैतिक पार्टी चाहे कोई भी हो, जातिवाद को खत्म करना नहीं चाहती है। बल्कि हर तरह से उसे पोषित करते हुए अपनी महत्वाकांक्षाओं को फलीभूत देखना चाहती है। क्योंकि आज सभी को वोट चाहिए। वोटों के लिए हर पार्टी जातिवाद […]

राजनेताओं की निष्ठा बनाम राग-दरबारी

राजनेताओं की निष्ठा बनाम राग-दरबारी

राजनीति में वफादारी शुद्ध नफा-नुकसान के आकलन पर आधारित होती है। जरूरी नहीं कि आज का वफादार कल भी वफादार रहेगा। भाई लोगों ने इतनी ज्यादा निष्ठा जतलाई है कि निष्ठा व चापलूसी का अन्तर मिट गया है। कांग्रेस में राग दरबारी का कोरस गायन कोई नई बात नहीं है। जो बन्दा इस कला को […]

नज़रअंदाज़ किया जा रहा है बड़े बांध के खतरे को

पूर्वोत्तर भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश में कई पनबिजली परियोजनाओं का काम शुरू किया गया है। निपको के तत्वावधान में रंगा नदी पनबिजली संयंत्र के निर्माण का काम पूरा भी हो चुका है। पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर आए प्रधानमंत्री ने दिबांग पनबिजली संयंत्र का शिलान्यास किया। गौरतलब है कि जब नदियों पर […]

भ्रष्टाचार का कैंसर और बेचारा समाज

आए दिन देश के विभिन्न क्षेत्रों में रिश्र्वत लेते हुए अधिकारियों के पकड़े जाने की खबरें खूब छपती हैं। सिर्फ नाम, रिश्र्वत की रकम और जगह का फर्क होता है। जो नहीं पकड़े जाते, उन पर इन खबरों का कोई असर नहीं होता। खबर पढ़ने के बाद वे जायज, नाजायज के चक्रव्यूह में नहीं फंसते। सही-गलत, जायज-नाजायज, आत्मा के उत्थान-पतन, शर्मिंदगी का भाव, इन सबसे वे लोग काफी ऊपर उठ चुके हैं। भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक व्याप्त है।

कुछ दिन पहले पंजाब के अठारह आईएएस अधिकारियों की सूची अखबार में छपी, जिनके विरुद्ध गंभीर भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। देश का प्रशासन चलाने वाले उच्चाधिकारी भी ऐसे गंभीर दोषों के लिए सफाई ढूंढने में प्रयत्नशील हैं। दस आईपीएस अधिकारी, जिनमें तीन पुलिस महानिदेशक हैं, आपराधिक मामलों की पूछताछ को लेकर संशय के […]

मतदाताओं की राजनेताओं से अपेक्षा

मतदाताओं की राजनेताओं से अपेक्षा

हाल ही की बात है। मेरे एक पड़ोसी मित्र का देहान्त हो गया। दोपहर को बारह बजे अर्थी उठने को थी। तभी मित्र का मोबाइल फोन बज उठा। सांसद महोदय का सन्देश था कि वे अभी थोड़ी दूर एक अन्य अन्त्येष्टि में भाग ले रहे हैं। आधे घंटे में यहॉं पहुँच जाएंगे। उनके आने पर […]